RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
"दोपहर के वक्त हमने एक डॉक्टर को बुलाया था।" रश्मि ने बताया— “ चैक करने के बाद उसने कहा कि वीशू को कोई बीमारी नहीं है , इस बच्चे के दिल में कोई बात बहुत गहरे तक बैठ गई है—इसे दवा या डॉक्टर की नहीं , उसकी जरूरत है जिसे यह याद कर रहा है।”
युवक चुपचाप सुन रहा था।
"डॉक्टर जानता था कि उन्हें गुजरे तीन महीने के करीब हो गए हैं , इसीलिए उसने पूछा कि आखिर आज ही बच्चे को इतना गहरा शॉक क्यों लगा है—मैँ डॉक्टर के इस सवाल का कोई उत्तर नहीं दे सकी , कहती भी क्या ?"
युवक अब भी चुप ही रहा।
ऊपर वाले कमरे में उस वक्त वे दोनों अकेले थे—रश्मि ने कुछ जरूरी बातें करने के लिए उसे वहां बलाया था। युवक आ तो गया था , मगर प्रत्येक पल यह सोचकर उसका दिल कांप रहा था कि कहीं इस अकेले कमरे में पुन: वे ही भयानक विचार उसके जेहन में न उठने
लगें।
कहीं वह जुनूनी न बन जाए।
अपने दिमाग पर नियंत्रण रखने की पूरी चेष्टा कर रहा था वह।
रश्मि ने आगे कहा— “डॉक्टर वाली यह बात मैंने तुम्हें इसीलिए बताई है , ताकि तुम समझ सको कि मैँ तुम्हें इस घर में सहन करने के लिए कितनी विवश हूं।"
युवक अब भी खामोश रहा।
"अगर तुम कोई जालसाज हो तो निश्चय ही बहुत खतरनाक हो। तुम जानते हो कि पति की मृत्यु के बाद एक नारी की सबसे बड़ी कमजोरी उसका बेटा होती है और इसीलिए तुमने वीशू को अपने वश में कर लिया है। "
"ऐ...ऐसा मत कहिए रश्मि जी—म...मैं...। "
"मुझे कहने दो।" आंखों से युवक पर ढेर सारी चिंगारियां बरसाती हुई रश्मि ने बहुत ही साफ और सपाट स्वर में कहा— "तुमने जाल ही ऐसा फेंका है कि तुम्हारे जालसाज होने की शंका के बावजूद भी , मुझे तुम्हें सहन करना ही होगा—मेरे बच्चे के प्राण अपनी मुट्ठी में कैद कर लिए हैं तुमने। "
"यह बिल्कुल झूठ है—गलत है। " युवक चीख पड़ा।
"अगर तुम सच कह रहे हो , तब भी अपने बेटे की जिन्दगी एक अजनबी के हाथ में चले जाने का दु:ख है मुझे—कोशिश करूंगी , कि उसे तुम्हारे मोहजाल से मुक्त कर सकूं। ”
"म...मेरी कोशिश भी यही होगी। "
"यह कहना मेरी विवशता है कि अगर चाहो तो वीशू के मोहजाल से मुक्त होने तक तुम यहीं रह सकते हो। "
"ध...धन्यवाद।" खुशी के कारण युवक का लहजा कांप गया। उसे लगा कि वह बच गया है। वह छोटा-सा घर—वह चारदीवारी कानून के लम्बे कहे जाने वाले हाथों से बहुत दूर है। वह छोटा-सा घर उसे बहुत ही सुदृढ़ किला महसूस हुआ।
अचानक ही रश्मि ने प्रश्न किया— “ क्या मैं तुम्हारे कपड़ों पर लगी इस बेशुमार धूल का कारण जान सकती हूं ? यहां से जाने के बाद सारे दिन कहां रहे ?”
"जिसका कोई घर न हो , वह रह भी कहां सकता है? सारा दिन एक खण्डहर हुए मकान के मलबे पर पड़ा रहा , यह धुल वही मलबा है।"
"अब तुम नीचे जा सकते हो—मगर सुनो—यहां तुम केवल तब तक रहोगे , जब तक कि वीशू तुम्हारे मोहजाल से मुक्त न हो जाए , तुम उसे मुक्त करने की कोशिश करोगे—बांधने की नहीं—यहां तुम वीशू के पापा और मांजी के पुत्र बनकर ही रहना , रश्मि का पति बनने की कोशिश कभी मत करना। "
"ऐ...ऐसा गन्दा विचार मेरे दिमाग में कभी नहीं जाएगा।"
"हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे नफ़रत करती हूं।"
युवक विचित्र नजरों से उसे देखता रहा। सचमुच उसकी आंखों से नफरत की चिंगारियां निकल रही थीं। युवक कुछ बोल नहीं सका , जबकि रश्मि ने कहा— "यहां से बाहर निकल जाओ।"
कमरे से निकलता , सीढ़ियां उतरता युवक 'मां ' की महानता के बारे में सोच रहा था— 'उफ—एक मां अपनी औलाद के लिए ऐसे जालसाज को भी सहन कर सकती है , जिससे बेइन्तहा नफरत करती हो—सिर्फ नफरत।
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