RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
हाथ-पैर ढीले और सुन्न पड़ गए—प्रतिरोध करने की उसकी क्षमता कम होती चली गई …उसे इस अवस्था में देखकर युवक किसी राक्षस के समान ठहाका लगाकर हंस पड़ा।
हाथों का दबाव गर्दन पर बढ़ता ही चला गया।
रूबी के कण्ठ से एक हिचकी-सी निकली और गर्दन एक तरफ लुढ़क गई , सारा जिस्म ढीला पड़ गया। बर्फ के समान सर्द—जीभ बाहर लटकी हुई थी—उबली आंखों से वह अभी तक युवक को देखती-सी महसूस हो रही थी—उसके सफेद चेहरे पर हर तरफ आतंक
था …दहशत।
अपने हाथों में दबी उस लाश को देखकर युवक काफी देर तक पागलों की तरह ठहाके लगाता रहा , फिर रूबी की गर्दन से अपने हाथ हटा लिए उसने।
लाश 'धड़ाम् ' से फर्श पर गिरी।
¶¶
किसी स्टेचू के समान युवक भी फटी आंखों से फर्श पर चित्त अवस्था में पड़ी रूबी की निर्वस्त्र लाश को देख रहा था—वह लाश अब उसे बड़ी ही भयानक लग रही थी।
फटी आंखों से छत को घूरती लाश—सफेद कागज-सा निस्तेज चेहरा।
सिकुड़े चमड़े की तरह लटकी हुई जीभ।
फर्श पर चिपककर रह गया था युवक—क्रूरता और दरिन्दगी से भरे भाव धीरे-धीरे उसके चेहरे से गायब होने लगे—जिस्म में छाया अजीब-सा तनाव जाने कहां चला गया।
आंखों में खौफ उभरने लगा। टांगें कांपने लगीं।
चेहरा सफेद पड़ता चला गया। रूबी के मुर्दा शरीर की तरह ही सफेद।
आतंकित-सा वह बड़बड़ाया— "म...मैंने इसे मार डाला है—ये क्या किया मैंने—मैँ हत्यारा हूं—मैंने खून किया है—म.....मगर इसे क्यों मार डाला मैंने ?"
जवाब देने वाला वहां कोई नहीं था। फिर भी जवाब उसे मालूम था— “रूबी को मैंने उसी दौरे के दौरान मार डाला है , जिसे डॉक्टर ब्रिगेंजा ने जुनून कहा था …मेरे दिमाग में यही विचार उभरे थे।"
"म.......मगर।" युवक बड़बड़ाया— “ये भयानक विचार मेरे दिमाग में उभरे ही क्यों थे—क्या हो गया था मुझे—मैंने क्यों मार डाला इस मासूम को—हे भगवान—ये मुझसे क्या करा दिया?" बड़बड़ाता हुआ वह वहीं फर्श पर बैठ गया।
अपने दोनों हाथों से चेहरा ढांप लिया उसने , बुरी तरह से डरे हुए मासूम बच्चे की तरह फूट-फूटकर रो पड़ा। चीखकर वह स्वयं ही से कहने लगा— "म.....मैँ हत्यारा हूं—मैंने कत्ल किया है—एक बेगुनाह और मासूम नारी का खून किया है मैंने ………आह।"
युवक रोता रहा।
अचानक ही उसे ख्याल आया कि क्या रूबी मेरी पत्नी थी—क्या वाकई मैं जॉनी हूं—क्या मैंने अपनी ही पत्नी को मार डाला है ?
रोना भूल गया वह।
चौंककर रूबी की उस लाश को देखने लगा , जो समय के साथ-साथ अब अकड़ती जा रही थी। इस लाश से अब उसे डर लगने लगा—पहली बार उसने महसूस किया कि सारे घर में सन्नाटा छाया हुआ है—उसके कानों के इर्दगिर्द सांय-सांय की आवाज गूंजने लगी।
घबराकर उसने चारों तरफ देखा।
सभी कुछ उसे डरावना-सा लगा।
कमरे के सारे फर्श पर बिखरे रूबी के कपड़ों के टुकड़े उसे मजबूत रस्सी के फन्दे -से नजर आए।
घबराकर वह खड़ा हो गया। उसके दिमाग में यह विचार चकराने लगा था कि हत्या की सजा फांसी है। मैंने हत्या की है और अब फांसी से मुझे कोई नहीं बचा सकेगा—चारों तरफ छाया सन्नाटा उसे कुछ और ज्यादा गहराता-सा महसूस हुआ।
तभी किचन की तरफ से उसे बरतनों के खड़कने की आवाज सुनाई दी।
उसका दिल ‘धक्क ' से उछलकर कण्ठ में जा फंसा। क्षणमात्र में जिस्म के सारे रोएं खड़े हो गए और मसामों ने ठण्डा पसीना उगल दिया—चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थीं।
उसके मन में एकमात्र विचार उभरा था—'क्या किचन में कोई है ?'
