RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
उसका चेहरा ही ऐसा था जिसे देखकर किसी भी अच्छे-खासे व्यक्ति के जिस्म में मौत की तरंगें नाच उठें—मुर्दे जैसा पीला और निस्तेज चेहरा, झुकी हुई लम्बी मूंछें, फ्रेंचकर दाढ़ी, छोटी किन्तु बेहद चमकीली आंखें, जिस्म की एक-एक हड्डी स्पष्ट चमक रही थी।
पुराने पाठक इस हुलिए से ही समझ सकते हैं कि वह कौन है?
हां, अपने नए पाठकों के लिए मुझे यहां उसका नाम जरूर लिखना पड़ेगा—इस पतले-दुबले और लम्बे व्यक्ति का नाम सिंगही है!
जी हां, सिंगही!
उपरोक्त पंक्ति में शायद ‘व्यक्ति’ लिखकर मैंने भूल की है—सिंगही को व्यक्ति नहीं, शैतान लिखना चाहिए—इस युग का सबसे बड़ा शैतान।
अपराध जगत का बेताज बादशाह माना जाता है उसे। उसका केवल एक ही ख्वाब है, विश्व विजय करना—एक ही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वह भयंकर से भयंकर अपराध करता है और उसका एक ही लक्ष्य है—दुनिया को जीतना, सारी दुनिया पर अपनी एकछत्र हुकूमत कायम करना—भले ही इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। अनेक बार वह अपने लक्ष्य के करीब तक पहुंच चुका है—परन्तु हरेक बार अपनी हल्की-सी चूक या दुर्भाग्य के कारण उसे असफल रह जाना पड़ा—फिर भी, उसने कभी शिकस्त स्वीकार नहीं की—प्रत्येक पराजय के बाद मुहम्मद गौरी की तरह उसने फिर से असीम शक्ति समेटकर दुनिया पर आक्रमण किया है।
सिंगही के दिमाग में केवल विनाशकारी बातें ही आया करती थीं, वह स्वयं वैज्ञानिक था और दूसरे वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ऐसे-ऐसे आविष्कार करता, जिनके बूते पर दुनिया में विध्वंस फैला सके—दुनिया को अपने कदमों मैं झुका सके।
इस वक्त वह अपने गुप्त अड्डे की प्रयोगशाला में मौजूद था, चारों तरफ प्रयोग डेस्कें और वैज्ञानिक उपकरण नजर आ रहे थे—सिंगही के सामने एक अन्य बूढ़ा व्यक्ति खड़ा था, हुलिए से ही वह व्यक्ति कोई वैज्ञानिक नजर आता था।
वैज्ञानिक सरीखे व्यक्ति ने अभी-अभी पूरे सम्मान के साथ कहा था—“खादनाशक दवा तैयार है महामहिम!”
“क्या तुम हमें उसका प्रयोग दिखा सकते हो?” सिंगही का आवाज ऐसी थी मानो सदियों पहले मर चुके किसी व्यक्ति के मुंह से निकली हो।
“बेशक महामहिम!”
“चलो!” कहने के साथ ही सिंगही आगे बढ़ गया, ऐसा लगा जैसे अचानक ही कोई लाश कब्र से निकलकर चल पड़ी हो, वैज्ञानिक उसके पीछे था। चलते हुए ही सिंगही ने कहा—“अगर तुम सचमुच ‘खादनाशक’ दवा बनाने में कामयाब हो गए हो प्रोफेसर बाटले तो हम वादा करते हैं कि विश्व सम्राट बनने पर तुम्हीं को अपना मंत्री नियुक्त करेंगे।”
“आप इस दुनिया के सबसे उदार व्यक्ति हैं महामहिम!” उसके पीछे बढ़ते हुए प्रोफेसर बाटले ने पूरे सम्मान के साथ कहा।
पांच मिनट बाद ही वे एक ऐसे हॉल में पहुंच गए, जहां हॉल के बीचोबीच लोहे के एक बहुत बड़े स्टैण्ड पर दस फीट का वर्गाकार लोहे का कढ़ाव रखा था, कढ़ाव में करीब एक फुट की गहराई में मिट्टी भारी हुई थी और उस मिट्टी में गेहूँ के हरे-हरे बाल उगे हुए थे—संक्षेप में यह कह देना काफी है कि वह दस फीट का वर्गाकार, गेहूं की फसल से लहलहाता कृत्रिम खेत था—बालों में कसे गेहूं करीब-करीब पूरी तरह पक चुके थे।
दाईं तरफ स्टैण्ड पर परखनली झूल रही थी, नली में कोई गाढ़ा-सा तरल पदार्थ था।
उसने एक बटन दबाकर स्क्रीन ऑन की।
स्क्रीन पर एक गुफा का मुंह उभर आया, वह सिंगही के इसे अड्डे का मुख्य द्वार था—दार पर विशेष वर्दी में दो सशस्त्र व्यक्ति मुस्तैदी से खड़े नजर आ रहे थे—सिंगही उन्हीं को देखता हुआ कृत्रिम खेत के समीप आ गया। उधर से हाथ में परखनली लिए प्रोफेसर बाटले खेत के समीप आ गया, बाटले ने हाथ लम्बा किया और बोला—“देखिए!”
