RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
युवक चुप रह गया , फिर वह अपने दिमाग को संभालने लगा। शायद सोच रहा था कि अब उसे रूबी से क्या पूछना है और एकाएक ही उसने पूछा— "अच्छा , ये बताओ रूबी कि क्या मैंने अपनी पिछली जिन्दगी में कभी किसी नग्न लड़की की लाश देखी है ?"
“हां , आपने मुझे बताया था कि उस लाश को आप लाख चेष्टाओं के बावजूद भी कभी भुला नहीं सके—आपको वह लाश ख्वाब में चमक आया करती है—जब भी वह ख्याब आपको चमकता है , आप डर जाते हैं और चीखकर उठ बैठते हैं।"
"किसकी लाश थी वह ?"
"आपने बताया था कि एक रात आप सम्बन्धित गिरोह के एक दूसरे चोर के साथ किसी सेठ की तिजोरी साफ करने गए थे। तिजोरी उसके लड़के और बहू के कमरे में थी
आप दोनों कमरे में पहुंच गए थे , सर्दी के दिन थे—डबलबेड पर लिहाफ के अन्दर सेठ का लड़का और उसकी पत्नी , नग्न अवस्था में एक-दूसरे की बांहों में समाए मीठी नींद सो रहे थे—आप अपना काम करने लगे थे—किसी खटके की आवाज से पत्नी की नींद खुल गई थी और वह चीख पड़ी थी—आपके साथी ने झपटकर उसकी गर्दन दबोच ली थी—पत्नी की चीख सुनकर सेठ का लड़का भी जाग गया था , जिसे आपने दबोच लिया था—आपने उसके मुंह पर हाथ रख लिया था—आप उसे दबोचे खड़े थे , जबकि आपके साथी ने बहू की हत्या कर दी थी—उस हत्या का सारा मंजर आपने अपनी आंखों से देखा था , बहू की जीभ और आंखें बाहर उबल पड़ी थीं—उसकी भयानक और निर्वस्त्र लाश कमरे के फर्श पर गिर गई थी—आपकी गिरफ्त में फंसा युवक दहशत के कारण बेहोश हो चुका था—आप और आपका साथी आंखें फाड़े उस नग्न लाश को देखते रहे थे और फिर बिना उनकी सेफ पर हाथ साथ किए ही आप दोनों वहां से भाग खड़े हुए थे।"
सुनते-सुनते युवक को लगा कि उसका जिस्म ही नहीं , बल्कि दिलो-दिमाग तक सुन्न हो गया है। कानों के समीप उसे वैसी ही आवाज गूंजती महसूस हुई , जैसे गहरे सन्नाटे की होती है—सांय-सांय , चेहरा फक्क पड़ गया था उसका , हथेलियां तक ठण्डे पसीने से बुरी तरह भीग गईं , उसे इस अवस्था में देखकर रूबी घबरा गई। उसके दोनों कंधे पकड़कर झंझोड़ती हुई चीखी—"क्या हुआ , क्या हो गया है आपको?"
"म...मतलब ये कि मैं हत्यारा भी हूं।" अपनी ही आवाज उसे किसी अंधकूप से निकलती-सी महसूस हुई।
"न...नहीं।" रूबी ने सख्ती के साथ विरोध किया— "आप भला हत्यारे क्यों होते , हत्या आपके साथी ने की थी।"
“हत्यारे की मदद करने वाला भी हत्यारा होता है रूबी , मैंने अपने साथी की पूरी मदद की थी , यदि मैं उसके पति को छोड़ देता तो वह कभी न मरती।"
"इसी विचार को तो किसी घुन की तरह अपनी जिन्दगी से चिपका लिया है आपने , तभी तो वह सपना आपको आज भी चमकता है , आप सोते-सोते डर जाते हैं—इस वक्त भी आपके विचार बिल्कुल वैसे ही हैं , जैसे याददाश्त गुम हो जाने से पहले थे—आप हमेशा खुद को उसका हत्यारा कहते हैं , जबकि मैं कहती हूं कि आप हत्यारे नहीं हैं—एक भयानक दुःस्वप्न समझकर आप अपनी जिन्दगी से उसे निकाल फेंकिए।"
एकाएक युवक ने उससे उस युवक के बारे में पूछा , जिसने उससे 'जमाने' के लिए कहा था। पहले तो रूबी कुछ समझी ही नहीं—उसने ऐसा कहने वाले का हुलिया पूछा और जब युवक ने बताया तो रूबी बोली— "ओह , वह शायद गजेन्द्र होगा।"
“गजेन्द्र कौन ?"
