XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
05-22-2020, 02:41 PM,
#12
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
आलू के परांठों का नाश्ता निपट चुका था, विजय ने तो नाश्ते के नाम पर एक तरह से लंच ही ले लिया था—यह जानकर रैना को खुशी हुई थी कि विकास ने आंशिक रूप से बात मान ली है—एक अन्य चेयर लाकर वह भी वहीं बैठ गई थी, विजय लम्बी-सी डकार लेकर कुर्सी पर पसरा ही था कि एक नितांत अपरिचित युवक ने कोठी में प्रवेश किया, इजाजत लेकर वह नजदीक आया।
युवक के शरीर पर सस्ते-से कपड़े थे, पहनावे और शक्ल-सूरत से ही वह कोई गुण्डा महसूस होता था, उसके निकट पहुंचते ही विजय ने पूछा—“कहो प्यारे, कैसे दर्शन करने चले आए हमारे?”
“ज...जी?” वह थोड़ा बौखलाया—“जी....मेरा नाम मांगे खां है।”
“तो यहां क्या मांगने चले आए?” विजय ने तपाक से पूछा। इस बार मांगे खां कुछ बोला नही, कई पल तक विजय को सिर्फ देखता रहा, फिर स्वयं ही रघुनाथ ही तरफ मुखातिब होकर बोला—
“मुझे मास्टर ने आपके पास भेजा है।”
“कौन-से स्कूल में पढ़ते हो?” विजय ने तुरन्त पूछा।
“ज...जी!” मांगे खां पुनः चकरा गया—“म...मैं कुछ समझा नहीं!”
“इसमें समझने जैसी कोई बात नहीं है प्यारे, तुमने खुद ही कहा कि तुम्हें किसी मास्टर ने भेजा है और मास्टर स्कूल में ही होते हैं, इसीलिए पूछा कि तुम कौन-से स्कूल में...!”
“जी, मुझे किसी स्कूल के नहीं, बल्कि अलफांसे मास्टर ने भेजा है।”
“ल...लूमड़?” विजय अनायास ही कुर्सी से कई इंच ऊपर उछल पड़ा। रैना के कंठ से भी अनायास ही निकला—“अ...अलफांसे भइया?”
एक मिनट के लिए तो वे सभी अचानक अलफांसे का नाम सुनकर अवाक रह गए—फिर अपनी कुर्सी से उठती हुई रैना ने कहा—“बैठो भइया।”
मांगे खां कुर्सी पर बैठ गया।
विजय उसकी भौगोलिक स्थिति का अच्छी तरह से अध्ययन करता हूआ बोला—“तो तुम्हारा नाम मांगे खां है और तुम्हें लूमड़ ने आं...आं...चौंको नहीं प्यारे-तुम्हारे मास्टर को हम लूमड़ ही कहते हैं। तो क्या तुम बता सकते हो कि आजकल हमारा लूमड़ कौन-से खेत में हल चला रहा है?”
“ज...जी!” मांगे खां चकराया। बात विकास नै संभाली बोला—“इनका मतलब है कि आजकल अलफांसे गुरू कहां हैं?”
“लंदन में।”
“तो क्या तुम सीधे लंदन से टपके हो?” विजय ने पूछा।
“जी नहीं, मैं राजनगर ही में रहता हूं—मेरे पते पर मास्टर ने कुछ लिफाफे भेजे हैं और एक पत्र में मुझे निर्देश दिया है कि वे लिफाफे मैं उन पर लिखे पतों पर पहुंचा दूं। उनमें से एक लिफाफा एस.पी. साहब के लिए भी है, मैं वही देने यहां आया हूं।”
“कैसा लिफाफा है प्यारे?”
मांगे खां ने अपने कोट की जेब से कई लिफाफे निकाले, उन पर लिखे नाम पढ़े और फिर रघुनाथ वाला लिफाफा निकालकर रघुनाथ की तरफ बढ़ा दिया, रघुनाथ से पहले ही लिफाफा उसके हाथ से विजय ने झपट लिया—पहले बहुत ही ध्यान से उसने लिफाफे को उलट-पुलटकर देखा, सन्तुष्ट होने के बाद ही उसे खोला...लिफाफे में एक कार्ड तथा पत्र था।
कार्ड पर लिखे मजमून को पढ़ते ही विजय के मुंह से निकला—“ह...हैं!”
और इस ‘हैं’ के साथ ही वह कुर्सी से दो या तीन फीट उछल पड़ा, उछलकर खड़ा हो गया था वह और यदि मैं गलत नहीं लिख रहा हूं तो इस वक्त उसके चेहरे पर चौंकने के ऐसे भाव थे जैसे शायद पिछले जीवन में कभी नहीं उभरे थे।
सचमुच वह पहले कभी इतनी बुरी तरह नहीं चौंका था—हक्का-बक्का-सा कार्ड हाथ में लिए वह खड़ा-का-खड़ा रह गया, खोपड़ी हवा होकर जैसे किसी दूसरे ही लोक में विचरण कर रही थी। उसे इतनी बुरी तरह चौंकता देखकर सभी चकित रह गए।
“क्या हुआ गुरु?” विकास ने पूछा।
विजय कुछ जवाब न दे सका, उसकी दृष्टि कार्ड पर ही स्थिर थी, विकास के बोलने पर तंद्रा तक भंग नहीं हुई थी उसकी, इसीलिए व्यग्रतापूर्वक रैना ने पूछा—“क्या बात है भइया?”
