RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
अपने कमरे में लौटने और बिस्तर पर लेटने तक विजय के दिलो-दिमाग में अलफांसे के कमरे का दृश्य ही चकराता रहा, दीवानगी से भरा अलफांसे का चेहरा, उसके शब्द आदि सभी कुछ कम-से-कम विजय के लिए एकदम अविश्वसनीय थे—अपनी आंखों से देखने के बाद भी वह उस सब पर यकीन नहीं कर पा रहा था—जेहन में तरह-तरह के विचार और शंकाएं उभरने लगीं।
उसे लग रहा था कि वह व्यर्थ ही अलफांसे के सीधे-सीधे फैसले पर सन्देह करके परेशान हो रहा है—वैसा कुछ भी नहीं है जैसा सोचकर वह यहां आया था—ऐसा भी तो हो सकता है कि सचमुच अलफांसे में चेंज आ गया हो, तर्क के रूप में—किसी लड़की के प्रति प्यार की बहुत-सी कहानियां दिमाग में चकराने लगीं—ऐसी कहानियां जिनमें सुदरियों ने बड़े-बड़े तपस्वियों की तपस्या भंग कर दी थी।
किन्तु फिर उसे अलफांसे के कैरेक्टर का ख्याल आता और बस, यहीं आकर उसे लगने लगता कि यह सब कुछ कोई बहुत गहरा नाटक है, किसी महत्वपूर्ण और बहुत बड़े मकसद को पूरा करने के लिए अलफांसे यह ड्रामा कर रहा है। लेकिन अगर यह ड्रामा है तो बन्द कमरे में अलफांसे की उस दीवानगी को क्या कहा जाए?
जाने कितनी रात तक विजय इन्हीं सब उलझनों में घिरा रहा, परन्तु बिना किसी विशेष परिणाम पर पहुंचे सो गया— सुबह को आंख खुलते ही उसने दरवाजा खोला।
देखकर संतोष हुआ कि अलफांसे अपने कमरे में ही है। वेटर से मंगाकर उसने 'बेड टी' ली, उसके बाद बाथरूम में घुस गया— नित्यर्मों से फारिग होकर अभी वह कमरे में आया ही था कि उसके दरवाजे पर दस्तक हुई।
विजय एकदम सतर्क हो गया।
वेटर को उसने कॉल नहीं किया था और यहां उसके पास किसी अन्य के आने का प्रश्न ही नहीं था, इस बीच दुबारा दस्तक हुई तो सतर्क होकर विजय ने कह दिया—“कम इन!”
दरवाजा खुला, आने वाला होटल का मैनेजर था।
“गुड मॉर्निग मिस्टर ऐलन!” मैनेजर ने मोहक मुस्कान के साथ कहा।
“मॉर्निग, कहिए!”
“यदि बुरा न मानें तो मैं आपसे पूछने आया था कि आप कितने दिन यहां रहेंगे?”
“मतलब?”
“आपने लंदन में सुना ही होगा कि तीन दिन बाद मिस्टर अलफांसे और इर्विन की शादी है!”
विजय ने बहुत ही सतर्कतापूर्वक जवाब दिया—“हां, सुना तो है।”
“मिस्टर अलफांसे शादी यहीं से कर रहे हैं, बात दरअसल यह है कि इस शादी में सारी दुनिया के खूंखार अपराधी और महान जासूस लंदन आ रहे हैं, उन सबके आवास के लिए, परसों से एक हफ्ते तक के लिए सारा होटल मिस्टर अलफांसे ने बुक करा रखा है—यदि आपको यहां ज्यादा दिन तक रहना हो तो हम किसी शानदार होटल में आपके लिए व्यवस्था कर दें?”
“यह बात मुझे पहले तो नहीं बताई गई?”
“सॉरी सर, काउण्टर क्लर्क की इस भूल के लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं।” सारी बातें मैनेजर ने कुछ ऐसी नम्रता के साथ की थीं कि विजय कुछ न कह सका, वैसे भी—वह कोई असाधारण व्यवहार करके व्यर्थ ही अलफांसे का ध्यान अपनी तरफ खींचने के पक्ष में नहीं था, अतः बोला—“ठीक है, मैं परसों सुबह ही यह कमरा खाली कर दूंगा!”
