RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
संतोष की पहली सांस युवक ने तब ली जब टैक्सी 'मुगल महल' से काफी दूर निकल आई—इस सांस के साथ ही उसने अपने अभी तक तने हुए जिस्म को ढीला छोड़ दिया और टैक्सी की पिछली सीट पर पसर गया , अब उसके जेहन में विचारों का तूफान-सा मचल रहा था।
यह जानकर उसके होश उड़ गए थे कि इस होटल का मालिक न्यादर अली है।
वह , जो उसे अपना बेटा सिकन्दर बताता था । उसके होटल का मैनेजर कहता है कि उसका कोई बेटा है ही नहीं—ऐसा तो सोचा भी नहीं जा सकता कि इस बारे में मैंनेजर को कोई गलत जानकारी होगी।
'मतलब यह कि मैं उसका बेटा नहीं हूं.....मैं सिकन्दर नहीं हूं।'
'फिर भला वह क्यों मुझे अपना बेटा साबित करना चाहता था ?'
'कोई वैसा ही चक्कर होगा जैसा रूबी का था—मैँ जॉनी नहीं हूं, मैं सिकन्दर भी नहीं हूं—फिर क्या हूं, मैं.....कौन हूं ?'
'कहीं मैं सचमुच सर्वेश ही तो नहीं हूं ?'
'कहीं वही कहानी तो सच नहीं है जो अपने मन से गढ़कर मैनेजर को सुनाई थी , रेल की पटरियों पर से मिली लाश कहीं वास्तव में ही तो किसी अन्य की नहीं थी ?'
'मगर , मेरी पीठ से मस्सा कहां गया ?'
इस सवाल का जवाब तलाश करने के लिए अपने दिमाग में कोई रास्ता खोज ही रहा था कि अचानक टैक्सी ड्राईवर ने कहा—“सर , एक टैक्सी हमारा पीछा कर रही है।"
युवक इस तरह उछल पड़ा जैसे अचानक बिच्छू ने डंक मारा हो , बोला —"क.....कहां है ?"
"हमारे पीछे।"
युवक ने पलटकर पीछे देखा , पीछे बहुत-से वाहन थे , परन्तु उनमें टैक्सी एक ही थी—मूर्ख-सा युवक अभी उसे देख ही रहा था कि ड्राइवर ने कहा— “यह टैक्सी 'होटल मुगल' से ही हमारे पीछे चली आ रही है, सर।"
टैक्सी को देखते-ही-देखते उसके जेहन में विचार उभरा कि शायद सर्वेश के हत्यारों में खलबली मच गई है।
बुरी तरह हतप्रभ स्थिति में सक्रिय हो उठे हैं।
युवक ने जेब में पड़े उस रिवॉल्वर को थपथपाया जो दुश्मन से टकराने के लिए उसने रश्मि से ले लिया था—उसे लगा कि जो वह चाहता था , वह खेल शुरू हो चुका है।
"क्या हुक्म है सर ?" ड्राइवर ने एक बार पुन: उसे चौंकाया।
"गाड़ी को अपनी साइड में लेकर खड़ी कर दो।"
ड्राइवर ने वैसा ही किया।
युवक की दृष्टि पिछली टैक्सी पर स्थित थी , उनकी टैक्सी के रुकने पर पीछे वाली टैक्सी आगे निकल गई और युवक उस टैक्सी की सीट पर केवल एक लड़की की झलक देख सका।
कोई बीस कदम आगे जाकर टैक्सी भी रुक गई।
युवक ने उस टैक्सी का दरवाजा खुलते देखा और फिर उसमें से बाहर निकली 'मुगल महल' की काउण्टर गर्ल—उसे देखते ही युवक चौंक पड़ा।
युवक को उसका नाम मालूम था—डॉली।
वह बेहिचक तेजी के साथ चलती हुई नजदीक आई। युवक ने अपना हाथ उस जेब में डाल दिया , जिसमें रिवॉल्वर था। रिवॉल्वर किसी भी समय बाहर आ सकता था , मगर उसकी जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि डॉली ने विण्डो के पास आकर कहा— “ मैं तुमसे कुछ जरूरी बातें करना चाहती हूं सर्वेश।"
"किस बारे में? ” युवक ने पूरी सतर्कता के साथ पूछा।
"तुम्हारे ही बारे में।"
एक पल कुछ सोचने के बाद युवक ने पूछा— "कहां? "
"तुम मेरी टैक्सी में आ सकते हो ?"
युवक ने पूरे सतर्क स्वर में कहा— “ नहीं , तुम्हें इस टैक्सी में आना होगा।"
"एक मिनट ठहरो , मैं अभी आती हूं।" बिना किसी हिचक के डॉली ने कहा और फिर जिस तेजी के साथ इधर आई थी , उसी तेजी के साथ अपनी टैक्सी की तरफ चली गई। अपनी टैक्सी के बाहर ही खड़ी डॉली ने पेमेंट किया और इस तरफ लौट आई।
कुछ देर बाद वह युवक की बगल में बैठी थी और टैक्सी चल दी थी—काफी देर हो गई , टैक्सी काफी दूर निकल आई , परन्तु उनके बीच खामोशी ही रही—युवक डॉली के गदराए जिस्म से उठती भीनी-भीनी खुशबू का अहसास कर रहा था।
डॉली खूबसूरत थी , ऐसी कि जिसके लिए कोई भी युवक मौत से टकराने तक का दुस्साहस कर सकता था , परन्तु सर्वेश बना वह युवक उसके सौन्दर्य-जाल में उलझकर एक पल के लिए भी असावधान नहीं होना चाहता था , अतः काफी देर से छाई खामोशी को उसने तोड़ा—"मेरे बारे में तुम क्या बात करना चाहती थीं ?"