सांस रोके वह पुन: उभरने वाली किसी आहट को सुनने की कोशिश करने लगा और उस वक्त तो उसके होश ही उड़ गए जब कमरे के बाहर से किसी के दबे पांव चलने की आवाज उभरी। सन्नाटे में इस आवाज को वह स्पष्ट सुन सकता था।
"क.....कौन है?" डरी हुई आवाज में वह चीख पड़ा।
किसी के चलने की आवाज गुम हो गई।
युवक दहशत के कारण रो पड़ने के लिए बिल्कुल तैयार था—फिर किचन की तरफ से ऐसी आवाज उभरी जैसे कोई 'चप्प-चप्प ' कर रहा हो।
युवक एकदम भागा , आंगन में पहुंचा।
किचन के दरवाजे पर ही रखी प्लेट को एक बिल्ली चाट रही थी—आहट सुनकर बिल्ली ने उसकी तरफ देखा—युवक का दिल बुरी तरह धक्-धक् कर रहा था—सफेद बिल्ली की कंजी आंखों में झांकते ही युवक के हाथ-पैर कांप उठे।
किसी स्टेचू के समान खड़ा रह गया था वह।
"म्याऊं...म्याऊं...।" बिल्ली की आवाज मकान में छाए मौत के-से सन्नाटे को चीरती चली गई। पसलियों पर होने वाली दिल की चोट वह स्पष्ट महसूस कर रहा था …उस पर से नजरें हटाकर बिल्ली पुन: प्लेट में लगे चावल चाटने लगी—'चप्प...चप्प...।'
बिल्ली की जीभ और उसके नुकीले दांत देखकर युवक के जिस्म में झुरझुरी-सी दौड़ गई—उसने पैर पटका , बिल्ली ने उसकी तरफ देखा जरूर , मगर भागी नहीं—जाने युवक को उसे वहां से भगाना इतना जरूरी क्यों लगा कि वह बिल्ली की तरफ दौड़ पड़ा।
बिल्ली भागी।
उसका पैर शायद प्लेट में लग गया था , इसीलिए प्लेट उलट गई—प्लेट के खनखनाने की आवाज सारे मकान में गूंज गई......आंगन में एक चक्कर लगाने के बाद बिल्ली झट से उस कमरे में घुस गई , जिसमें रूबी की लाश थी—मूर्ख की तरह उसके पीछे आता हुआ युवक जब कमरे में पहुंचा तो वहीं ठिठककर खड़ा रह गया।
हार्ट अटैक होते-होते बचा था उसे।
रूबी के वक्षों पर खड़ी बिल्ली अपनी कंजी आंखों से उसे घूर रही थी—युवक सहम गया। बिल्ली ने दो बार "म्याऊं...म्याऊं ' की.....उसके नुकीले दांत युवक को अपनी आंखों में गड़ाते महसूस हुए—एकाएक ही दिमाग में एक ख्याल उठा कि बिल्ली झपटने वाली है , अपने पंजों से वह उसकी आंखें निकाल ले जाएगी।
अचानक ही छत की तरफ मुंह उठाकर बिल्ली रो पड़ी।
युवक को काटो तो खून नहीं।
बिल्ली यूं रो रही थी जैसे उसे मालूम हो कि वह एक लाश पर खड़ी है....मकान में गूंजने वाली बिल्ली के रोने की आवाज़ ने युवक के रहे-सहे हौंसले भी पस्त कर दिए।
बड़ी ही डरावनी और भयानक आवाज थी वह।
फिर , बिल्ली रूबी की नाक से अपनी नाक सटाकर जाने क्या सूंघने लगी—आतंक के कारण युवक का बुरा हाल था , बौखलाकर वह बिल्ली की तरफ दौड़ा—रोती हुई बिल्ली उछलकर पलंग के नीचे घुस गई—युवक भी पलंग के नीचे—कमरे के कई चक्कर लगाने के बाद बिल्ली उसे आंगन में ले आई। युवक की सांस बुरी तरह फूल रही थी।
तभी किचन से निकलकर आंगन में एक चूहा भागा।
बिल्ली झट से चूहे पर झपट पड़ी।
चूहे की चीं-चीं के साथ मकान में युवक की चीख भी गूंज उठी—जाने क्यों चूहे पर झपटती बिल्ली को देखकर वह चीख पड़ा था , मुंह में चूहा दबाए बिल्ली ने उसे घूरा।
दहशत के कारण वहां ढेर होते-होते बचा युवक।
बिल्ली दौड़कर बाथरूम में घुस गई—जाने किस भावना से प्रेरित युवक भी उधर लपका और फिर उसने बिल्ली को बाथरूम की नाली के जरिए मकान से बाहर निकलते देखा।
हक्का-बक्का-सा युवक वहीं खड़ा हांफता रहा।
अपने दिमाग पर छाए आतंक और भय के भूत से मुक्त होने की असफल कोशिश करता रहा—जब थोड़ा संभला तो बाथरूम का दरवाजा कसकर बन्द कर दिया उसने।
यह सोचता हुआ वह आंगन पार करने लगा कि भला बिल्ली से वह क्यों डर रहा था ?
कमरे के दरवाजे पर पहुंचते ही उसकी नजर पुन: रूबी की लाश पर पड़ी और अपनी गर्दन के आसपास झूलता फांसी का मजबूत फन्दा उसे तत्काल नजर आने लगा।
|