“थैंक्यू सर, उम्मीद है कि असुविधा के लिए आप हमें क्षमा कर देंगे!” कहने के बाद मैनेजर चला गया, ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा होकर विजय बाल संवारने लगा।
तीस मिनट बाद वह तैयार होकर कमरे से बाहर निकला।
अलफांसे के कमरे के सामने से निकलते हुए उसने कनखियों से देखा, अलफांसे को तैयार होता देखकर उसने अनुमान लगाया कि कुछ ही देर बाद वह भी कमरे से निकलने वाला है—उसका इन्तजार करने के लिए हॉल में पहुंचकर वह एक सीट पर बैठ गया और नाश्ते का ऑर्डर दे दिया।
कुछ देर बाद अलफांसे भी हॉल में आ गया।
संयोग से एक समीप वाली सीट पर ही वह बैठ गया। हालांकि अलफांसे का ध्यान उसकी तरफ बिल्कुल नहीं था, किन्तु फिर भी विजय कुछ इस तरह बैठ गया कि अलफांसे बहुत गौर से उसका चेहरा न देख सके—वैसे अलफांसे रह-रहकर अपनी कलाई पर बंधी रिस्टवॉच पर नजर डाल रहा था।
विजय ने अनुमान लगाया कि वह इन्तजार कर रहा है, शायद इर्विन का।
समय गुजरने के साथ ही अलफांसे की बेचैनी बढ़ने लगी, अब वह हर दो मिनट बाद समय देखता और फिर हॉल के मुख्य द्वार की तरफ देखने लगता!
उस वक्त अलफांसे का चेहरा खिल उठा जब अचानक ही इर्विन हॉल में दाखिल हुई, अलफांसे एकदम अपनी सीट से खड़ा होता हुआ प्रसन्नता की अधिकता के कारण लगभग चीख पड़ा।
“हैलो इर्वि!”
“हैलो!” वह फुदकती हुई-सी अलफांसे की तरफ बढ़ी। इस वक्त अलफांसे के चेहरे पर जो भाव थे, वे ठीक वैसे ही थे जैसे किसी बच्चे के चेहरे पर मनपसन्द ‘कॉमिक्स’ देखकर उभरते हैं और इन भावों ने विजय के दिमाग में एक बार फिर इस भावना को प्रबल किया कि अलफांसे इर्विन को दिल की गहराइयों से प्यार करने लगा है।
इधर, इसमें भी शक नहीं कि इर्विन को देखते ही विजय जैसे व्यक्ति का दिल भी धक्क से रह गया। इर्विन को दूर से और पास से देखने में बहुत फर्क था!
वह वाकई बहुत खूबसूरत थी।
इतनी ज्यादा कि बहुत देर तक लगातार उसके चेहरे की तरफ देखा भी नहीं जा सकता था, अभी विजय अपने विचारों में ही खोया हुआ था कि—
“आज तुम दस मिनट लेट हो इर्वि।”
“शुक्र मनाओ आशू कि आज मैं आ गई हूं, डैडी तो आने ही नहीं दे रहे थे।”
“क्यों?”
“कह रहे थे कि अब हमारी शादी के सिर्फ तीन दिन रह गए हैं। और शादी के दिन का चार्म बनाए रखने के लिए अब हमें मिलना नहीं चाहिए, बहुत जिद करके इस शर्त पर मिलने आई हूं कि कल से नहीं मिलेंगे—शादी से पहले आज हम आखिरी बार मिल रहे हैं!”
अलफांसे के चेहरे से लगने लगा कि उसका सब कुछ लुट गया है।
विजय बहुदबुदाया—“ये साला इश्क भी क्या चीज है, आदमी का अच्छा-भला नाम भी आधा रह जाता है—प्यार में लोग शायद आधे नाम ही पुकारते हैं—हमने कभी सोचा भी नहीं था कि अपने लूमड़ का नाम अलफांसे से ‘आशू’ भी हो सकता है और इस लड़की ने तीन ही महीने में लूमड़ का नाम भी बदल दिया और फिर अपना लूमड़ भी तो साला कम नहीं है—इश्क के सभी पैंतरे सीख गया है, अच्छी-भली इर्विन को इर्वि कहता है!”
