RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
उस चौंका देने वाले रहस्य के खुलने पर काफी गहमा-गहमी के बाद हॉल में अब सन्नाटा व्याप्त था और उस वक्त तो सन्नाटा कुछ और ज्यादा बढ़ गया , जब मंच पर हॉल में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को 'शाही कोबरा ' यानि वही युवक नजर आया—कुछ ही देर पहले जिसके मरने की तैयारियों थीं—इस वक्त उसके कन्धों पर बेहोश साठे था। जिस्म पर वही चमकीला लिबास , परन्तु नकाबरहित चेहरा।
मंच ही से पूरी बेरहमी के साथ सिकन्दर ने साठे को हॉल के फर्श पर फेंक दिया , बोला— “इसे उसी थम्ब के साथ बांध दो , जिसके साथ तुम सबको धोखे में डालकर इसने हमें बंधवा दिया था।"
रूपेश के साथ अन्य तीन व्यक्ति इस आदेश का पालन करने में जुट गए।
मंच पर खड़े सिकन्दर ने ऊपर लटक रहे विशेष को देखा , उसी स्थिति में लटका हुआ अब तक यह बेहोश हो चुका था। सिकन्दर की आंखों के सामने रश्मि का चेहरा नाच उठा।
विशेष को यहां से उतारने का हुक्म जारी करते ही चार व्यक्ति उस हुक्म का पालन करने में जुट गए और दस मिनट बाद ही विशेष के बेहोश जिस्म को मंच पर पहुंचा दिया गया। विशेष को लिए सिकन्दर मंच का दरवाजा पार करके संकरी गैलरी से गुजरकर खूबसूरती से सजे कमरे में पहुंचा।
डेस्क का एक बटन दबाते ही कमरे की बाईं दीवार में एक दरवाजा प्रकट हो गया। विशेष को गोद में लिए सिकन्दर उस कमरे में पहुंचा , कमरे में मौजूद बेड पर उसने आहिस्ता से विशेष को लिटा दिया।
विशेष के मासूम चेहरे पर नजर पड़ते ही सिकन्दर के दिल में जाने कैसे अरमान मचले कि उसने झुककर विशेष को चूम लिया—फिर उस मासूम बच्चे को किसी दीवाने के समान सिकन्दर चूमता ही चला गया—आंखें भर आईं उसकी।
फिर तेजी के साथ कमरे से बाहर निकला। डैस्क पर मौजूद बटन को ऑफ करते ही दरवाजा बन्द हो गया—वह तेज कदमों के साथ मंच पर पहुंचा।
साठे को थम्ब के साथ बांधा जा चुका था।
हॉल में मौजूद एक-एक व्यक्ति पर नजर डालने के बाद सिकन्दर ने 'शाही कोबरा ' वाली आवाज़ में कहा— "आप सब लोग चकित होंगे कि यह सब क्या और कैसे हो गया है , 'शाही कोबरा ' होने के बावजूद मैं उस थम्ब तक कैसे पहुंच गया—संयोग से मेरी शक्ल तो आप देख ही चुके हैं , मगर नाम अभी तक नहीं जानते , मैं अपनी एक लम्बी कहानी बहुत संक्षेप में सुनाता हूं, इस कहानी में आप लोगों को उन हर सवालों का जवाब मिल जाएगा जो आप लोगों के जेहन में चकरा रहे हैं।"
हॉल में खामोशी छाई रही , साठे अभी तक बेहोश था।
"मैं बहुत ही विचित्र व्यक्ति हूं—खुद को विचित्र सिर्फ इस मायने में कह रहा हूं कि मैंने एक ही जन्म में दो जिन्दगियां जी हैं—एक अपनी वास्तविक जिन्दगी , दूसरी वह जो याददाश्त खोने के बाद मैंने जी—और दुर्भाग्य की बात यह है कि वे दोनों ही जिन्दगियां गुनाहों से भरी हैं।"
