RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
'मुगल महल ' के काउण्टर पर पहुंचकर इंस्पेक्टर दीवान ने कहा— "मेरा नाम दीवान है और ये हैं इंस्पेक्टर चटर्जी—मैनेजर से कहो कि हम उनसे मिलना चाहते हैं।"
"क्षमा कीजिए।" डॉली ने कहा—“यह तो आपको बताना ही होगा कि किस सम्बन्ध मेँ ?"
दीवान ने सवालिया नजरों से चटर्जी की तरफ देखा। दीवान इस समय यूनीफॉर्म में था , जबकि चटर्जी सलेटी रंग का सूट पहने था। उसने डॉली से कहा— “क्या यहां कल सर्वेश आया था ?"
"ज...जी हां। ” कहते समय डॉली चौंक पड़ी और उसका यह चौंकना चटर्जी की पैनी निगाहों से छुप नहीं सका। सामान्य स्वर में ही उसने कहा— "उनसे कहो कि हम सर्वेश के सम्बन्ध में मिलना चाहते हैं।"
"म......मैं समझी नहीं....सर्वेश के सम्बन्ध में उनसे क्या बातें करना चाहते हैं आप ?”
चटर्जी की दृष्टि कुछ और पैनी हो गई , बोला—"हम यह जांच कर रहे हैं कि जो सर्वेश कल यहां आया था , वह सर्वेश ही था या उसकी शक्ल में कोई बहुरूपिया है?"
डॉली के होश उड़ गए—"क......क्या वह कोई बहुरूपिया भी हो सकता है?"
बहुत ही रहस्यमयी मुस्कान के साथ चटर्जी ने कहा— “क्यों नहीं हो सकता , आखिर चार महीने पहले सर्वेश ने आत्महत्या कर ली थी।"
"व......वह तो ठीक है , मगर...।"
“हमें तुमसे बातें नहीं करनी हैं।" एकाएक ही उसकी बात बीच में काटकर दीवान गुर्रा उठा— “हमारे आने की सूचना मैनेजर को दो।"
सकपकाकर डॉली ने रिसीवर उठा लिया , मैनेजर को सूचना दी—थोड़ी देर बाद रिसीवर रखते समय वह शुष्क कण्ठ से सिर्फ इतना ही कह सकी— “आप जा सकते हैं।"
"थैंक्यू बेबी—मगर मुझे दुख है कि तुम बहुत ज्यादा स्मार्ट नहीं हो।" बड़े ही अजीब अन्दाज में कहने के बाद चटर्जी दीवान के साथ मैनेजर के कमरे की तरफ बढ़ गया।
डॉली हक्की-बक्की-सी खड़ी रह गई थी।
वह चटर्जी द्वारा कहे गए अन्तिम वाक्य का अर्थ बिलकुल नहीं समझी—हां , यह प्रश्न बड़ी तेजी से उसके जेहन में कौंधा था कि सर्वेश सचमुच सर्वेश ही है या कोई बहुरूपिया ?
यह राज उसे भी पता लगना चाहिए , अत: वह मैनेजर के कमरे के बन्द दरवाजे की तरफ लपकी और अगले ही पल वह अन्दर होने वाली बातें सुन रही थी।
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"भला आपको यहां से कैसे मालूम हो सकता है कि यह सर्वेश ही है या कोई और ?" साठे ने चकित भाव से पूछा।
चटर्जी ने अपनी चिर-परिचित मुस्कान के साथ कहा— "आपके पास चार महीने पहले का वह रजिस्टर तो होगा ही , जिसमें सर्वेश अपनी ड्यूटी पर आने-जाने का समय लिखकर अपने साइन करता हो ?"
“हां , बिल्कुल है।"
"सर्वेश कैशियर था , उसके द्वारा तैयार किए गए खाते भी होंगे ?"
" 'जी , बिल्कुल हैं—मगर उनसे होगा क्या?"
