RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
अस्पताल के कमरे में , लोहे के बेड पर पड़े व्यक्ति पर नजर पड़ते ही राजाराम के कण्ठ से ऐसी ह्रदय विदारक चीख निकल पड़ी कि जिसने अस्पताल की नींव में रखी अंतिम ईंट को भी शायद झंझोड़कर रख दिया होगा।
बुरी तरह डर गया था वह। सहमकर पीछे हट गया।
अपनी आंखों पर हाथ रख लिया था उसने।
सचमुच रूपेश का चेहरा इतना भयानक हो गया था कि उसे देखकर किसी के भी कण्ठ से चीख निकल सकती थी। चेहरा अत्यन्त ही वीभत्स हो गया था—डरावना।
उसके सारे बाल जल चुके थे। काली जली हुई गंजी खोपड़ी नजर जा रही थी—जलकर चेहरे की खाल झुलस गई थी—ऐसी नजर आ रही थी जैसे चमगादड़ की खाल हो। दायां गाल पूरी तरह जल गया था—वहीं से रूपेश का जबड़ा साफ नजर आ रहा था , ज़बड़े के लम्बे-लम्बे भयानक दांत , फफोलेदार मोटे होंठ , जलने के बाद जाने कैसे नाक एक तरफ को मुड़-सी गई थी।
बुरी तरह भयभीत होकर कांपते हुए राजाराम ने कहा— "म...मुझे यहां से ले चलो साहब , मुझसे देखा नहीं जाता—म....मुझे डर लग रहा है।"
"ध्यान से देखो उसे और पहचानने की कोशिश करो कि वह जॉनी है या रूपेश ?" इंस्पेक्टर आंग्रे ने गुर्राहट भरे स्वर में उसे आदेश दिया।
कांपते हुए विवश राजाराम को ध्यान से वह डरावना चेहरा देखना ही पड़ा , बोला— "'यह तो रूपेश बाबू हैं साहब।"
"गुड।" कहने के बाद आंग्रे नर्स की तरफ मुखातिब होकर बोला— “थैंक्यू सिस्टर , अब आप इसके चेहरे को पट्टियों से ढक सकती हैं।"
“ मेन्शन नॉट।” कहती हुई नर्स ने वे पट्टियां पुन: रूपेश के जख्मी चेहरे और सिर पर लपेटनी शुरू कर दीं—जिन्हें इंस्पेक्टर आंग्रे की प्रार्थना पर ही उसने हटाया था।
राजाराम को साथ लिए आंग्रे बाहर निकल गया—गैलरी में उसकी टुकड़ी के कांस्टेबल खड़े थे। राजाराम को उनमें से दो के हवाले करता हुआ आंग्रे बोला— “ और सुनो, इस वक्त युवती द्वारा दिए गए दस हजार इसके घर पर हैं—इसे साथ लेकर उन्हें बरामद कर लो—और सुनो , इस वक्त यह पुलिस का मेहमान है।"
"स...साहब …म...मुझे गिरफ्तार क्यों कर रहे हैं आप ? मैंने कुछ नहीं किया है।" राजाराम चीखता ही रह गया , जबकि उसके किसी शब्द पर ध्यान दिए बिना इंस्पेक्टर आंग्रे तेजी के साथ वहां से चला गया।
दो मिनट बाद अस्पताल के ड्यूटी-रूम में खड़ा वह फोन पर कह रहा था— “जरा चटर्जी को बुला दीजिए—कहिए कि आंग्रे बात करना चाहता है।"
दूसरी तरफ से शायद होल्ड करने के लिए कहा गया था , क्योंकि ये कहने के बाद आंग्रे कुछ देर तक रिसीवर कान से लगाए खड़ा रहा और कुछ देर बाद एकदम बोला—"हां चटर्जी—क्या करू रहे हो ?"
"मजे कर रहे हैं।" दूसरी तरफ से आवाज उभरी।
"क्या तुम्हारे पास इस वक्त कोई केस नहीं है ?"
“ऐसा ही समझो।"
“तो तुम फौरन यहां , अस्पताल में चले आओ।" '
"आता हूं, मगर मामला क्या है ?”
"मेरे क्षेत्र में हत्या का बहुत ही जघन्य काण्ड हो गया है—बहुत ही उलझा हुआ मामला है चटर्जी , इसीलिए यहां सारे मामले पर तुम्हारे साथ बैठकर डिस्कस करना चाहता हूं। शायद कोई नतीजा निकल आये।"
"मैं आ रहा हूं प्यारे , दिमाग की नसों को झनझनाकर रख देने वाले मामलों की तो चटर्जी को तलाश रहती है—साली इनवेस्टिगेशन करने में मजा तो आए।"
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