RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
रूपेश के कण्ठ से हृदय-विदारक चीखें निकल रही थीं , होश में आते ही सबसे पहले उसने यह महसूस किया कि उसका समूचा जिस्म बुरी तरह जल रहा था—जाने किस अज्ञात शक्ति से संचालित होकर वह उछलकर खड़ा हो गया।
नजर किसी होली के समान जलते एक नग्न जिस्म पर पड़ी—खुद उसके जिस्म से आग की लपटें लपलपा रही थीं , उसके कपड़ों में आग लगी हुई थी।
जिस्म भी जल रहा था।
मुंह से स्वयं ही चीखें निकल रही थीं , और फिर जाने किस शक्ति ने उसे इतनी बुद्धि दे दी कि वह कमरे के आगरहित फर्श पर लुढ़कता फिरने लगा।
उसके अवचेतन मस्तिष्क में एकमात्र यही विचार उभरा था कि उसके कपड़ों में आग लगी हुई था और इस आग से बचने का केवल एक ही रास्ता है , वही उसने किया भी—चीखता हुआ जाने वह कितनी देर तक फर्श पर लुढ़कता रहा।
तन के कपड़ों पर लगी आग काफी हद तक बुझ गई।
मुंह से अब भी चीखें निकल रही थीं , क्योंकि वह काफी बुरी तरह जल चुका था—शायद जिस्म में गर्मी होने के कारण ही वह उठकर खडा हो गया था—कमरे का दृश्य बहुत ही खौफनाक था—नग्न जिस्म से लपलपाने वाली आग डबलबेड को घेर चुकी थी।
अब वह शेष कमरे में फैलने जा रही थी।
कमरे में धुआं भी काफी था।
एकाएक ही रूपेश के दिमाग में यह ख्याल उठा कि कुछ ही देर में यह सारा कमरा आग की लपटों की भेंट चढ़ जाएगा—चीखता हुआ ही वह दरवाजे पर झपटा।
यह महसूस करते ही उसके होश उड़ गए कि दरवाजा बाहर से बन्द है।
मुंह से चीखें बराबर निकल रही थीं , मगर फिर भी वह पीछे हटा—किसी सांड की तरह दरवाजे की तरफ दौड़ा—दरवाजे पर उसके कंधे की चोट पड़ी।
दरवाजा बहुत ज्यादा मजबूत नहीं था , चरमरा उठा।
स्वयं उसके कण्ठ ते भी चीख निकली थी , क्योंकि यह कंधा भी शायद जला हुआ था , जिससे दरवाजे पर चोट की थी —प्राणों को बचाने की लालसा बड़ी तीव्र होती है। विशेष रूप से उन क्षणों में , जब व्यक्ति को मृत्यु सामने नजर आ रही हो। उसी लालसा से प्रेरित रूपेश ने
असहनीय टीस और जलन की परवाह किए बिना दरवाजे पर पुन: हमला किया।
आग निरन्तर अपने विकराल रूप की तरफ बढ़ती जा रही थी , धुआं इतना ज्यादा भर चुका था कि सांस लेने पर अब उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी।
बुरी तरह खांस रहा था वह।
पांचवें प्रहार पर दरवाजा टूटकर भड़ाक्-से आंगन में गिरा और उस टूटे हुए दरवाजे पर ही गिरा रूपेश—वह गिरते ही उठा , संभलकर गैलरी की तरफ भागा , परन्तु मुख्य द्वार पर पहुंचने से पहले ही लड़खड़ाकर गिर पड़ा।
उसकी दुनिया में अंधेरा हो चुका था , दिमाग सुन्न पड़ता चला गया। जबकि आंगन में पहुंचने के बाद धुआं जाल की तरफ बढ़ा और उसे पार करके गगन की ओर।
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