"भगवतपुरे में बने आपके दोस्तों को मंडली का एक सदस्य।"
"क्या तुम बता सकती हो कि वह क्या जमाने के लिए कह रहा था?"
"शायद जुए की महफिल जमाने के लिए कह रहा हो ?"
"ज...जुआ—क्या मैं जुआ भी खेलता हूं ?"
“हां , मेरे बार-बार मना करने के बावजूद जब आप उनके बीच फंस जाते हैं तो खेल ही लेते हैं। ”
“खैर , धीरे-धीरे आपकी यह लत भी छूट जाएगी।"
युवक ने फीकी-सी मुस्कान के साथ कहा—“दुनिया का शायद एक भी ऐसा बुरा काम नहीं है , जो मैंने न किया हो।"
“ऐसा मत कहिए , जो शाम को लौट आए उसे भूला नहीं कहते—अब आपने सब काम छोड़ दिए हैं , कोई भी गलत काम न करने के लिए आपने मेरी कसम खाई है।" कहने के साथ ही उसने ऐसी हरकत की कि युवक के रोंगटे खड़े हो गए।
बड़े प्यार से , उसके होंठों का चुम्बन लिया था रूबी ने।
युवक सकपका गया।
रूबी का मुखड़ा उसके बेहद करीब था। बड़े प्यार से उसकी आंखों में झांक रही थी वह। रूबी की सांसों की गर्मी युवक ने अपने चेहरे पर महसूस की और अनायास ही उसकी अपनी सांसें भी धौंकनी की तरह चलने लगीं।
दिल बेकाबू होकर धड़कने लगा।
शायद लापरवाही के कारण ही रूबी के वक्षस्थल से साड़ी का पल्लू ढलक गया। वक्ष प्रदेश का ऊपरी भाग युवक को साफ नजर आने लगा। रूबी की सांसों के साथ ही उनमें कम्पन हो रहा था—उस वक्त तो युवक बौखला ही गया जब रूबी ने बड़े प्यार से न केवल उसके गले में बांहें डाल दीं , बल्कि अपना सिर धीमें से उसके सीने पर रखकर बोली— "मुझे तो बस इस बात की खुशी है कि आप आ गए हैं , अब हम बस्ती चलेंगे—सम्भव है कि अपने माता-पिता और छोटे भाई-बहनों से मिलकर बाकी याददाश्त भी वापस आ जाए।”
"म...मगर रूबी।" स्वर बौखलाया हुआ था।
रूबी का प्यार से सराबोर लहजा—"कहिए।"
अब वह कुछ सोचने के लिए एकान्त चाहता था , अत: बोला— “ मैं सुबह से भूखा हूं, क्या तुम मुझे कुछ बनाकर खिला सकती हो ?"
"क्यों नहीं , ओह—सॉरी जॉनी—मैं तुम्हारी कहानी में कुछ इतनी बुरी तरह उलझ गई कि इस बात का ध्यान ही न रहा।” वह बोली—“क्या खाओगे ?"
"जो तुम खिला दो।"
"मैं नमकीन चावल बनाती हूं, तुम्हें बहुत पसन्द हैं।"
दिमाग पर काफी जोर डालने के बाबजूद भी युवक यह तो न जान सका कि उसे नमकीन चावल पसन्द हैं या नहीं , मगर रूबी को उसने वही बनाने के लिए कह दिया।
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