“तुम इतने उदास क्यों हो गए—आशू डार्लिंग?” इर्विन की आवाज विजय के कानों में पड़ी।
विजय ने कनखियों से अलफांसे की तरफ देखा, उसका चेहरा लटका हुआ था, इर्विन की आंखों में झांकता हुआ वह बोला—“मैं ये तीन दिन कैसे गुजारूंगा इर्वि?”
“पगले!” इर्विन ने प्यार से कहा—“इतने उतावले क्यों हुए जा रहे हो, तीन दिन में मैं भाग तो नहीं जाऊंगी?”
“तुम समझती क्यों नहीं इर्वि?” लगा अलफांसे मानो रो पड़ेगा—“तुम्हारे बिना अब मैं एक क्षण भी गुजारने की कल्पना नहीं कर सकता।”
“आशू!” इर्विन भाव-विभोर हो उठी—“अगर सच पूछो तो मेरी भी यही हालत है, लेकिन...।”
“लेकिन क्या?”
“सोचती हूं कि डैडी भी ठीक ही कह रहे हैं, गोल्डन नाइट का चार्म बनाने के लिए हमें अपने बीच ये तीन दिन की दूरी पैदा करनी ही चाहिए!”
विजय ने अलफांसे के जवाब पर ध्यान नहीं दिया, दरअसल अलफांसे इस वक्त जिस किस्म की बातें कर रहा था, उन्हें विजय सुनना भी नहीं चाहता था—उसे नहीं लग रहा था कि यह वही अलफांसे है जिससे वह परिचित था, विजय को वह कोई दूसरा ही व्यक्ति लगा।
क्या इर्विन ने सचमुच अलफांसे में इतना परिवर्तन ला दिया है?
उनकी प्रेमवार्ता विजय को अजीब-सी लगी, किन्तु आज वह सारे दिन उनका पीछा करके यह टोह लेने का निश्चय कर चुका था कि ये कहां जाते और क्या करते हैं—वे वहां से उठे। विजय पीछे लग गया।
फिर वे ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट गए, वहां से रीजेण्ट स्ट्रीट और पेरीकोट मार्केट—इसके बाद वे ब्रिटेन के बहुत बड़े कवि कीट्स के घर गए। वहां उन्होंने कीट्स का ऐतिहासिक निजी घर—उसके पत्र, पुस्तकें और उससे सम्बन्धित दुर्लभ वस्तुएं देखीं।
इसके बाद के ‘ब्रिटेन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन’ गए और विशाल इमारत के स्टूडियो में घूमने लगे—वे मस्त थे जबकि विजय को लगने लगा था कि यदि वह अब और ज्यादा देर उनके पीछे लगा रहा तो पागल हो जाएगा।
सुबह से ही वह बहुत सावधानी के साथ उनके पीछे था और इस वक्त पांच बज रहे थे, विजय ने अवसर मिलने पर उनकी प्रेमवार्ता सुनने और मूर्खों की तरह सारा लंदन घूमने के अलावा कुछ भी नहीं किया था—और अब उसे लगने लगा था कि वह अपना समय बरबाद कर रहा है।
वे न तो फिलहाल एक-दूसरे से विदा लेने वाले हैं और न ही होटल की तरफ लौटने वाले हैं, दिमाग में यह विचार आते ही जाने उसे क्या सूझा कि उन्हें वहीं छोड़कर बी.बी.सी. की इमारत से बाहर निकल आया और आपनी प्राइवेट टैक्सी को ड्राइव करता हुआ होटल पहुंचा।
फोर्थ फ्लोर की गैलरी बिल्कुल सूनी पड़ी थी।
उसने आगे-पीछे देखा और अलफांसे के कमरे के सामने रुक गया, जेब से ‘मास्टर की’ निकाली और लॉक को खोलने में इस तरह जुट गया जैसे यह उसका अपना कमरा हो।
लॉक खोलने में उसे कठिनाई से दो मिनट लगे।
अन्दर पहुंचकर उसने दरवाजा बन्द कर लिया और फिर बाकायदा कमरे की तलाशी लेने में जुट गया। सबसे पहले उसने बेड की साइड ड्राअर ही खोलकर देखी—ड्राअर में वही किताब रखी थी।
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