RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
"जिस तरह पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा यह जानता है कि सूरज हमेशा पूरब से ही निकलता है , उसी तरह हम यह जानते हैं कि यह एक ऐसा युवक है , जिसकी याद्दाश्त एक एक्सीडेण्ट के बाद लुप्त हो गई—युवा लड़कियों को निर्वस्त्र करके उनका गला घोंटकर हत्या कर देने का जुनून सवार होता है इस पर गाजियाबाद के एक बन्द मकान में यह रूबी नाम की युवती का कत्ल कर चुका है—कत्ल ही नहीं , बल्कि सबूत मिटाने के लिए रूपेश नाम के एक जीते-जागते युवक को रूबी की लाश के साथ जलाकर खाक कर देने की कोशिश की इसने—मिट्टी का तेल छिड़ककर उन दोनों जिस्मों में आग लगा दी और वहां से भाग आया—बाद में आपके पति से शक्ल मिलने के कारण इसने आपको ठगा—उसी जघन्य काण्ड की सजा से बचने के लिए अब यह सर्वेश होने का नाटक कर रहा है।"
"यह झूठ है—यह झूठ है।" रश्मि चीख पड़ी।
"यह सब सच है रश्मि बहन और सच को साबित करने के लिए हमारे पास सबूत हैं।"
“क......कैसे सबूत ?"
चटर्जी अपने तुरुप के इक्के को अभी खोलने ही वाला था कि—
"आह …आह … उई।" युवक के हलक से चीखें उबल पड़ीं और चटर्जी के साथ सभी ने चौंककर उस तरफ देखा।
"अ . …अरे।" न केवल रश्मि बल्कि चटर्जी के हलक से भी चीख निकल गई।
जाने कैसे चाय से भरी केतली फूट गई थी और उसमें भरी जलती हुई सारी चाय युवक के दाएं हाथ पर गिरी थी , इतना ही नहीं—चाय के हाथ पर गिरते ही चीखते हुए युवक ने यह हाथ पानी से भरे जग के अन्दर डाल दिया था।
साथ ही एक बार फिर हलक फाड़कर चिल्लाया था वह।
"क...क्या कर रहे हो ?” चीखते हुए चटर्जी ने झपटकर उसकी कलाई पकड़ी और एक झटके से हाथ जग से बाहर निकाला—उफ्फ …हाथ बुरी तरह जल गया था—फफोले पड़ गए और चाय के गिरते ही हाथ पानी में डाल देने की वजह से कुछ फफोले फूट भी गए थे—सारे हाथ की खाल उतरकर झुलस गई थी—खाल के लोथड़े मलाई की तरह लटक गए थे और युवक मार्मिक ढंग से चीखे जा रहा था , उसकी कलाई पकड़े चीखते हुए युवक को चटर्जी हैरतअंगेज दृष्टि से देख रहा था—रश्मि एक अलमारी की तरफ लपकी—बरनॉल लाकर उसने युवक के जख्मी हाथ पर लगा दी।
देखते-ही-देखते उस हाथ पर एक पट्टी बंध गई।
और अब , चटर्जी समझ चुका था कि इस एक ही पल में युवक कितना खतरनाक खेल-खेल चुका है। जब पट्टी पूरी तरह बंध चुकी , तब चटर्जी ने अपने रूल के सिरे से युवक के सीने को ठोंकते हुए कहा— "आई लाइक इट यंगमैन , आई लाइक इट …अब दुनिया की कोई भी पद्धति न तुम्हारी उंगलियों के निशान ले सकती है और न ही राइटिंग के—चटर्जी मान गया कि तुम चालाक हो और चालाक जानवरों का शिकार करना चटर्जी का बहुत पुराना शौक रहा है—चालाकियों से भरा यह खेल जो तुमने शुरू किया है , वह मुझे कबूल है—तुम्हारी चुनौती स्वीकार है मुझे—बहुत दिन से चटर्जी किसी तुम जैसे मुजरिम से टकराने के लिए मचल रहा था।"
"ज.. जाने आप क्या कह रहे हैं ?"
"तुम्हारी हर अदा मुझे पसन्द आई है , फिलहाल चलता हूं—चलो, इंस्पेक्टर दीवान।"
"म मगर यह हाथ इसने जानबूझकर …।"
"प.....प्लीज दीवान , चलो।" उसकी बात बीच में ही काटकर चटर्जी ने कहा।
दीवान , आंग्रे और सिपाही , चटर्जी की इस हरकत का मतलब नहीं समझ पा रहे थे , फिर भी उसके आदेश पर सभी चल पड़े। चटर्जी ने युवक पर अंतिम दृष्टि डाली। बड़े मोहक ढंग से मुस्कराया और बोला— “मगर सुनो दोस्त , यह कोई स्थायी हल नहीं हुआ—कुछ ही दिन में हाथ ठीक हो जाएगा , नई खाल आ जाएगी—तब तुमसे लिखवाया भी जा सकेगा और इन उंगलियों के निशान भी लिए जा सकेंगे।"
"आप आखिर बताते क्यों नहीं कि बात क्या है ?"
"इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मैं तुम्हें स्थायी हल बता सकता हूं और वह यह है कि इस कम्बख्त हाथ को ही काटकर फेंक दो , न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी …वैसे भी , फांसी पर झूल जाने से हाथ गंवाना हर हालत में बेहतर है।" कहने के बाद कुछ भी सुनने के लिए वह वहां रुका नहीं , बल्कि तेज और लम्बे कदमों के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
"र...रुकिए, इंस्पेक्टर साहब।" रश्मि ने आवाज दी।
दरवाजे के बीचो-बीच चटर्जी ठिठका।
"अ...आप सबूत पेश करने वाले थे ?"
चटर्जी ने बिना मुड़े कहा— "मैं क्या पेश करने वाला था , यह उसी से पूछ लीजिएगा , जिसके लिए आप सुहागिन बनी हुई हैं , केवल एक ही सवाल कीजिएगा इससे—यह कि इसने अपना हाथ क्यों जला लिया है ?"
युवक और रश्मि अवाक्-से खड़े रह गए , जबकि चटर्जी हवा के झोंके की तरह जा चुका था।
आंग्रे के स्वर में रोष था— "तुम उसे छोड़ क्यों आए?"
"और किया भी क्या जा सकता था ?"
"हम उसे गिरफ्तार कर सकते थे , पुलिस के पास जो सबूत हैं उन्हें निष्फल करने और पुलिस को चकमा देने की कोशिश में अपना ही हाथ जला लेने का संगीन अभियोग भी लगता उस पर।"
"तुम्हारी भूल है।"
"क्या मतलब ?"
"आज हम उसे गिरफ्तार कर लेते , उसे हत्याकांड का मुजरिम साबित करने के लिए राइटिंग और उंगलियों के निशानों के अलावा हमारे पास कोई तीसरा ठोस प्रमाण नहीं है और फिलहाल कम-से-कम पन्द्रह दिन के लिए उसने इन प्रमाणों को बेकार कर दिया है , नतीजा यह है कि वह जेल नहीं जा पाता , जमानत वहीं आसानी से हो जाती और—आज तक चटर्जी द्वारा अदालत में पेश किए गए एक भी मुजरिम की जमानत नहीं हुई है।"
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