RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
बारात स्टनले गार्डनर के द्वार पर पहुंच गई—निवास स्थान के सामने बारातियों ने जमकर जश्न मनाया और बैण्ड के बीच से तभी हटे जब थककर चूर हो गए—बैण्ड बन्द हो गया और वरमाला का कार्यक्रम शुरू!
अलफांसे ने इर्विन के गले में माला डालने के लिए हाथ बढ़ाए ही थे कि अचानक एक साथ सारे लंदन की लाइट गुल हो गई—चारों तरफ अंधेरा छा गया!
थोड़े-से गैस के हण्डों का प्रकाश वहां जरूर था। मगर, जितना प्रकाश लाइट जाने से पहले था उसके मुकाबले इस प्रकाश को अंधेरा ही कहा जाएगा—माला डालते हुए अलफांसे के हाथ रुक गए—हर व्यक्ति जहां-का-तहां ठिठक गया!
एक तरफ से थोड़ा-सा शोर उभरा, अफरा-तफरी फैली!
“अरे ये क्या हुआ, कोई लाइट हाउस फोन करो!” अंधेरे में एक आवाज गूंजी और अभी इस आवाज के आदेश का पालन करने के लिए शायद किसी ने एक कदम भी नहीं बढ़ाया था कि वातावरण में अजीब ‘गुआं-गुआं’ की आवाज गूंजने लगी!
डरावनी और भयानक-सी आवाज!
मौजूद व्यक्तियों के जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई—लोग भयभीत हो गए, आंतक-सा छा गया चारों तरफ—डरी-सी इर्विन अंधेरे का लाभ उठाकर अलफांसे से लिपट गई।
‘गुआं-गुंआ’ की आवाज तेज होती चली जा रही थी।
इतनी तेज कि कानों के पर्दे तक झनझनाने लगे, हर तरफ एक अजीब-सी दहशत फैल गई—उस वक्त विजय कनातों से बने एक अंधेरे हॉल में खड़ा था, अचानक ही कनात के दूसरी तरफ से उसे किसी की आवाज आई—“कंट्रोलरूम से रिपोर्ट लो ग्राडवे, कहीं ऐसा तो नहीं कि कोई इस डरावनी आवाज और अंधेरे की आड़ में कोहिनूर तक पहुंचना चाहता हो!”
“ओ.के. सर!” दूसरी आवाज ने कहा।
इतना सुनते ही विजय की आंखें हीरो के समान चमकने लगी थीं, उसने कनात से कान अड़ा दिया और दूसरी तरफ से उभरने वाली आवाजों को सुनने का प्रयास करने लगा, परन्तु दो व्यक्तियों के उपरोक्त दो वाक्यों के अलावा वह कुछ भी नहीं सुन सका—वह ये भी नहीं जानता था कि वे दो वाक्य किस-किसने बोले थे—हां इतना जरूर जान गया था कि उनमें से एक का नाम ग्राडवे था!
विजय ग्राडवे के कहे गए वाक्य का अर्थ समझने की कोशिश कर रहा था, उधर अंधेरे में अलफांसे से लिपटी इर्विन बुरी तरह कांप रही थी। धीरे से अलफांसे उसके कान में फुसफुसाया—“डरो नहीं इर्वि, यह शायद मेरे एक और मेहमान सिंगही के आने की सूचना है!”
“य...ये आपके कैसे-कैसे दोस्त हैं, जो आने से पहले दहशत फैला देते हैं?”
अलफांसे ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि भयंकर गर्जना के साथ दाईं तरफ पड़े थोड़े-से खाली स्थान पर नीली-पीली संयुक्त आग का एक शोला-सा लपलपाया!
