RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
"बहुत ही दुख और दुख से भी कहीं ज्यादा हैरत की बात है कि उस कल के छोकरे ने बिल्ला को मार डाला—बिल्ला के मर जाने से भी कहीं ज्यादा हैरत की बात ये है रंगा कि तुम यहां जीवित खड़े हो—तुम—जिसका जोड़ीदार मर गया है—रंगा-बिल्ला को जानने वाले यही कहते थे कि वे दो जिस्म एक जान हैं।"
मंच पर मौजूद बॉस अजीब-से रोष में भरा यह सब कह रहा था। एक प्रकार से रंगा को धिक्कार रहा था वह।
पंक्तिबद्ध खड़े कम-से-कम बीस व्यक्तियों में से एक रंगा था। बिना हिले-डुले बिल्कुल सावधान की मुद्रा में खड़ा था वह। चेहरे पर दहशत के अजीब-से भाव लिए।
कुछ देर की खामोशी के बाद मंच से बॉस की आवाज पुन: उभरी— “ जवाब दो रंगा—तुम्हारे सामने बिल्ला को मारकर वह छोकरा जिन्दा कैसे निकल गया ?"
एकाएक ही रंगा गुर्रा उठा— "वह तो तुझे भी मार डालेगा हरामजादे...।"
"क...क्या बकते हो ?" बॉस दहाड़ उठा।
सचमुच रंगा के शब्दों ने वहां अणु बम के फटने से भी कहीं ज्यादा खतरनाक विस्फोट किया था। सभी चौंक पड़े—सनसनी फैल गई—हालांकि दीवारों के सहारे खड़े सैनिकों की गनें तन गई—पंक्ति में खड़े दूसरे लोगों को महसूस हुआ कि रंगा पागल हो गया है।
सभी के चेहरे पीले पड़ गए।
जबकि रंगा गुर्राया—"मैं ठीक कह रहा हूं उल्लू के पट्ठे—वह तुझे ही नहीं—तेरे उस कुत्ते 'शाही कोबरा ' को भी देख लेगा—वह परखच्चे उड़ा देगा तुम्हारे और इस अड्डे को जलाकर राख कर देगा।"
"र...रंगा …होश में तो हो तुम ?"
"होश की दवा तुझे और तेरे 'शाही कोबरा ' को करनी है हरामखोर।"
और हद हो गई थी।
वातावरण इतना तनावपूर्ण बन गया कि जिस शख्स को आज से पहले किसी ने मंच से नीचे नहीं देखा था—वही आपे से बाहर होकर मंच से कूदा।
लिबास के साथ का ही चांदी-सा चमकदार नकाब उसके चेहरे पर था।
एक ही जम्प में वह रंगा के समीप आ गया। आनन-फानन में दोनों हाथों से उसका गिरेबान पकड़कर चीखा— “कौन है तू—बोल , कौन है तू ?”
कड़वी मुस्कराहट के साथ कहा रंगा ने— “मुझे नहीं पहचाना बागड़बिल्ले ?"
“न...नहीं—तू....रंगा नहीं हो सकता—अगर तू रंगा होता तो यह सब कुछ कहने की जुर्रत नहीं कर सकता था , या फिर तू पागल हो गया है।"
"पागल तो तू हो गया है हरामजादे। अगर खैरियत चाहता है तो उससे टकराने का ख्याल दिमाग से निकाल दे—वह तेरे सारे खानदान को..।"
"आह!" रंगा के आगे के शब्द एक चीख में बदल गए।
बॉस का फौलादी घूंसा उसके जबड़े पर पड़ा था। घूंसा हालांकि काफी शक्तिशाली था , परन्तु रंगा बम के डर से लड़खड़ाया तक नहीं। सावधान की उसी मुद्रा में खड़ा हुआ बोला— “ अगर जिन्दा रहना चाहता है सूअर तो मुझसे दूर रह।"
“क..क्या बकता है तू ?"
“मेरी पीठ पर एक बम है—अगर मैं जरा भी हिसा-डुला तो यह फट जाएगा—मेरे तो परखच्चे उड़ेंगे ही , साथ ही मेरे आसपास खड़ा कोई भी जिन्दा नहीं बचेगा।"
रंगा के इर्द-गिर्द खड़े लोग उससे परे सरक गए।
जबकि बॉस दोनों हाथों से उसका गिरेबान पकड़कर झिंझोड़ता हुआ चिल्लाया—“क्या बकता है कुत्ते—कैसा बम ?"