“सारे परांठे एकदम हजम हो गए हैं रैना बहन!” विजय ने हैरत पर काबू पा लिया था।
“ऐसा इस कार्ड में क्या लिखा है?” रघुनाथ ने पूछा।
जवाब देने से पहले विजय ने मांगे खां की तरफ देखा, कई पल तक बड़ी ही अजीब नजरों से उसे घूरता रहा, फिर वापस अपनी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला—“इसमें वो लिखा है प्यारे तुलाराशि जो वेदव्यास महाभारत में और तुलसीदास रामायण में भी न लिख सके।”
“ओफ्फो गुरु, आप बेकार ही सस्पैंस बना रहे हैं—इधर लाइए कार्ड ।”
विजय ने कार्ड वाला हाथ कुछ इस तरह पीछे खींच लिया जैसे कोई बच्चा खिलौने वाला हाथ, खिलौना छिन जाने के डर से खींच लेता है—“न...न...ऐसे नहीं प्यारे दिलजले।”
“ओफ्फो, आखिर बात क्या है भइया?”
“अपना लूमड़ शादी कर रहा है।”
“क...क्या?” एक साथ सभी उछल पड़े, धनुषटंकार को तो इतनी हैरत हुई कि उसने उछलकर कार्ड विजय के हाथ से छीन लिया—वह कार्ड को पढ़ने में तल्लीन था जबकि विकास, रघुनाथ और रैना ठगे-से खड़े रह गए थे—उन्हें देखकर विजय अजीब-से ढंग से मटकने लगा और बोला—“कहो प्यारो, दुनिया से न्यारो, क्या हाल है तुम्हारा?”
“ये तुम क्या कह रहे हो विजय?” रघुनाथ कह उठा।
विकास के मुंह से निकला—“असम्भव—एकदम नामुमकिन, ऐसा हो ही नहीं सकता गुरु!”
“कम-से-कम कार्ड तो यही कह रहा है प्यारे!”
“अजीब बात है!” रैना बुदबुदाई।
काफी देर तक उनके चेहरे पर हैरत-ही-हैरत नाचती रही, आश्चर्य के सागर में गोते लगाते रहे वे, और जब काफी देर बाद उभरे तो रैना ने पूछा—“अलफांसे भइया कहां और किससे शादी कर रहे हैं?”
“लंदन में, किसी इर्विन नाम की लड़की से।”
“वह पत्र तो पढ़ो अंकल, देखे तो सही कि अलफांसे गुरु ने क्या लिखा है?”
विजय ने जोर-जोर से पत्र पढ़ना शुरू किया—
प्यारे रघुनाथ और रैना बहन,
नमस्कार।
राजनगर में स्थित मांगे खां नामक मेरा एक शागिर्द तुम्हें यह पत्र और कार्ड देगा—जानता हूं कि कार्ड को देखकर तुम बुरी तरह चौंक पड़ोगे, क्योंकि तुमने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि अलफांसे शादी कर सकता है, स्वयं मैंने भी कभी नहीं सोचा था, मगर ऐसी बहुत-सी बातें इस दुनिया में हो जाती हैं जो हमने पहले कभी नहीं सोची होतीं, इर्वि से मेरी मुलाकात, और फिर मेरे द्वारा उससे शादी का फैसला ऐसी ही एक घटना मानी जा सकती है—ये सच है कि मैं इर्वि से शादी कर रहा हूं, सोचा है कि व्यर्थ की भागदौड़ से भरी जिन्दगी छोड़कर मैं अब घर बसाकर लंदन ही में शान्ति से रहूंगा, जानता हूं कि मेरा ये फैसला किसी अन्य को अच्छा लगे या न लगे, लेकिन मेरी रैना बहन को जरूर पसन्द आएगा—अपनी पिछली निरुद्देश्य जिन्दगी में यदि मैंने किसी से भावनात्मक रिश्ता जोड़ा है तो वह तुम्हारा परिवार है रघुनाथ—रैना मेरी बहुत प्यारी-सी बहन है, मेरी कलाई पर राखी बांधा करती है वह—विकास मुझे अपने बच्चे की तरह अजीज है—इतनी बड़ी दुनिया में केवल आप ही लोग मेरे अपने हैं और यदि आप इस शादी में शरीक नहीं हुए तो मुझे बेहद अफसोस होगा—सही तारीख पर लंदन आकर मुझे प्रसन्नता प्रदान करें—आपको सपरिवार आना है और जानता हूं कि मोन्टो भी आप ही के परिवार का एक सदस्य है, याद रखना रैना बहन, मुझे तुम्हारे आशीर्वाद की बहतु जरूरत है।
पत्र और कार्ड सीधा न भेजकर मांगे खां के हाथ भेज रहा हूं, केवल इसलिए कि मांगे खां राजनगर में सभी कार्ड बांट देगा, मैंने राजनगर के सभी कार्ड मांगे खां के पते पर भेज दिए हैं।
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RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी - by hotaks - 05-22-2020, 02:41 PM

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