इर्विन अलफांसे से अलग हट गई।
दाईं तरफ छोटी-सी, आग की लपटें उगलती हुई मीनार नजर आ रही थी—देखते-ही-देखते आग की लपटें छोटी पड़ने लगीं और अन्त में गुम हो गईं और ये लपटें उस इंसानी जिस्म में ही गुम हुई थीं जो इस वक्त अंधेरे के कारण सिर्फ एक परछाईं के रूप में नजर आ रहा था।
उसकी सिर्फ आंखें चमक रही थीं, जैसे लाल रंग के दो छोटे बल्ब टिमटिमा रहे हों और फिर एक झमाके के साथ लाइट जिस तरह गई थी उसी तरह अचानक आ गई।
चारों तरफ दिन का-सा प्रकाश फैल गया। दायीं तरफ खड़े व्यक्ति पर नजर पड़ते ही न चाहते हुए भी इर्विन के कंठ से एक जोरदार चीख उबल पड़ी और ऐसा केवल उसी के साथ नहीं हुआ था, बल्कि सिंगही को देखते ही चीख पड़ने वाले और भी कई व्यक्ति थे।
वह सिंगही था!
हर तरफ से आवाजें उभरने लगीं कि सिंगही आ गया है!
इस वक्त उसके पतले होंठों पर मुस्कान थी।
हाथों में खुशबूदार फूलों के दो गजरे लिए वह मोहक ढंग से मुस्काराने की भरपूर चेष्टा कर रहा था, अब इसमें वह क्या करे कि यह मुस्कान उसे और ज्यादा डरावना ही बना रही थी!
सहमी-सी इर्विन अभी तक उसे देख रही थी।
“घबराओ मत इर्विन बेटी!” सिंगही ने अपनी भयानक आवाज को मधुर बनाने की भरसक, किन्तु असफल कोशिश की, वह कह रहा था— “मैं अलफांसे का दोस्त हूं, उस नाते तो तुम मेरी कुछ और ही लगीं, परन्तु उम्र के हिसाब से तुम मेरी बेटी जैसी हो, इसलिए तुम्हें बेटी ही कहूंगा!”
इर्विन चाहकर भी कुछ बोल न सकी, जुबान मानो तालू में चिपक गई थी।
“ये देखो, मैं तुम्हारे ले गजरे लाया हूं—दिली इच्छा है कि वरमाला बनकर तुम्हारे गलों में यही पड़ें!”
अलफांसे ने इर्विन से कहा— “डरो नहीं इर्वि, सिंगही से गजरा ले लो।”
सिंगही पर ही दृष्टि गड़ाए इर्विन साहस करके आगे बढ़ी—यह बात उसकी समझ में बिल्कुल नहीं आ रही थी कि आग की वे लपटें इस व्यक्ति के जिस्म में समाकर कहां गुम हो गईं?
सिंगही का शरीर, या ये गजरे जलकर राख क्यों नहीं हो गए?
आगे बढ़कर सिंगही ने गजरे अलफांसे और इर्विन को दिए।
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शादी का धूम-धड़ाका लगभग खत्म हो चुका था और अब स्टेनले गार्डनर की लम्बी-चौड़ी कोठी के विशाल हॉल में डिनर चल रहा था, किन्तु विजय के दिमाग में वे ही चन्द शब्द गूंज रहे थे, जो उसने सिंगही के आगमन पर कनात के पीछे से सुने थे।
उन चन्द शब्दों से जितना अर्थ वह निकाल चुका था, उससे संतुष्ट न हो पा रहा था, और जितना वह समझ रहा था उससे ज्यादा समझना चाहता था।
“किन्तु कैसे?
तरकीब उसके दिमाग में नहीं आ रही थी।
“हैलो विजय!” अचानक ही वह जेम्स बाण्ड की आवाज सुनकर उछल पड़ा।
एकदम हड़बड़ा गया विजय, किन्तु शीघ्र ही संभलकर बोला—
“हेलो बाण्ड प्यारे!”
“क्या सोच रहे थे!”
“सोच रहा था प्यारे कि साली हथिनी के पेट से हाथी, शेरनी के पेट से शेर, चुहिया के पेट से चूहा, और औरत के पेट से आदमी पैदा होता है तो मुर्गी के पेट से मुर्गे की जगह अण्डा क्यों पैदा होता है?”
उसकी इस बात पर जेम्स बाण्ड तो केवल मुस्कराकर ही रह गया, जबकि उसके साथ आए अधेड़ आयु के व्यक्ति के मुंह से बरबस ही जबरदस्त ठहाका उबल पड़ा और उसके यूं हंसने पर विजय मूर्खौ की तरह पलकें झपका-झपकाकर उसे देखने लगा!