"यहां टैक्सी में नहीं , वे बातें मैं बिल्कुल तन्हाई में करना चाहती हूं।"
युवक कुछ और ज्यादा सतर्क हो गया।
उसे लगा कि डॉली सर्वेश के हत्यारों द्वारा ही बिछाई गई शतरंज का कोई मोहरा है। इसके माध्यम से कोई जाल मेरे चारों तरफ कसा जा रहा है , डॉली की ड्यूटी शायद इस बहाने से मुझे किसी निश्चित स्थान पर पहुंचा देने की है—वहीं दुश्मन मौजूद होंगे। अत: युवक ने पूछा— “कहां बैठकर बातें करना चाहती हो ?"
"जहां तुम चाहो , मुझे केवल तन्हाई की जरूरत है।" युवक की आशाओं पर पानी फिर गया , डॉली के उपरोक्त वाक्य से जाहिर था कि वह उसे किसी निश्चित स्थान पर नहीं ले जाना चाहती है , बल्कि जहां वह चाहे, चलने के लिए तैयार है , इसका मतलब यह कि कोई साजिश नहीं है।
डॉली सचमुच उससे कुछ बातें करना चाहती है।
एक थ्री स्टार होटल के सामने युवक ने टैक्सी रुकवा ली। टैक्सी का पेमेंट करके वह डाली के साथ होटल के अन्दर प्रविष्ट हो गया।
अन्दर जाकर वह एक केबिन की तरफ बढ़ गया।
केबिन में बैठने तक युवक खुद को किसी भी खतरे से टकराने के लिए तैयार कर चुका था , कॉफी का आर्डर दे दिया था—वेटर कॉफी रखकर चला गया तो युवक ने कहा—
"यहां बिल्कुल तन्हाई है।"
"मैं जानना चाहती हूं कि तुम जीवित कैसे बच गए ?"
सर्वेश ने संभलकर पूछा —"क्या मतलब ?”
"तुम्हें जहर दिया गया था न ?”
"ज.....जहर ?"
अचानक ही डॉली की भवें सिकुड़ गईं। वह थोड़े आतंकित-से स्वर में बोली— "क्या तुम सचमुच सर्वेश ही हो ?"
"हां।" '
"तब फिर तुम जहर वाली बात पर चौंक क्यों रहे हो ?"
युवक को लगा कि अगर उसने होशियारी से काम नहीं लिया तो गड़बड़ हो जाएगी , अत: संभलकर बोला—“मैं इसीलिए चौंका हूं कि यह बात आखिर तुम्हें कैसे पता लग गई , डॉली कि उन्होंने मुझे जहर दिया था ?"
"ओह , मैंने एक बार छुपकर रंगा-बिल्ला की बातें सुन ली थीं।"
युवक के मस्तिष्क में विस्फोट-सा हुआ , पूछा— "क्या बातें कर रहे थे वे ?"
"यह कि तुम्हारे ऑफिस से उठाकर वे तुम्हें 'शाही कोबरा ' के पास ले गए और फिर 'शाही कोबरा ' तुम्हें जहर मिली बीयर पिला दी।"
"य...यह 'शाही कोबरा' कौन है?"
"मुझे सिर्फ उतना ही पता है जितना रंगा-बिल्ला की बातें सुनने से पता लगा था—उनकी बात सुनकर मैं कुल इतना ही समझ सकी कि 'शाही कोबरा' के हुक्म पर रंगा-बिल्ला तुम्हारी लाश को रेल की पटरी पर रख आए थे।"
"म...मगर मेरी लाश को रेल की पटरी पर रखने की क्या जरूरत थी ?"
"ताकि पुलिस यह समझे कि तुमने आत्महत्या की है और व्यर्थ का बखेड़ा न हो।"
एक पल चुप रहने के बाद युवक ने पूछा— "रंगा-बिल्ला की बातों से तुम्हें और क्या पता लगा ?"
"जो बता चुकी हूं उसके अलावा कुछ भी नहीं , तुम तो जानते ही हो सर्वेश कि वे कितने खतरनाक हैं—मुझे डर था कि अगर उन्होंने मुझे अपनी बातें सुनते देखा लिया होता तो मैं भी जिन्दा न रहूंगी।"
“हां , मैं जानता हूं।"
"तुम्हें देखकर पहले तो मैं यकीन ही नहीं कर सकी कि यह तुम हो , क्योंकि ख्वाब में भी नहीं सोच सकती थी कि तुम रंगा-बिल्ला के चंगुल से बच सकते हो—मुझे तो यह भी तुम्हारा सामने बैठा होना स्वप्न-सा लग रहा है—प्लीज , बताओ न सर्वेश कि तुम कैसे बच गए ?"
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