वह सांस लेने के लिए रुका , हॉल में ऐसी खामोशी थी कि चींटी के रेंगने तक की आवाज सब सुन सकें। सिकन्दर ने आगे कहा— "मेरे ख्याल से हर व्यक्ति अपने जन्म के साथ ही कोई खास प्रवृत्ति, गुण या आर्ट लेकर पैदा होता है , उसे हम "गॉड गिफ्ट ' अर्थात प्रकृति द्वारा दिया गया तोहफा कहते हैं—मेरा नाम सिकन्दर है और मैंने इस होटल के मालिक यानि न्यादर अली के घर जन्म लिया—आप सभी जानते हैं कि न्यादर अली एक करोड़पति हस्ती थी और उसके बेटे को कम-से-कम दौलत के लिए कोई गैरकानूनी काम करने की जरूरत नहीं थी , परन्तु 'गॉड गिफ्ट ' के रूप में शायद मुझे 'अपराध प्रवृत्ति ' मिली थी। तभी तो जवान होते ही मैंने इस गैंग का गठन किया।"
सभी धड़कते दिल से 'शाही कोबरा ' का बयान सुन रहे थे।
सिकन्दर ने आगे कहा—"मेरे डैडी का बहुत बड़ा बिजनेस है , इतना ज्यादा फैला हुआ कि यह 'मुगल महल' तो उस बिजनेस का एक जर्रा है—वे साल में यहां मुश्किल से दो या तीन बार ही आते थे—और मुझे यानि अपने मालिक के लड़के को तो 'मुगल महल ' के स्टॉफ ने कभी देखा ही नहीं था—न्यादर अली होटल का बिजनेस नहीं करना चाहते थे—मैंने ही जिद करके इस होटल का निर्माण कराया—होटल का बिजनेस करना मेरा मकसद भी नहीं था—मेरी 'गॉड गिफ्ट ' मुझे जुर्म करने के लिए उकसा रही थी और उसी मकसद से मैंने 'मुगल महल' के नीचे यह तहखाना बनवाया—साठे मेरा कोलिज का दोस्त है , यह भी अपराध प्रवृत्ति का है , अत: डैडी से कहकर मैंने उसे प्रत्यक्ष में 'मुगल महल ' का मैनेजर बनवा दिया —औरों को इस बात की भनक भी नहीं थी कि होटल के नीचे हमने कुछ खिचड़ी पकने के लिए एक तहखाना भी बनवाया है।
"हम दोनों ने मिलकर एक गैंग खड़ा कर लिया , आर्थिक रूप से कमजोर न होते हुए भी मैंने 'गॉड गिफ्ट ' से विवश होकर स्मगलिंग शुरू कर दी—मैँ 'शाही कोबरा ' बन गया—साठे को बॉस यानि गैंग का दूसरे नम्बर का लीडर बना दिया—आप लोग मुझे मेरी आवाज से पहचानते थे—मैं यहां कभी-कभी आया करता था—वह भी छुपकर—एक गुप्त दरवाजे के माध्यम से होटल में मैं कभी नहीं आया—यही डैडी भी समझते थे—आप सब लोग मेरे हुक्म के पाबन्द थे—भले ही वह अक्सर साठे के द्वारा मिलता हो।
"मेरी एक बहन भी थी—सायरा मैं उससे बेइन्तहा प्यार करता था , मगर एक सुबह उसके कमरे में उसकी निर्वस्त्र लाश पाई गई—फर्श पर पड़ी आंखें फाड़े मेरी सायरा कमरे की छत को घूर रही थी—किसी ने गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी थी और मैं उस हत्यारे से बदला लेने के लिए पागल हो उठा—मगर बदला लेता कैसे—किससे—मुझे नहीं मालूम था कि सायरा को क्यों और किसने मारा है—बदला लेने के लिए तड़पता हुआ मैं अपने उद्गार साठे के सामने व्यक्त करता रहता , यह हकीकत तो मुझे काफी समय गुजर जाने के बाद पता लगी कि सायरा का हत्यारा मेरा दोस्त , मेरा विश्वसनीय साठे ही था।"