जी भरकर हंसने के बाद वह बोला—“अजीब दिलचस्प आदमी हैं आप!”
और, इस आवाज को सुनते ही विजय के कानों में घण्टियां-सी बजने लगीं, निस्सन्देह यह उन्हीं दो आवाजों में से एक थी, जो उसने कनात के दूसरी तरफ से सुनी थीं।
“ये ही मिस्टर विजय हैं, भारतीय जासूस—और विजय, ये इर्विन के पिता हैं—मिस्टर स्टेनले गार्डनर!”
विजय ने गर्मजोशी से उनसे हाथ मिलाया।
बाण्ड मिस्टर गार्डनर को अगले मेहमान से मिलाने ले गया, परन्तु विजय वहां हक्का-बक्का-सा ही खड़ा रह गया और जब खड़ा भी न रह सका तो धम्म से समीप पड़ी कुर्सी पर गिर पड़ा।
यह बात वह दावे के साथ कह सकता था कि उन दो में से एक आवाज गार्डनर की थी—जिसने ओ.के. सर कहा था, उसका नाम ग्राडवे था—मतलब ये कि ग्राडवे को हुक्म देने वाला गार्डनर ही था।
‘कंट्रोल रूम’ क्या बला है?
‘इस कंट्रोल रूम का कोहिनूर से क्या सम्बन्ध है?’
इसी किस्म के अनेक सवाल उसके दिमाग में चकराने लगे और अचानक ही से यह ख्याल आया कि गार्डनर के मेहमानों में से उसे ग्राडवे को तलाश करना चाहिए!
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Masoom
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Re: Hindi novel अलफांसे की शादी
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Post by Masoom » 23 Feb 2020 18:50
रात के तीन बजे थे!
फेरे बस खत्म ही होने वाले थे—अब गार्डनर की कोठी पर भीड़ अपेक्षाकृत काफी कम थी—उसके ज्यादातर मेहमान जा चुके थे और अलफांसे के भी अधिकांश मेहमान वहां से जाकर होटल एलिजाबेथ के अपने-अपने कमरों में सो चुके थे। फेरों पर चन्द ही लोग रह गए थे। और वे चन्द लोग थे—विजय, विकास, रैना, हैरी, जूलिया और बागारोफ—गार्डनर की तरफ से बाण्ड अभी तक वहीं नजर आ रहा था।
फेरे समाप्त हुए, इर्विन और अलफांसे फेरों से अभी उठे ही थे कि!
“ख...खून...खून!” एक वेटर हलक फाड़कर चिल्लाता हुआ वहां आया।
सभी चौंक पड़े, गार्डनर ने पूछा—“क्या हुआ, क्यों चीख रहे हो?”
“शा...शाब खून—किसी ने खून कर दिया है!”
“क...क्या बकते हो?” बाण्ड गुर्रा उठा—“कहां खून हो गया है?”
“शाब...शाब—वहां कनातों के पीछे—एक अंधेरे कोने में किसी की लाश पड़ी है!”
बागारोफ चीख पड़ा— “अबे ठीक से बताता क्यों नहीं है। हुड़कचुल्लू—किसकी लाश है?”
“म...मुझे नहीं मालूम शाब!”
“चलो, हमें दिखाओ लाश!” बाण्ड ने कहा और फिर वे सब वेटर के पीछे-पीछे चल दिए, इर्विन हक्की-बक्की-सी वहीं खड़ी रह गई थी, जबकि अलफांसे भी गार्डनर आदि के साथ ही वेटर के पीछे चल दिया था—वेटर कनात और शामियानों से बने हॉलों की बैक साइड से गुजरता हुआ उन्हें लॉन के पिछले हिस्से के एक कोने में ले गया।
इस कोने में प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं थी, किन्तु ऐसा अंधेरा भी नहीं था कि हाथ को हाथ सुझाई न दे—दूर रोशन बल्बों और ट्यूब्स का बहुत ही धुंधला प्रकाश यहां था।
“व...वो देखिए शाब, वो रही लाश!” सचमुच, लॉन की घास पर एक इंसानी जिस्म चित्त अवस्था में पड़ा था, उसके सीने में धंसे चाकू की मूठ भी नजर आ रही थी, परन्तु प्रकाश कम होने की वजह से शक्ल पहचान में नहीं आ रही थी।
“किसी के पास टॉर्च है?” विजय ने पूछा।
सभी चुप रहे, मतलब साफ था कि टार्च किसी के पास नहीं थी, गार्डनर ने ऊंची अवाज में कहा— “किसी फोकस वाले तेज वॉट के बल्ब की रोशनी इधर घुमवाओ!”
