RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
फायर ब्रिगेड आग पर काबू पाने के लिए प्रयत्न करने लगी। रूपेश के बेहोश जिस्म को देख जीप में डालकर अस्पताल पहुंचाया जा चुका था—जिस समय इमरजेंसी रूम में डॉक्टर रूपेश के जिस्म से जूझ रहे थे , उसी समय फायर ब्रिगेड मकान में लगी आग से।
आग पर काबू पाने में पूरा एक घंटा लग गया।
तब काम शुरू हुआ वहां पहुंचने वाली पुलिस टुकड़ी का नेतृत्व करने वाले इंसपेक्टर आंग्रे का—अपने साथ वह पुलिस के फोटोग्राफर तथा कुछ कांस्टेबलों को साथ लिए अन्दर दाखिल हुआ—बुरी तरह जले हुए कमरे के दरवाजे पर ही उन्हें ठिठक जाना पड़ा। जहाँ से आग शुरू हुई थी—कमरे के बीचो-बीच फर्श पर एक इंसानी हड्डियों का ढांचा पड़ा था।
खाल पूरी तरह जल चुकी थी।
हड्डियां भी काली पड़ चुकी थीं—बड़ा ही डरावना दृश्य था वह—सारा कमरा फायर ब्रिगेड वालों के पानी से बुरी तरह गीला था , कदाचित् पानी की तीव्र धारा ने ही फर्श पर पड़े इंसानी जिस्म की हड्डियों को भी अव्यवस्थित कर दिया था।
इंस्पेक्टर आंग्रे समझ सकता था कि इस आग में कोई बुरी तरह जलकर खाक हो गया है—वह स्त्री थी या पुरुष , जानने के लिए आंग्रे आगे बढ़ा—हड्डियों के ढांचे , बल्कि कहना चाहिए कि इंसानी हड्डियों के ढेर या मलबे के नजदीक पहुंचा।
आंग्रे ने शीघ्र ही मलबे में से एक नथ , सोने की बालियां और चांदी की पाजेब बरामद कर लीं—जाहिर था कि वह मलबा किसी स्त्री का था।
आंग्रे के दिमाग में यह कहानी स्पष्ट हो गई कि—किसी ने इस मकान में रहने वाले स्त्री-पुरुष को जलाकर राख कर देने की कोशिश की है , स्त्री को मलबे के ढेर में बदलने में वह कामयाब हो गया , परन्तु पुरुष बच गया।
मकान के किसी भी हिस्से से उसे हत्यारे की उंगलियों के निशान या उसके सम्बन्ध में किसी सूत्र के मिलने की आशा कम ही थी , इसीलिए कमरे से बाहर निकल आया।
आंगन पार करने के बाद गैलरी में से गुजरते वक्त अचानक ही उसकी ठोकर किसी भारी वस्तु पर पड़ी। उसने चौंककर देखा—कोयला तोड़ने वाली लोहे की एक भारी हथौड़ी थोड़ी दूर तक लुढ़कती चली गई थी।
इस हथौड़ी को उठाने के लिए आंग्रे नीचे झुका।
मगर तभी जेहन में यह विचार कौंधा कि भला गैलरी में यह हथौड़ी क्या कर रही है, इसी विचार ने उसे ठिठका दिया। उसे लगा कि हथौड़ी का निश्चय ही इस काण्ड से कोई गहरा सम्बन्ध है—सम्भव है कि हत्यारे ने ही इसका प्रयोग किया हो।
यह महसूस करते ही उसकी आंखें चमक उठीं कि इस हथौड़ी पर से उसे इस काण्ड के जन्मदाता की उंगलियों के निशान मिल सकते हैं—उसने पलटकर देखा।
गैलरी के इस सिरे से शुरू होकर आंगन के फर्श से गुजरती खून की एक रेखा पर आंग्रे की दृष्टि पड़ती चली गई—खून की यह लकीर दुर्घटनाग्रस्त कमरे के दरवाजे तक चली गई थी—हां , आंगन में पड़े दरवाजे ने उसका कुछ भाग ढक जरूर लिया था—शायद उस दरवाजे और फायर ब्रिगेड के पानी से गीले हुए फर्श के कारण ही खून की उस लकीर पर पहले उसकी नजर नहीं पड़ी थी।
फोटोग्राफर को उसने हथौड़ी तथा खून की रेखा का फोटो लेने के लिए कहा और स्वयं रेखा को घूरता हुआ , आंगन से गुजरकर कमरे के दरवाजे पर पहुंच गया।
अपना काम निपटाकर कमरे में आ गए फोटोग्राफर से आंग्रे ने पूछा— “यदि किसी बेहोश जिस्म में आग लगा दी जाए तो क्या होगा मार्श ?"
"उसे होश आ जाएगा।"
“क्यों ?” प्रश्न करने के बाद अपने आशय को और स्पष्ट करते हुए आंग्रे ने पूछा— "जब वह बेहोश है तो उसे पता कैसे लगेगा कि आग उसे जला रही है ?"
"बेहोश होना किसी की मृत्यु होना नहीं है , बेहोश व्यक्ति का सिर्फ चेतन मस्तिष्क निष्किय होता है , अवचेतन मस्तिष्क नहीं—जिस्म में होने वाली तीव्र जलन को अवचेतन मस्तिष्क महसूस करेगा और जलन जब असहनीय हो जाएगी, तो चेतन मस्तिष्क भी जाग्रत हो उठेगा और इस प्रक्रिया के होने को ही हम किसी को होश में आना कहते हैं।"
"मतलब यह कि जब आग लगाई गई , तब पुरुष बेहोश था और स्त्री बेहोश नहीं थी।"
"पुरुष के जीवित बचने से ही यह बात जाहिर है।"
चमकदार आंखों वाले आंग्रे ने कहा— "अब मेरे दिमाग में एक कहानी बन रही है, मार्श।" '
“कैसी कहानी ?"
"इरादतन मकान के अन्दर दाखिल होकर किसी ने इसकी हत्या की—हत्या के बाद हत्यारा लाश को ठिकाने लगाने की कोई तरकीब सोच ही रहा था कि पुरुष मकान में आ जाता है—घबराया हुआ हत्यारा हथौड़ी की चोट से उसे बेहोश कर देता है—पुरुष किसी को हत्यारे के बारे में न बता सके , इसीलिए हत्यारा पुरुष को भी खत्म कर लेने का निर्णय लेता है—बौखलाहट में एक ही तरकीब उसके दिमाग में आती है—बेहोश व्यक्ति को भी लाश के साथ ही राख कर देने की , क्योंकि इस तरह उसकी समझ के मुताबिक आग लगने के बाद यहां उसके विरुद्ध कोई सबूत भी बाकी रह जाने वाला नहीं था—किचन से मिट्टी के तेल की कनस्तरी लाकर वह ऐसा करता है , मगर इस फैक्ट को भूल जाता है कि बेहोश व्यक्ति आग लगाते ही होश में आ जाएगा।" कहने के बाद आंग्रे सेफ की तरफ बढ़ गया।
सेफ बुरी तरह काली पड़ी हुई और गीली थी।
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