RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
बहुत ही धैर्यपूर्वक सब कुछ सुनने के बाद डॉक्टर भारद्वाज ने पूछा— “ यानि वह युवक आपका बेटा है और उसका नाम सिकन्दर है ?"
"हां, डॉक्टर। उसे अपना बेटा साबित करने के लिए हमारे पास सबूत भी हैं—हमारा नौकर एलबम लेकर यहां पहुंचने ही वाला होगा।"
"मैं आपसे यह जानना चाहता था कि क्या सिकन्दर को किसी किस्म का दौरा अक्सर पड़ता है ?"
"दौरा?"
"जी हां , हालांकि मनोचिकित्सक उसे दौरा नहीं मानता—जो हुआ था , उसे वह जुनून शब्द देता है , फिर भी मैं आपसे जानना चाहता हूं।"
"क्या जानना चाहते हैं ?"
"यह कि क्या सिकन्दर ने कभी किसी लड़की को गला घोंटकर मार डालने की कोशिश की हो ?"
बुरी तरह चौंकते हुए न्यादर अली ने कहा—"क्या बात कर रहे हैं आप?”
"इसका मतलब ऐसा कभी नहीं हुआ ?"
"क्या हमारा सिकन्दर हत्यारा है , जो... ?”
उनकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि दिलचस्पी लेते हुए दीवान ने पूछा— “क्या ऐसा कुछ हुआ था, डॉक्टर?—प्लीज , मुझे बताओ कि क्या हुआ था।"
भारद्वाज ने उसके जुनून के बारे में विस्तार से बता दिया। सुनते हुए दीवान के चेहरे पर जहां उलझन के भाव थे , वहीं न्यादर अली का चेहरा हैरत में डूब गया। भारद्वाज के चुप होने पर उनके मुंह से निकला—“अल्लाह—हमारे बेटे को यह क्या हो गया है—सिकन्दर के बारे में आप यह कैसी बात कर रहे हैं ?"
उनके इन शब्दों से भारद्वाज समझ सकता था कि कम-से-कम इनके सामने युवक पर कभी वैसा जुनून सवार नहीं हुआ था। अत: उसने अगला सवाल किया— "अच्छा, यह बताइए कि क्या सिकन्दर ने कभी किसी नग्न युवती की लाश देखी थी ?"
"न...नग्न युवती की लाश—मगर आप यह सब क्यों पूछ रहे हैं ?"
“आपके सवाल का जवाब मैं बाद में दूंगा—प्लीज , पहले आप मुझे मेरे सवाल का जवाब दीजिए—क्या आपके जीवन में उसने कभी किसी नग्न युवती की लाश देखी है ?"
“हां।”
"कब ?"
"आज से करीब एक साल पहले।"
"वह लाश किसकी थी ?"
"उसकी बहन की—सायरा की लाश थी वह।" बताते हुए न्यादर अली की चश्मे के पीछे छुपी आँखें भर आईं , आवाज भर्रा गई— "सायरा से बहुत प्यार करता था वह—अपनी बहन की लाश से लिपटकर फूट-फूटकर रोया था सिकन्दर।"
"कहीं किसी ने गला घोंटकर तो सायरा को नहीं मारा था ?"
"पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में यही लिखा था , मगर हम आज तक नहीं समझ सके कि किसी जालिम ने हमारी मासूम बेटी की हत्या क्यों की थी—रात को वह अच्छी—भली , हंसती-खेलती हमसे और सिकन्दर से गुडनाइट करके अपने कमरे में सोने चली गई थी—सुबह हमें कमरे के फर्श पर उसकी लाश पड़ी मिली—उसके जिस्म पर कपड़े का एक रेशा भी नहीं था—पता नहीं उसे किस जालिम ने...।"
भारद्वाज की आंखें अजीब-से जोश में चमक रही थीं— "इसका मतलब यह कि डॉक्टर ब्रिगेंजा ने उस जुनून के पीछे छुपी सही थ्योरी बता दी थी ?"
"क्या मतलब ?”
डॉक्टर भारद्वाज उन्हें ब्रिगेंजा की थ्योरी के बारे में बताता चला गया और अंतिम शब्द कहते-कहते अचानक ही उसे कुछ ख्याल आया। अचानक ही उसके चेहरे पर चौंकने के भाव उभरे , बोला— "म...मगर आप तो मुसलमान हैं मिस्टर न्यादर अली , जबकि उस युवक को हिन्दू होना चाहिए—डॉक्टर ब्रिगेंजा और खुद मैं भी यही सोचता हूं।"
"क्या मतलब?"
"यदि मैं बिना कोई चेतावनी दिए अचानक ही आपके चेहरे पर बहुत जोर से घूंसा मार दूं और मुसीबत के ऐसे क्षण में आपको अपने गॉड को याद करना पड़े तो आपके मुंह से क्या निकलेगा ?"
"या अल्लाह।”
"जबकि ऐसे ही एक क्षण उसके मुंह से...।"
उसकी बात बीच में ही काटकर न्यादर अली ने कहा—"भगवान निकला होगा ?"
"जी...जी हां—मगर—क्या मतलब ?"
न्यादर अली के होंठों पर हल्की-सी मुस्कान उभर आई , बोले— "ऐसा होने पर आपने यह अनुमान लगा लिया कि वह हिन्दू है—हालांकि आपका सोचना स्वाभाविक ही था , फिर भी इस मामले में आप चूक गए—वैसे हम खुद भी चकित हैं—पिछले सात-आठ महीने से वह जाने क्यों बहुत ज्यादा हिन्दी बोलने लगा है—अल्लाह के स्थान पर भी वह भगवान ही कहता है—इस बारे में पूछने पर उसने हमेशा यही कहा कि हम खुदा कहें या भगवान , आखिर पुकारते एक ही शक्ति को हैं।"
"बात तो ठीक है।" डॉक्टर भारद्वाज ठहाका लगा उठा , जबकि दीवान सोच रहा था कि अखबार में फोटुओं का प्रकाशन कराकर उसने युवक को भले ही खोज निकाला हो , किन्तु उसकी अपनी समस्या हल नहीं हुई है—यानि सिकन्दर उस ट्रक ड्राइवर को अब भी नहीं पहचान सकेगा।
कुछ ही देर बाद एक कीमती एलबम लिए न्यादर अली का शोफर वहां पहुंच गया और उस एलबम को देखने के बाद कोई नहीं कह सकता था कि न्यादर अली झूठ बोल रहा है—उसमें सचमुच उस युवक के बचपन से युवावस्था तक के फोटो क्रम से लगे हुए थे—कई फोटुओं में वह सायरा और न्यादर अली के साथ भी था।
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