“अभी करता हूं।” कहकर एक व्यक्ति तेजी से वापस भाग गया। काफी देर तक अंधेरे में वे सभी गुमसुम-से खड़े रहे जैसे कहने के लिए किसी को कुछ सूझ ही न रहा हो, अचानक ही बाण्ड को इस समय का सदुपयोग करने की बात सूझी और उसने एकदम डपटकर वेटर से पूछा— “तुम्हें कैसे पता लगा कि इधर कोई लाश पड़ी है?”
“शा....शाब, मैं यहां पेशाब करने आया था!”
“पेशाब करने तुम यहां क्यों आए थे, लॉन में कई जगह टॉयलेट बनाए गए हैं!”
“श...शाब, मैं वहीं—उस हॉल में क्रॉकरी संभाल रहा था!” वेटर ने शामियाने से बने सबसे नजदीक वाले हॉल की तरफ इशारा करके कहा—“मुझे पेशाब आया, टॉयलेट हॉल से काफी दूर था—भीड़ भी कम थी और इधर अंधेरा भी था— मैंने सोचा कि यहीं...।”
“यहां आकर तुमने क्या देखा?”
“श...शाब, यहां पहुंचने के बाद मैं पतलून के बटन खोलने लगा, अभी मुश्किल से एक ही बटन खोल पाया था कि मेरी नजर इस जिस्म और सीने में गड़े खंजर पर पड़ी—बिजली की तरह मेरे दिमाग में यह बात कौंध गई कि किसी ने किसी का खून कर दिया है—यह बात दिमाग में आते ही मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई शाब, मेरे होश उड़ गए और मैं खून-खून चिल्लाता हुआ यहां से भागा!”
वेटर के शब्द पूरे होने तक किसी ने दूर लगे फोकस का रुख इधर घुमा दिया था।
अंधेरे में डूबा सारा बाग एकदम प्रकाश से नहा गया और यही वह क्षण था जब गार्डनर के कंठ से चीख–सी निकल पड़ी—“अरे, यह तो ग्राडवे है!”
“ग...ग्राडवे?” विजय उछल पड़ा— “क...कौन ग्राडवे?”
“ओह माई गॉड!” कहने के साथ ही मिस्टर गार्डनर किसी फिरकनी के समान बड़ी तेजी से घूमे और बिना किसी से एक लफ्ज भी कहे लगभग भागते हुए वहां से चले गए। उनकी इस हरकत पर वहां खड़े अन्य सभी हक्के-बक्के से खड़े रह गए।
“ये आखिर साला चक्कर क्या है, वह चोट्टी का यहां से क्यों भाग गया?” बागारोफ गरजा।
विकास वेटर के सामने पहुंचकर झुका, बहुत ध्यान से उसने वेटर की पतलून के बटन देखे और अगले ही पल सीधा खड़ा होता हुआ बोला—“सबसे निचला बटन खुला है, बाकी सब बन्द!”
“इसका मतलब वेटर सच बोल रहा है।” अलफांसे बुदबुदाया। विजय के चेहरे पर अजीब-से चिह्न थे, ग्राडवे की लाश को अपलक घूरे जा रहा था वह, जबकि बाण्ड बड़ी बारीकी से लाश और उसके आसपास की स्थिति का निरीक्षण करता हुआ लाश की तरफ बढ़ा।
“पता नहीं ये कौन है और इसकी हत्या किसने, किस मकसद से की है?” रैना बुदबुदाई।
“हम चपरकनाती साले जहां भी जाते हैं, वहीं ये चक्कर शुरू हो जाते हैं—अच्छा-खासा खुशी का माहौल था कि इस लाश ने सारा गुड़गोबर कर दिया, अब पता लगाते रहो कि किस पान के इक्के ने इस हुक्म के गुलाम को इस अंधेरे में खींचकर चाकू मार दिया?”