परखनली में भरा द्रव्य उसने खेत में डाल दिया।
फिर वे दोनों ही उत्सुक और दिलचस्प निगाहों से खेत की ओर देखने लगे और उनके देखते-ही-देखते खेत की मिट्टी काली पड़ती चली गई, बिल्कुल उसी तरह जैसे कोयले का चूरा हो—बीस मिनट गुजरते-गुजरते खेत में खड़े गेहूं के हरे-भरे बाल सूखकर पीले पड़ने लगे और दस मिनट बाद ही मुरझाकर काली मिट्टी में गिर पड़े।
“ग...गुड, वैरी गुड बाटले।” सिंगही की आंखों में जबरदस्त चमक थी।
“सारी फसल नष्ट हो गई है महामहिम!” बाटले का स्वर खुशी के कारण कापं रहा था।
“हम देख रहे हैं—हा....हा...हा...हम देख रहे हैं प्रोफेसर!” कहने के साथ ही सिंगही पागलों की तरह ठहाका लगा उठा, ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई मुर्दा हंस रहा हो, ठहाकों के बीच वह कहता ही चला गया—“तुमने कमाल कर दिया बाटले—सचमुच—कमाल कर दिया तुमने!”
“एक एकड़ खेत को तबाह करने के लिए एक औंस ही काफी है महामहिम!”
“व...वैरी गुड प्रोफेसर—हम तुमसे बहुत खुश हैं—अब तुम्हें यह दवा बहुत अधिक मात्रा में बनानी है, इतनी अधिक मात्रा में कि हम सारी दुनिया में होने वाली, अगले सीजन की गेहूं की समूची फसल को नष्ट कर सके—हा...हा...हा...अगले सीजन की गेहूं की सारी फसल नष्ट हो जायगी—सारी दुनिया में एक भी व्यक्ति के लिए गेहूं का एक दाना भी नहीं होगा—हा...हा...हा...और जब दुनिया को यह मालूम पड़ेगा कि ऐसा सिंगही ने किया है तो दुनिया सिंगही के कदमों में आ गिरेगी—हा...हा....हा...इस बार दुनिया को सिंगही की महानता स्वीकार करनी ही होगी।”
“उतनी मात्रा में दवा तैयार होने में अभी समय लगेगा महामहिम!”
“कितना समय?”
“करीब छह महीने!”
“हमें फिक्र नहीं है, छह महीने इन्तजार कर सकते हैं। तुम अपने काम में जुट जाओ प्रोफेसर—इस दवा के अलावा दुनिया को झुकाने के लिए हमें और भी बहुत-सी तैयारियां करनी होंगी, वे सब तैयारियां करने में हमें भी करीब इतना ही समय लग जाएगा।”
“लेकिन जब दुनिया में कहीं गेहूं होगा ही नहीं महामहिम, तब भला आप अपनी अधीनता स्वीकार कर लेने वाले व्यक्तियों या राष्ट्रों को जीवित कैसे रख सकेंगे?”
“उसकी तुम फिक्र मत करो, इन छह महीनों में हमें ऐसी संभावनाओं पर गौर करके उनका हल निकालना है, वह हम कर लेंगे।”
अभी सिंगही का वाक्य समाप्त हुआ ही था कि—
“ऐ, कौन हो तुम—इधर कहां बढ़े चले आ रहे हो, वहीं रुक जाओ वरना गोली मार दूंगा।” यह कड़ाकेदार आवाज हॉल में गूंज उठी—सिंगही और बाटले ने एक साथ चौंककर स्क्रीन की तरफ देखा।
वह आवाज टी.वी. सैट से निकलकर ही इस कमरे में गूंजी थी।
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