"मुझे केवल यहां काम करने वाले सर्वेश की राइटिंग चाहिए , जो व्यक्ति कल यहां आया था , उसकी राइटिंग मेरे पास है—दोनों को मिलाने से गुत्थी सुलझ जाएगी।"
"ओह , वेरी नाइस।" साठे कह उठा , चटर्जी के लिए उसके चेहरे पर प्रशंसा के भाव उभर आए थे , बोला— “लेबर का हाजिरी रजिस्टर तो मेरे पास रहता ही है , संयोग से चार महीने पहले के कैश रजिस्टर भी मेरे पास हैं।"
"उन्हें निकालिए।"
साठे ने मेज पर पड़े चाबी के गुच्छे में से एक चाबी से दराज खोली और कुछ ही देर बाद चटर्जी उसके द्वारा दिए गए रजिस्टर से गवाह के स्थान पर ली गई सिकन्दर की राइटिंग मिला रहा था और मिलाते-ही-मिलाते वह बड़े गहरे अन्दाज में मुस्करा उठा।
उत्सुक साठे ने पूछा— "क्या रहा ?"
"यह सर्वेश नहीं , कोई बहुरूपिया है।"
“ब....बहुरूपिया , मगर वह यहां क्यों आया था—क्या चाहता है ?"
“यह सब तो उसकी गिरफ्तारी के बाद ही पता लगेगा , मगर हाजिरी रजिस्टर में सर्वेश के अन्तिम दिन यहां से जाते समय का कॉलम भरा हुआ क्यों नहीं है ?"
"शायद उसने तबीयत खराब होने की वजह से नहीं भरा था।"
"हो सकता है।" चटर्जी ने कहा—“अब हमारा लक्ष्य यह पता लगाना है कि खुद को सर्वेश साबित करने के पीछे उसका उद्देश्य क्या है—और उसमें आप हमारी मदद कर सकते हैं, मिस्टर साठे।"
"मैं आपके हर हुक्म का पालन करने के लिए तैयार हूं।"
"वह जब भी यहां आए , यही जाहिर करें कि आप उसे सर्वेश मानते हैं—अपनी सीट पर अगर काम करना चाहे तो वह भी उसे दे दें—पुलिस की नजर बराबर उस पर रहेगी—कोई भी प्वाइंट हाथ में आते ही हम उसे पकड़ लेंगे।"
"किसी प्वाइंट की जरूरत ही कहां रह गई है , आपने अभी कहा कि राइटिंग से क्लीयर हो चुका है , उसे गिरफ्तार कर लीजिए।”
"केवल हमारे दिमागों में क्लीयर हुआ है , अदालत में साबित नहीं किया जा सकता।"
“क्यों?”
"हम आपको बता चुके हैं कि उसने अपना हाथ जला लिया है , अत: उसकी वर्तमान राइटिंग नहीं ली जा सकती। आपके रजिस्टरों की राइटिंग को वह अपनी ही कहेगा और इस राइटिंग को जो हमारे पास है , कहेगा कि यह उसकी नहीं है , जाने किसकी राइटिंग से रजिस्टर्स में मौजूद राइटिंग को मिलाकर मुझे बहुरूपिया साबित किया जा रहा है ?”
"ओह नो!"
"अपने चार महीने गुम रहने की वजह उसने आपको क्या बताई थी ?"
"याददाश्त गुम होना।"
"वह कहता है कि उसने आपसे ऐसा कुछ नहीं कहा।"
“क...क्या मतलब ?" साठे उछल पड़ा—"व...वह बकता है , एकदम झूठ बोल रहा है वह , उसने मुझसे कहा था कि...।"
"हम जानते हैं , मगर फिलहाल उसके झूठ को साबित नहीं कर सकते।"
“ क...कमाल कर रहे हैं आप—मुझसे सामना कराइए उसका।"
चटर्जी ने उसी मुस्कान के साथ कहा— "सामना होने पर आप कहते रहेंगे कि वह झूठा है , वह कहता रहेगा कि आप—आपके पास साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं होगा , सो—बात वहीं लटकी रहेगी।"
"हद हो गई , इतना ढीठ है वह ?"
"शायद इससे भी ज्यादा , खैर—फिलहाल आपके लिए उसे सर्वेश ही समझ लेना कारगर होगा , मगर अपनी काउण्टर गर्ल से जरा सावधान रहें।"
"क...क्या मतलब ?"
"वह मुझे रहस्यमय लगती है , सम्भव है कि इस बहुरूपिए से मिली हुई हो—उसकी तरफ से सतर्क रहने की सख्त आवश्यकता है।" कहने के साथ ही चटर्जी उठ खड़ा हुआ और दीवान के साथ ऑफिस से बाहर निकल गया।
सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह थी कि इस वक्त साठे के ऑफिस की किसी भी दीवार पर सेठ न्यादर अली का फोटो नहीं लगा हुआ था।
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