“इसे चाकू यहां नहीं मारा गया है चचा!” लाश का निरीक्षण करते हुए बाण्ड ने कहा।
“क्या बकता है अंग्रेजी दुमछल्ले?” बागारोफ गुर्रा उठा—“अबे चाकू अगर कहीं और मारा गया था तो लाश क्या उड़कर यहां आ गिरी?”
“उड़कर नहीं चाचा, हत्यारा अपने कन्धे पर लादकर लाश को यहां तक लाया!”
“बात समझ में नहीं आई बाण्ड भइया!” जूलिया बोली।
बाण्ड के साथ ही लाश का निरीक्षण करते हुए हैरी ने कहा—
“बाण्ड अंकल ठीक कह रहे हैं, घास पर जख्म से निकले खून का कोई निशान नहीं है, मतलब साफ है कि जब तक लाश यहां पहुंची, तब तक जख्म से खून बहना बन्द हो चुका था—और इस बात से दो नतीजे निकलते हैं, पहला ये कि हत्यारे ने खून आसपास ही कहीं किया और लाश खून करने के काफी देर बाद लाकर यहां डाली या जहां खून किया गया है वह जगह ही यहां से इतनी दूर है कि लाश के यहां पहुंचने तक जख्म से खून बहना बन्द हो गया।”
“पैरों कै निशान बहुत स्पष्ट तो नहीं हैं, मगर जहां-जहां हत्यारे के पैर पड़े हैं, वहां की घास दबकर टूट जरूर गई हा-निशान केवल एक ही व्यक्ति के पैर के हैं—मकतूल के जूतों का यहां कोई निशान नहीं आया—जो पदचिह्न हैं, वे बताते हैं कि हत्यारा लॉन की ये दीवार फांदकर यहां आया, लाश को यहां डालकर वापस उसी रास्ते से लौट गया।”
“लेकिन बाण्ड भइया, क्या कोई व्यक्ति लाश को कन्धे पर डाले लॉन की दीवार फांदकर इधर आ सकता है?”
“कैसी बच्चों जैसी बातें कर रही हो रैना बहन, ये बात अगर तुमने साधारण स्थिति में कही होती तो निश्चय ही वजनदार थी, क्योंकि वाकई किसी साधारण व्यक्ति के लिए लाश को कन्धे पर डालकर ये दीवार फांदना कठिन काम है, परन्तु आज—कम-से-कम आज की रात यह बात कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि...।”
“क्योंकि?”
“सारी दुनिया के चुने हुए अपराधी और जासूस यहां हैं, उनमें से अधिकांश ऐसे हैं जिनके लिए लाश कन्धे पर लादकर दीवार को फांद लेना हंसी-खेल है।”
“उनमें से भला कोई इस अपरिचित की हत्या क्यों करेगा?”
जेम्स बाण्ड के होंठों पर फीकी-सी मुस्कान दौड़ गई, बोला—
“अनजाने में तुम मुझसे इस कत्ल की वजह पूछ रही हो रैना बहन और मैं कोई जादूगर नहीं हूं, जो बिना किसी सबूत के वजह बता दूं—अगर इनवेस्टिगेटर को हत्या की वजह पता लग जाए तो फिर हत्यारा उससे बहुत ज्यादा दूर नहीं रह जाता, मगर जब तक वजह पता नहीं लगती तब तक इनवेस्टिगेटर को अपने इर्द-गिर्द का हर आदमी हत्यारा ही नजर आता है।”
“अगर ये सच है बाण्ड प्यारे कि हत्यारे ने कत्ल कहीं और करके लाश यहां पहुंचाई है तो निश्चय ही इस हरकत के पीछे उसका कोई मकसद होगा, मकसद भी कोई बहुत ही महत्वपूर्ण!” विजय ने पूछा।
अलफांसे ने सवाल किया—“महत्वपूर्ण क्यों?”
