RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
न्यादर अली के फोटो को देखकर युवक के मस्तिष्क में बहुत ही जबरदस्त विस्फोट-सा हुआ। एकदम से सैंकडों सवाल उसके मस्तिष्क में चकरा गए और चाहकर भी वह अपनी नजरें न्यादर अली के फोटो से नहीं हटा सका।
"क्या बात है, सर्वेश ?" मैनेजर की आवाज सुनकर वह चौंका— "मालिक के फोटो को तुम इस तरह क्यों देख रहे हो ?”
"म......मालिक ?"
“ले....लेकिन इसमें चौंकने की क्या बात है ?"
"य...ये आपके मालिक कैसे हो सकते हैं ?"
"कमाल की बात कर रहे हो , ये ही तो हम सबके मालिक हैं—ये 'मुगल महल' होटल इन्हीं का तो है , हम सब इनके नौकर हैं।"
युवक को लगा कि उसके मस्तिष्क की नसें एक-दूसरे से बुरी तरह उलझ गई हैं , मुंह से स्वयं ही निकला— “ अजीब बात है—ये होटल इनका है ?"
"इसमें अजीब बात क्या है ?"
"मैं.......मैं तो होटल को आप ही का समझ रहा था।"
"अजीब बात तो तुम कर रहे हो सर्वेश , क्या तुम नहीं जानते हो कि मैं तो यहां सिर्फ मैनेजर हूं, होटल तो न्यादर अली का ही है।"
“सम्भव है कि याददाश्त के गुम होने से पहले यह बात मुझे मालूम हो , मगर अब इस वक्त तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे यह बात मुझे पहली बार ही पता लग रही हो—मेरी स्थिति बड़ी अजीब है सर , यदि आप सच पूछें तो इस वक्त मुझे आपका नाम तक मालूम नहीं है।"
बड़ी ही अजीब नजरों से मैनेजर उसे देखने लगा , बोला— “यह होटल इन्हीं का है , परन्तु यहां ये साल में मुश्किल से एक या दो बार ही आते हैं—इस होटल से बहुत बड़े इनके दूसरे बिजनेस फैले हुए हैं , जिन्हें ये देखते हैं—संयोग से आज होटल का हिसाब-किताब देखने यहां आए हुए हैं।"
युवक ने घबराकर पूछा— “क्या इस वक्त वे यहीं हैं ?"
“हां , अपने ऑफिस में।"
एकाएक ही युवक को जाने क्या सुझा कि उसने प्रश्न कर दिया— “ क्या सेठ न्यादर अली का बेटा भी है ?"
“ब....बेटा, नहीं तो।" मैनेजर ने बताया।
"नहीं ?”
"इनका कोई बेटा नहीं है।"
"क्या आप अच्छी तरह जानते हैं ?" चौंकते हुए युवक ने कुरेदकर पूछा— “क्या सिकन्दर नाम का इनका कोई बेटा नहीं है ?"
"अरे , एक बार कह तो दिया भाई , मगर तुम ये मनगढ़न्त नाम कहां से ले आए ? तुमसे किसने कहा कि सेठ जी का कोई बेटा है ?"
कुछ कहने के लिए युवक ने अभी मुंह खोला ही था कि 'पिंग-पिंग ' की आवाज के साथ दीवार पर लगा एक लाल रंग का बल्ब दो बार जला , चौंककर उसी तरफ देखते हुए मैनेजर ने कहा— "ओह! मालिक मुझे तलब कर रहे हैं—मैँ अभी आया—तुम यहीं रहना।"
युवक को कुछ कहने का अवसर दिए बिना ही मैनेजर उठा और फिर तेज कदमों के साथ कमरे की पिछली दीवार में मौजूद दरवाजा खोलकर दूसरी तरफ चला गया।
दरवाजा बन्द हो चुका था।
युवक का दिमाग फिरकनी के समान चकरा रहा था। ढेर सारे विचार मस्तिष्क में 'डिस्को ' कर रहे थे। एकाएक ही उसके दिमाग में यह विचार उभरा कि उसके लौटने की घटना के अजीब होने की वजह से मैनेजर इस सबका जिक्र न्यादर अली से कर सकता है—याददाश्त खोए युवक के बारे में सुनते ही सम्भव है कि न्यादर अली यहां आ जाएं।
“ ऐसा हो गया तो सारा मामला गड़बड़ हो जाएगा—मैं उस मकसद से बहुत दूर भटक जाऊंगा जिससे आया हूं। सम्भव है कि पुलिस के भी चंगुल में फंस जाऊं। ”
किसी ने कान में फुसफुसाकर कहा—'यहां से भागो बेटे...।'
युवक एक झटके से उठ खड़ा हुआ।
उसे लगने लगा था कि यदि यहां ठहरा तो कुछ ही देर बाद न्यादर अली के चंगुल में फंस जाएगा और उस अवस्था में बहुत जबरदस्त गड़बड़ भी हो सकती है। शेष बातें वह यहां आकर फिर कभी मैनेजर से कर सकता है। किसी ऐसे समय जब यहां न्यादर अली न हो।
यही निश्चय करके वह घूमा।
फिर , दरवाजा खोलकर ऑफिस से बाहर निकल आया।
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