RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
“आई लव यू अलफांसे—आई लव यू!” अगली रात करीब नौ बजे डायनिंग टेबल पर बैठी इर्विन ने जब ये चन्द शब्द कहे तो अलफांसे के दिल में एक संगीत-सा गूंज उठा—मस्तिष्क की नसों में उथल-पुथल होने लगी—इर्विन की बात के जवाब में एकाएक ही वह कुछ कह न सका—स्वयं को सामान्य दर्शाने के लिए उसने ‘एलिजाबेथ’ के डायनिंग हॉल में इधर-उधर देखा।
अपने में व्यस्त बहुत–से जोड़े डिनर ले रहे थे।
‘कैण्डिल लाइट डिनर’ यानि प्रत्येक मेज पर एक मोमबत्ती टिमटिमा रही थी—वैसी ही एक मोमबत्ती इर्विन और अलफांसे के बीच टेबल पर रखे एक स्टैण्ड पर भी मौजूद थी।
“क्या सोचने लगे मिस्टर अलफांसे?”
उसने चौंककर इर्विन की तरफ देखा।
मोमबत्ती की लौ के करीब इर्विन का खूबसूरत चेहरा दमक रहा था, इस वक्त वह कल दिन की अपेक्षा कहीं ज्यादा सुन्दर नजर आ रही थी, बोला—“कुछ नहीं!”
“कुछ तो जरूर सोच रहे हैं आप?”
“सिर्फ यही कि तुम्हारी बात का क्या जवाब दूं?”
“क्या आप मुझसे प्यार नहीं करते?”
अलफांसे ने कहा—“यदि मैं ऐसा कहूं तो वह झूठ बोलना होगा।”
“गुड! इसका मतलब आप भी मुझसे प्यार करते हैं?”
एक मिनट चुप रहा अलफांसे, मानो अपने दिमाग में बिखरे विचारों को समेट रहा हो, बोला—“तुमने मेरे बारे में बहुत कुछ पढ़ा और सुना है इर्विन—क्या तुमने यह भी पढ़ा या सुना है कि अलफांसे ने किसी लड़की में दिलचस्पी ली?”
“नहीं...!”
“तो फिर तुमने कैसे सोच लिया कि अलफांसे तुममें दिलचस्पी ले सकता है?”
“यह जरूरी तो नहीं कि जिसने कभी किसी लड़की में दिलचस्पी न ली हो, वह कभी किसी को प्यार ही न कर सके—प्यार जब होता है तो वह किसी को सोचने-समझने का मौका नहीं देता।”
“इन्हीं शब्दों को मैं यूं कहता हूं कि प्यार अच्छे-खासे विवेकशील व्यक्ति को मूर्ख बना देता है।”
“क्या मतलब?”
“वैसा ही कुछ तुम्हारे साथ भी हो रहा है, तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं कौन हूं—क्या हूं और फिर भी कह रही हो कि तुम मुझसे प्यार करती हो—यह मूर्खता नहीं तो और क्या है?”
“कम-से-कम मैं तुममें ऐसी कोई कमी महसूस नहीं करती, जो मुझे तुमसे प्यार करने से रोके।”
“क्या तुम जानती हो इर्विन कि मैंने कभी किसी लड़की में दिलचस्पी क्यों नहीं ली?”
“बता दो।”
“मैं एक मुजरिम हूं, ऐसा जिसके हजारों दुश्मन हैं-पता नहीं किस क्षण किधर से एक गोली आए और मेरे प्राण पखेरू उड़ा दे—ऐसी अवस्था में किसी को अपना बना ही कैसे सकता हूं—मैं नहीं चाहता कि मेरी लाश पर कोई एक भी आँसू गिराए।”
“वादा करती हूं कि ऐसा होने पर इर्विन की आंखों से कोई आंसू नहीं गिरेगा।”
“इ...इर्वि!” अलफांसे के कंठ से एक चीख–सी निकल गई।
“अब तो आप मुझे स्वीकार करेंगे न?”
“उफ्फ!” अलफांसे मानो किसी जाल में उलझ गया हो, बोला—
“तुम समझती क्यों नहीं इर्वि—मैं बहुत बदनाम आदमी हूं—अन्तर्राष्ट्रीय अपराधी—कोई भी शरीफ पिता अपनी बेटी का मुझसे ऐसा सम्बन्ध स्वीकार नहीं कर सकता—और फिर मिस्टर गार्डनर तो यूं भी इंग्लैण्ड के एक बहुत ही सम्मानित नागरिक हैं, उच्चाधिकारी हैं, वो तो किसी भी हालत में इस सम्बन्ध को स्वीकर नहीं करेंगे।”
“वह मुझसे बहुत प्यार करते हैं, मेरी जिद के आगे उन्हें झुकना ही होगा।”
“तुम्हारी इस जिद के आगे वह हरगिज नहीं झुकेंगे।”
“उन्हें झुकना होगा अलफांसे—वह जानते हैं कि उनकी बेटी बहुत जिद्दी है और यह भी कि मैं बालिग हूं—बिना उनकी सहमति के भी चर्च में हमारी शादी हो सकती है।”
“बिना उनकी सहमति के मैं शादी नहीं कर सकूंगा।”
“क्यों?” इर्विन चौंकी।
“मैंने अपनी जिन्दगी का ज्यादातर हिस्सा भारत में व्यतीत किया है, ज्यादातर वहीं मेरे हमदर्द और दोस्त हैं, मुझ पर भारतीय संस्कृति की छाप है और वहां के युवक-युवती बड़ों के आशीर्वाद के बिना शादी नहीं करते।”
“ओह!” इर्विन के मस्तक पर चिंता की लकीरें उभर आईं।
अलफांसे उत्सुक भाव से उसे देखता रहा, कुछ सोचने के बाद अगले ही पल इर्विन पूरी दृढ़ता से बोली—“यदि ऐसा है तो मैं वादा करती हूं अलफांसे, किसी भी तरह डैडी को इस शादी के लिए तैयार करके रहूंगी।”
अलफांसे ने इतना ही कहा—“शायद सफल नहीं होगी इर्वि!”
इर्विन के चेहरे पर जिद के-से भाव उभर आए।
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