“शादी का घर है, माना कि यह कोना सुनसान और अंधेरे में डूबा पड़ा था, किन्तु इस बात की बहुत ज्यादा सम्भावना थी कि वेटर की तरह इधर जाने कब कौन निकल आए और हत्यारा भी यह बात अच्छी तरह जानता होगा यानी वह समझता होगा कि उसे लाश यहां लाते या लाश को छोड़कर जाते कोई भी देख सकता है—फिर भी लाश को यहां पहुंचाने के लिए उसने यह जबरदस्त रिस्क लिया—स्पष्ट है कि लाश को यहां पहुंचाने के पीछे उसका कोई अत्यंत ही महत्वपूर्ण उद्देश्य रहा होगा।”
“हत्यारे का वह महत्वपूर्ण उद्देश्य क्या हो सकता है?”
“यह तो हत्यारा ही बता सकता है।”
अभी उनमें से कोई कुछ कह नहीं पाया था कि लगभग भागते हुए ही मिस्टर गार्डनर वहां आ गए और आते ही हांफते हुए बोले—“मैंने पुलिस को सूचना दी है, फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट्स को लेकर वह यहां पहुंचने ही वाली होगी।”
“सर, क्या आप मकतूल को जानते हैं?” बाण्ड ने पूछा।
“बहुत अच्छी तरह, इसका नाम ग्राडवे था।” गार्डनर ने बताया।
“आपसे इसका क्या सम्बन्ध था?” झोंक में बाण्ड ऐसे लहजे में पूछ बैठा था जैसा अक्सर जासूस मकतूल के किसी परिचित के सामने अपनाते हैं, परन्तु अगले ही पल उसने स्वयं को संभाल लिया और बात को संभालता हुआ बोला— “मेरा मतलब, आपसे यह किस तरह सम्बन्ध था?”
“हमारे अच्छे दोस्तों में से एक था यह।”
“आप इसे पहचानते ही यानी यह जानते ही कि मकतूल ग्राडवे है, यहां से चले क्यों गए थे—क्या मैं जान सकता हूं कि इतनी तेजी से आप गए कहां थे?”
“पुलिस को कत्ल की सूचना देने!”
गार्डनर के इस जवाब से वहां मौजूद एक भी व्यक्ति संतुष्ट नहीं हुआ, लगभग बिल्कुल स्पष्ट ही था कि मिस्टर गार्डनर कुछ छुपा रहे हैं, चाहकर भी बाण्ड ने अगला सवाल नहीं किया, जबकि आगे बढ़कर विजय ने जरूर कहा—“आप कुछ छुपा रहे हैं मिस्टर गार्डनर!”
“हम कुछ नहीं छिपा रहे हैं।” गार्डनर का लहजा निर्णयात्मक-सा था।
“खैर!” विजय ने इस सवाल को टालते हुए कहा—“आप मकतूल को जानते हैं—क्या आप अपना ‘गेस’ प्रस्तुत कर सकते हैं यानी आपके ख्याल से क्या मकतूल की जिन्दगी में कोई ऐसी बात थी जो उसके कत्ल की वजह बन सके?”
“हमें इस बारे में कोई इल्म नहीं है।” मिस्टर गार्डनर ने जब ऐसा कहा तब उनके चेहरे पर जो भाव थे, उन्हें पढ़कर विजय दावे के साथ कह सकता था कि वो झूठ बोल रहे हैं, अगर वे इस कत्ल की वजह ठीक-ठीक नहीं भी जानते हैं तो किसी वजह पर शक जरूर कर रहे हैं।
विजय को लगा कि इस बारे में कम-से-कम गार्डनर से अधिक सवाल करना उसके हित में नहीं होगा, इसलिए वह चुप ही रह गया— इस कत्ल की सूचना कोठी में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंच चुकी थी और इस लाश ने शादी के अच्छे-खासे हंसते हुए माहौल में सनसनी व्याप्त कर दी थी।
कुछ ही देर बाद वहां फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट्स विभाग के एक्सपर्ट के साथ पुलिस पहुंच गई—रटे-रटाए ढंग से उन्होंने अपना काम शुरू कर दियाùबाण्ड ने उन्हें कई स्थान विशेषों से चिह्न लेने के लिए कहा, मिस्टर गार्डनर इस वक्त चिंतित जरूर नजर आ रहे थे, परन्तु उतने नहीं जितने इस लाश को पहचानते ही अचानक हो उठे थे।
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