RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
“हां , मुझे जीवित देखते ही गैंग में खलबली मच गई , निश्चय ही सर्वेश को इस गैंग का कोई ऐसा राज मालूम रहा होगा , जिसके खुलने पर गैंग के बॉस डरते हैं और वह राज ही शायद सर्वेश की हत्या का कारण रहा होगा। मुझे देखते ही उन्होंने मुझे सर्वेश समझा , तुरन्त ही उन्हें यह डर था कि कहीं मैं उनका यह राज न खोल हूं और तब ही वे एक्टिव हो गए , इन पुलिस वालों को खरीदकर उन्होंने मुझे हत्या के अभियोग में गिरफ्तार कर लेने का षड्यंत्र फैला दिया।"
"तुम्हारा मतलब यह है , रूबी के मरने—रूपेश के जलने जादि का काण्ड कहीं हुआ ही नहीं है—एक काल्पनिक कहानी गढ़कर वे तुम्हें जेल में डाल देना चाहते हैं।"
"ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं। सम्भव है कि उनका बताया हुआ काण्ड कहीं हुआ हो , मगर मुझसे उनका कोई सम्बन्ध नहीं है— , उस काण्ड के मुजरिम के रूप में मुझे फंसा देने की कीमत ही इन इंस्पेक्टरों ने गैंग से ली होगी।"
“तुम भूल रहे हो कि वे तुम्हें फंसा नहीं रहे थे , बल्कि साबित कर रहे थे , शायद घटनास्थल से बरामद उनके पास तुम्हारे फिगर-प्रिन्ट्स और राइटिंग हैं , अगर ऐसा नहीं है तो जवाब दो—अपने हाथ की यह दशा क्यों बना ली तुमने ?"
“क.....क्योंकि मैं उनकी साजिश समझ गया था।"
"कैसी साजिश ?"
"तुमने भी गौर किया होगा कि बातों के बीच उनके मुंह से 'मुगल महल ' के मैनेजर मिस्टर साठे का नाम निकल गया था , निश्चय ही सर्वेश की हत्या का 'मुगल महल ' होटल से कोई सम्बन्ध है , क्योंकि रंगा-बिल्ला वहीं अक्सर आते रहते हैं और वहां से वे सर्वेश को अपने साथ ले गए थे , बल्कि मुझे तो लगता है कि मैनेजर का ही उस गैंग से कोई सम्बन्ध है।"
“क्या मतलब ?”
"ऑफिस में आज उसने मुझसे एक कागज पर साइन कराए थे , जाहिर है कि पैन और उसकी मेज पर मेरे फिंगर-प्रिन्ट्स भी रह गए होंगे—उसने राइटिंग और निशान पुलिस को दिए—साथ ही नोट देकर यह भी कहा होगा कि इसे संगीन जुर्म में फंसा दो—पुलिस इतनी जल्दी सीधी यहां पहुंच गई। इससे भी जाहिर है कि उसे मैनेजर ने ही यहां भेजा था—वक्त रहते मेरे जेहन में यह बात आ गई कि मैनेजर की मेज से लिए मेरे फिंगर-प्रिन्ट्स को पुलिस बड़े आराम से किसी ऐसे स्थान से लिए दिखाकर अदालत में पेश कर देगी , जहां जघन्य काण्ड हुआ होगा—यह विचार दिमाग में जाते ही मैंने अपना हाथ जला लिया।"
इस बार चुप रह गई रश्मि—युवक को देखती ही रह गई थी वह।
युवक समझ गया कि लोहा गर्म हो चुका है , अत: उसने भरपूर चोट की— “अगर उनमें पुलिस को खरीद लेने की क्षमता न होती तो जरा सोचो रश्मि , डॉली के अनुसार सर्वेश को जहर देकर मारा गया था , क्या पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से यह बात छुपी रह सकी होगी ?"
“उनका पोस्टमार्टम ही नहीं हुआ था।"
युवक के होंठों पर धिक्कारात्मक मुस्कान उभर आई—बोला— “ होता भी क्यों , पुलिस को तो उस गैंग ने पहले ही खरीद लिया होगा।"
ये शब्द रश्मि के जेहन पर असर कर रहे थे , यह खामोश खड़ी सुन रही थी।
युवक ने एक और चोट की— “वह सारा मामला इंस्पेक्टर दीवान के हाथ में था और वही इंस्पेक्टर दीवान आज भी यहां आया था।"
इसमें शक नहीं कि युवक के शब्दों ने रश्मि के मस्तिष्क को प्रभावित किया। वह यह सोचने पर विवश हो गई थी कि कहीं सचमुच यह सब उसी गैंग की साजिश तो नहीं थी ?
एक के बाद एक अपने तरकश के सभी तीर चलाते हुए युवक ने रश्मि को लाजवाब कर दिया था। कहना चाहिए कि सूरज की तरफ देखते हुए अच्छे-खासे दिन को रात करके दिखाया था उसने।
और अब उसने रश्मि को ठोक-बजाकर देखा—"क्या तुम्हें अब भी मेरी बातों पर यकीन नहीं हुआ है रश्मि?"
"म...मैं दुविधा में फंस गई हूं।"
"कैसी दुविधा ?”
"क्या तुम सच कह रहे हो—क्या रूबी या रूपेश नाम के व्यक्तियों से सम्बन्धित किसी हत्याकाण्ड से तुम्हारा कोई सम्बन्ध नहीं है ?"
"बिल्कुल नहीं।" इस बार युवक ने पूरी दृढ़ता के साथ कहा।
खामोशी के साथ रश्मि उसे घूरती रही। बोली—"फिलहाल मैं तुम्हारे इस कथन पर यकीन कर लेती हूं , मगर इस चेतावनी के साथ कि अगर कल हकीकत के रूप में मुझे वही पता लगा , जो पुलिस कह रही थी तो मैं तुम्हारा मुंह नोंच लूंगी।"
"जरूर—मगर...।"
“मगर ?”
"एक रिक्वेस्ट मैं भी करना चाहूंगा।"
"क्या ?”
"इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिए कि मेरे और सर्वेश के हत्यारे के बीच उनके इस हमले के साथ ही खुली जंग का ऐलान हो चुका है—मैं अपनी चालें चलूंगा—वे अपनी , और वे कोई भी चाल चल सकते हैं—मेरे और आपके बीच मतभेद पैदा करने वाली चालें भी—आपकी दृष्टि में मेरा करेक्टर गिराने की चाल भी—मैं रिक्वेस्ट करूंगा कि आप खुद को उनकी ऐसी किसी भी चाल से बचाकर रखें।"
"कोशिश करूंगी , मगर एक बात अभी भी कहूंगी, मिस्टर।" रश्मि ने कहा— “मुझे तुम्हारी बातों पर पूरा यकीन नहीं हुआ है—मैं सोचती हूं कि या तो तुम वाकई निर्दोष हो या इतने बड़े जालसाज और ठग हो जो अपनी गढ़ी हुई तर्कपूर्ण कहानियों से दिन को रात साबित कर सकता है—और अगर तुम वह हो तो निश्चय ही हत्यारे हो और कान खोलकर सुन लो कि—रश्मि अपने पति के हत्यारों से बदला लेने के लिए किसी मासूम के हत्यारे से हरगिज समझौता नहीं कर सकती।"
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