रंगा जानता था कि यहां जितनी भी बातें हो रही हैं , युवक वे सब सुन रहा है और अब यदि उसने बॉस को आतंकित नहीं किया तो इस हॉल से नहीं निकल सकेगा , अत: संक्षेप में उसने बॉस को बम के बारे में सब कुछ बता दिया।
सुनकर सचमुच बॉंस भी उससे दूर हट गया। अगले ही पल उसके हाथ में रिवॉल्वर नजर आया। बोला— "तो यहां , यह सब कुछ कहने के लिए तुमसे उसने कहा था और बम के डर से तुम कहते चले गए ?"
रंगा ने अजीब-से स्वर में कहा— “वह बम अगर तेरी पीठ पर होता कुत्ते तो तू भी उसी तरह नाचता जैसे वह नचाता।"
उत्तेजना के कारण निश्चय ही बॉस का हाल बुरा हो रहा था।
रिवॉल्वर तानकर वह गुर्राया— “ अपनी वैल्ट खोलो।"
"म...मैं नहीं खोलूंगा।"
"जिस किस्म के बम की बात तू कह रहा है रंगा , वैसे करामाती बम के बारे में न हमने कभी सुना है-न देखा है और कम-से-कम यह बात तो हमारे कण्ठ से नीचे उतर ही नहीं पा रही है कि ऐसा बम उस बहुरूपिए के पास हो सकता है—सम्भव है कि तुझे आतंकित करने के लिए उसने यह सारी बकवास की हो—अगर सच यही हुआ तो बैल्ट खोलने पर तू जिन्दा भी बच सकता है , लेकिन यदि तूने हमारे इस वाक्य की समाप्ति पर भी बैल्ट नहीं खोली तो हमारे रिवॉल्वर से निकली गोली निश्चय ही तेरा भेजा उड़ा देगी।"
रंगा के दिमाग में बात बैठ गई।
जेहन में विचार उभरा कि मरना तो अब दोनों हालत में निश्चित हो गया है। मरने से पहले क्यों न यह जान ले कि बम में वह करामात है या नहीं। अतः उसने बैल्ट खोल दी।
वेस्ट के ढीली होते ही सरसराता हुआ बम पतलून के एक पांयचे के अन्दर से होता हुआ 'पट ' से हॉल के फर्श पर गिरा। थोड़ी दूर लुढ़का और फिर रुक गया।
बल्कि बॉस समेत प्रत्येक की दृष्टि उसी पर केन्द्रित थी।
रंगा को बम के अभी तक न फटने पर आश्चर्य था।
तभी 'पिंग …पिंग' की आवाज के साथ बम में हरा बल्ब लपलपाया।
"य...ये देखो बॉस—उसने स्विच दबाया होगा।”
“यह बम नहीं कमीने।" बॉस ने आगे बढ़कर बेहिचक उसे उठा लिया और अगले ही पल उसने बम जैसी वस्तु को उछाल दिया—अण्डा दो भागों में विभक्त हो गया।
दूसरे भाग में एक 'चकरी ' धीरे-धीरे घूम रही थी। इस चकरी का एक भाग थोड़ा उभरा हुआ था। एक नन्हें से बल्ब का कनेक्शन दो छोटे तारों के जरिए सेल्स से जुड़ा हुआ था—उसे समझने की कोशिश में पांच मिनट गुजर गए।
'पिंग-पिंग' की आवाज के साथ हरा बल्ब पुन: जला।
"यह बम नहीं कुत्ते , खिलौना मात्र है। ” बॉस गुर्राया—"सेल अपने खांचों में ढीले हैं। घूमती हुई चकरी पांच मिनट में अपना चक्कर पूरा करती है—प्रत्येक पांच मिनट बाद चकरी का उभरा हुआ भाग खांचों को कस देता है और बल्ब जल उठता है। न इसमें कोई माइक्रोफोन है और न ही किसी स्विच से इसका सम्बन्ध है।"
रंगा का मुंह हैरत से फटा रह गया।
"हुं।" उसे एक तरफ़ फेंकते हुए बॉस ने कहा— “इसमें न कोई ऊष्मारहित प्वाइंट है , न ही ऊष्मा से फट पड़ने का कोई गुण—इस खिलौने के डर से तूने हमें...।"
“मु......मुझे माफ कर दो बॉस , मैं समझा कि यह बम...।"
"धांय-धांय।” बांस का रिवॉल्वर दो बार गरजा , उसका न सिर्फ वाक्य अधूरा रह गया , बल्कि हृदयविदारक चीख के साथ वह कटे वृक्ष-सा वहीं गिर गया।
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