RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
एकाएक इंस्पेक्टर दीवान बोल पड़ा—"इंस्पेक्टर चटर्जी मेरे बारे में एक खास बात बताना भूल गए हैं , उसकी लाश रेल की पटरी से मैंने ही बरामद की थी , जो तुम बनने की कोशिश कर रहे हो।"
झुंझलाहट का प्रदर्शन किया युवक ने—" 'क...क्या बनने की कोशिश कर रहा हूं मैं ?"
"सर्वेश।" इंस्पेक्टर आंग्रे ने इस नाम को चबाया।
"स...सर्वेश तो मैं हूं ही।"
“हुंह—अगर तुम यह सोच रहे हो कि इस मूंछ-दाढ़ी , चश्मे और बदली हुई हेयर स्टाइल से हमें धोखा दे दोगे तो यह बहुत बचकाना ख्याल है मिस्टर सिकन्दर। " चटर्जी का एक-एक अक्षर जहर में बुझा था। वह कहता ही चला गया—"इधर देखो बेटे , इन आंखों में—ये पुलिस की आंखें हैं—एक बार जिसे देख लेती हैं, वह दोबारा इंसान के स्थान पर अगर जानवर बनकर भी सामने आए तो तुरन्त पहचान लेती हैं। "
"मेरा नाम सर्वेश है।"
"सर्वेश आज से चार महीने पहले मर चुका है।"
"वह गलत था , किसी और की लाश थी वह। "
“किसकी ?”
"मैं दावे के साथ नहीं कह सकता—शायद उसकी रही हो , जिसने मुझे लूटा था। "
चटर्जी ने चौंकते हुए पूछा— "त...तुम्हें लूटा था ?"
"हां। "
"कब , किसने ?”
हिम्मत करके युवक ने पहले ही से तैयार एक कहानी सुना दी— "उस रोज तबीयत खराब होने की वजह से आठ के स्थान पर सात बजे ही मैंने 'मुगल महल ' की अपनी सीट से छुट्टी कर ली थी और एक थ्री-व्हीलर में यहां के लिए आ रहा था कि जमना के नांव वाले पुल पर एक लुटेरे ने मेरा थ्री-व्हीलर रोका और फिर मेरे सिर पर रिवॉल्वर के दस्ते का वार किया—मैं बेहोश हो गया। "
"इस गढ़े हुए खूबसूरत ड्रामे के बीच थ्री-व्हीलर का ड्राइवर क्या कर रहा था ?"
"वह खामोश था , शायद लुटेरे से उसकी मिलीभगत हो।"
"क्या आप उस थ्री-व्हीलर का नम्बर बता सकते हैं ?"
"शायद ही कोई थ्री-व्हीलर में बैठने से पहले उसका नम्बर देखता हो।"
“खैर।" चटर्जी ने व्यंग्यपूर्वक कहा— “अच्छी और इंट्रेस्टिंग कहानी गढ़ी है तुमने—हां , तो तुम बेहोश हो गए—उसके बाद क्या हुआ ?"
"जब होश आया तो खुद को मैंने एक अंधेरी और सीलनयुक्त कोठरी में रस्सियों से बंधा पाया , मेरे मुंह पर भी टेप चिपका हुआ था और तन पर से सभी बाहरी कपड़े गायब थे। "
"वेलडन—तो तुम यह कहना चाहते हो कि तुम्हें लूटने की खुशी में वह लुटेरे तुम्हारे कपड़े पहनकर रेल की पटरियों पर जा लेटा?”
“म...मैं क्या कह सकता हूं कि ऐसा उसने अपनी किस खुशी की खातिर किया था ?"
"खैर , क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हें किसने , किस मकसद से उस अंधेरी और सीलनयुक्त कोठरी में कैद रखा ?"
"मैं उसे देख नहीं सका , क्योंकि वह हमेशा अपने चेहरे पर नकाब डालकर सामने जाता था , उसका मकसद मुझे जरूर मालूम है। "
"वही बताओ।”
“वह एक ब्लैंक बॉण्ड पेपर पर मेरे साइन चाहता था।"
“किसलिए ?”
"यह मैं नहीं जानता।"
"खैर , आपने उस पर साइन किए या नहीं ?"
"मैं पूरे तीन महीने तक अड़ा रहा , उससे कहता रहा कि जब तक मुझे वह यह नहीं बताएगा कि मेरे साइन का क्या करेगा , तब तक साइन नहीं करूंगा , मगर यह राज उसने मुझे कभी नहीं बताया और हमेशा यही कहता रहा कि जिस दिन मैं साइन कर दूंगा , उस दिन वह मुझे कैद से मुक्त कर देगा , किन्तु साइन लिए बिना हरगिज नहीं—तीन महीने बाद आखिर मुझ ही को टूटना पड़ा और उस ब्लैंक बॉण्ड पर साइन कर दिए।"
"ओह।" चटर्जी के लहजे में जबरदस्त व्यंग्य था— “तो आपको साइन करने आते हैं ?"
"क....क्यों नहीं , पढ़ा-लिखा हूं मैं। "
"खैर, साइन के बाद क्या हुआ?"
"अचानक ही जेब से रिवॉल्वर निकालकर उसने मेरे सिर पर वार किया , मैं बेहोश हो गया और इस बार जब होश में आया तो 'बुद्धा गार्डन ' के एक कोने में मैं झाड़ियों के पीछे पड़ा था।"
"यानि उसने तुम्हें छोड़ दिया था ?"
"जी हां। "
"काफी ईमानदार अपराधी था। खैर , फिर?"
"जेब में एक पैसा भी नहीं था , तन पर वे कपड़े थे , जो कैद करने के तीन दिन बाद ही उसने मुझे दिए थे , मैं बुद्धा गार्डन से पैदल ही अपने घर यानि यहीं के लिए चल दिया—राधू सिनेमा के नजदीक ही रिक्शा में स्कूल से लौटता वीशू मुझे मिल गया—घर जाने पर देखा कि रश्मि बेचारी खुद को विधवा समझ रही है—सारी दुनिया मुझे मृत समझ रही थी।"
"काफी सोच-समझकर , सुलझी हुई—खूबसूरत और ऐसी कहानी गढ़ी है तुमने कि जिसमें कोई ऐसा 'लीक ' प्वाइंट भी न रहे जिसके जरिए यह पुष्टि की जा सके कि कहानी सच है या किसी गढ़े हुए जासूसी उपन्यास से चुराकर सुनाई गई , मगर फिर भी तुम चूक गए सिकन्दर—अलग-अलग तीनों को अलग-अलग कहानी सुनाते फिर रहे हो तुम।"
"क्या मतलब ?”
" 'मुगल महल ' के मैनेजर मिस्टर साठे से तुमने कहा कि तुम्हारी याददाश्त गुम है और तुम्हें पिछला कुछ भी याद नहीं है , जबकि हमें तुम अभी-अभी सब कुछ सुना चुके हो।"
बिल्कुल सफेद झूठ बोला युवक ने— “ म...मैंने मैनेजर से याददाश्त गुम होने के बारे में कब कहा ?"
"हमें उसी ने बताया है।"
"वह झूठ बोलता है। "
"झूठ तुम बोल रहे हो , हम उसे तुम्हारे सामने लाकर खड़ा कर देंगे। "
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