"स...साठे ?' हॉल में मौजूदा सभी लोगों के मुंह से हैरत में डूबा स्वर निकला और सबकी नजर थम्ब के साथ बंधे साठे की तरफ उठ गई।
“हां—साठे ही ने सायरा की हत्या की थी , खैर।" एक ठण्डी सांस भरते हुए सिकन्दर ने कहा—"इस कहानी का बाकी हिस्सा मैं आप तीनों को एक अन्य छोटी-सी कहानी सुनाने के बाद सुनाऊंगा और यह छोटी-सी कहानी यह है कि एक दिन साठे ने मुझे बताया कि सर्वेश नाम का एक हू-ब-हू मेरी शक्ल का युवक 'मुगल महल ' में निकली कैशियर की वैकेन्सी के लिए इन्टरव्यू देने आया था—साठे ने मुझे उसका फोटो दिखाया तो मैं दंग रह गया—सचमुच सर्वेश और मैं एक ही कार्बन से बने पोजिटिव थे—सर्वेश को नौकरी दे दी गई—धीरे-धीरे हमने उसे इस गैंग में शामिल कर लिया—मैंने और साठे ने सोचा था कि यदि कभी दुर्भाग्य से पुलिस के हाथ " 'शाही कोबरा '' का फोटो लग गया तो हम सर्वेश की लाश कानून तक पहुंचा देंगे—उन हालात में कानून को चकमा देने के लिए मुझे सर्वेश भी बनना पड़ सकता है , इसीलिए मैंने सर्वेश के हाव-भाव , चाल-ढाल और बातचीत करने के अन्दाज को रीड करके उनकी नकल करने की प्रैक्टिस शुरू की—मुझमेँ और सर्वेश में एक बड़ा फर्क यह था कि वह 'राइट हैण्डर ' या और में लैफ्ट हैण्ड , किन्तु प्रैक्टिस के बाद मैं भी सीधे हाथ का उपयोग उतने ही स्वाभाविक ढंग से करने लगा , जितने स्वाभाविक ढंग से बाएं हाथ का करता था—मैँ मुसलमान हूं—किसी मुसीबत के समय मुंह से "खुदा" ही निकलता था और प्रैक्टिस के बाद मेरी जुबान इतनी 'रवां ' हो गई कि स्वाभाविक रूप से मेरे मुंह से हे 'भगवान ' ही निकलने लगा—कहने का मतलब यह कि अब मैं समय पड़ने पर खुद को कभी भी सर्वेश साबित कर सकता था। मगर जैसा सब कुछ सोचकर मैं और साठे सर्वेश को गैंग में लाए थे , वैसा समय कभी आया ही नहीं और उससे पहले ही हुआ यह कि सर्वेश इस भेद को जान गया कि गैंग का बॉस मैनेजर साठे है—हमारे लिए सर्वेश को खत्म कर देना जरूरी हो गया और तब , आप जानते ही हैं कि मैं उसे मंच के पीछे अपने 'सीक्रेट रूम ' में ले गया—उस वक्त मेरे चेहरे पर नकाब था , अत: वह नहीं देख सकता था कि मेरी शक्ल उससे मिलती है—मैंने उसे यह आश्वासन देते हुए बीयर पिलाई कि अगर वह साठे के बारे में किसी को कुछ नहीं बताएगा तो उसे एक करोड़ रुपया दिया जाएगा—यह सौदा उसने स्वीकार कर लिया था , किन्तु किस कम्बख्त को उसे एक करोड देने थे—बीयर में ऐसा जहर था , जिसे पीने के दस मिनट बाद ही वह मर गया और तब मैंने उसकी लाश रंगा-बिल्ला को रेल की पटरी पर डाल आने का हुक्म दिया—उसके चेहरे को क्षत-विक्षत कर देने का उद्देश्य यह था कि कहीं मेरे परिचित उसे मेरी ही लाश न समझ लें।"
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