RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
“ठीक है अंकल, आप आगे की योजना बताएं!”
“हम जासूस नहीं बल्कि लंदन में अपराधी होंगे, वैसे ही अपराधी जैसे किसी भी मुल्क में चौबीस घण्टे कोई नया क्राइम करने के लिए सक्रिय रहते हैं—अपराधी हमेशा पुलिस और जासूस से दूर रहने की कोशिश करता है—वही हमें करना है—यहां से सब अलग-अलग फ्लाइट से जाएंगे, वहां अपरिचित की तरह अलग-अलग कमरों में एलिजाबेथ होटल में ही रहेंगे—एक-दूसरे को रिपोर्ट देने के लिए हमारी भेंट विशेष अवसरों और स्थानों पर ही हुआ करेगी!”
“एक-दूसरे को रिपोर्ट देने के लिए क्यों न हम ट्रांसमीटर्स का इस्तेमाल करें?”
“भूल रहो हो प्यारे कि हम विजय—विकास नहीं, बल्कि छोटे-मोटे अपराधी है, ट्रांसमीटर स्वप्न में भी हमने कभी नहीं देखा है—न केवल ट्रांसमीटर बल्कि अपने पास में ऐसी कोई भी चीज नहीं रखनी है जो हमारे व्यक्तित्वों के ऊपर की हो या किसी को यह बताए कि हम असल में कौन हैं?”
विकास ने प्रशंसात्मक स्वर में कहा— “आपसे चूक नहीं हो सकती।”
“चूक बड़े-से-बड़ा अपराधी करता है दिलजले और मजे की बात ये है कि अपराधी जितना ज्यादा दिमागदार होता है उससे उतनी ही बड़ी चूक होती है, खैर—अब हमें वे पांच व्यक्तित्व चुनने हैं जिनके पासपोर्ट और वीसा का प्रबन्ध अपना काला लड़का कर सके!”
“लंदन पहुंचने के बाद हमें क्या करना होगा गुरु?”
“सबसे पहला काम कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में पूर्ण जानकारी तथा लूमड़ की योजना को बहुत ही बारीकी से जानना होगा।”
“कैसे?”
“सारी रामायण यहीं सुन लोगे या आगे के लिए भी कुछ बचाकर रखोगे?”
“क्या मतलब?”
“अभी इस बारे में झानझरोखे, विक्रमादित्य और अपनी गोगियापाशा को भी सब कुछ समझाना बाकी है, वे भी योजना पूछेगे, उस वक्त तुम भी वहीं होगे, सुन लेना।”
“ठीक है!”
“अब तुम कहो प्यारे काले लड़के, जो बातें हुई हैं, वे तुमने भी सुनीं—जान ही चुके हो कि हम क्या करने जा रहे हैं, अगर तुम्हें कोई आपत्ति हो तो कहो!”
“म...मुझे भला क्या आपत्ति हो सकती है सर—मैं तो यही कहूंगा कि अगर देश की गरिमा पर कोई आंच न आए तो ‘कोहिनूर’ नामक हमारे मुल्क का गौरव हमारे पास होना ही चाहिए।”
“कोई सलाह?”
“अ...आप कैसी बात कर रहे हैं सर, क्या मैं आपको सलाह देने के काबिल हूं?”
¶¶
विजय की सारी बात सुनने के बाद अशरफ, विक्रम और आशा को अजीब-सा लगने लगा—वे सोच रहे थे कि इस बार उन्हें मुजरिम बनकर सारे काम बाकायदा मुजरिमों की तरह ही करने होंगे।
इस वक्त रात के दो बज रहे थे और वे पांचों आशा के फ्लैट के भीतरी कमरे में थे, कमरे के सभी खिड़की-दरवाजे न केवल सख्ती से बन्द थे बल्कि उन पर पर्दे भी खिंचे हुए थे—पांच कुर्सियां एक वृत्त की श्कल में पड़ी थीं और वे पांचों उन पर बैठे थे, उनके बीच में एक छोटी-सी मेज थी और मेज पर एक ऑन टॉर्च पड़ी थी— टॉर्च का अग्रिम भाग कमरे की छत की तरफ था और यही वजह थी कि—छत पर प्रकाश का एक बहुत बड़ा दायरा बना हुआ था।
शेष कमरे में उस प्रकाश दायरे से छिटका हुआ धुंधला प्रकाश।
इस धुंधले प्रकाश में उनके चेहरे बड़े ही रहस्यमय-से नजर आ रहे थे, विजय उन्हें उतनी बातें बता चुका था जितनी उसने गुप्त भवन में विकास और ब्लैक ब्वॉय को बताई थीं—उसके बाद से अभी तक सन्नाटा छाया हुआ था, अचानक ही इस सन्नाटे को विक्रम ने भंग किया—“संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि अपराधी बनकर कोहिनूर लेने हमें लंदन जाना है।”
“बेशक!”
“लेकिन, एक बात समझ में नहीं आई विजय!”
“बोलो प्यारे झानझरोखे!”
“अभी तो हम अभियान पर नहीं निकले हैं और भारत ही में हैं—फिर ये बातें करने के लिए चीफ ने हमारी इस भेंट का आयोजन इतने गुप्त और रहस्यमय ढंग से क्यों किया?”
“इसमें तुम्हें रहस्यमय क्या नजर आया प्यारे झानझरोखे?”
“चीफ ने आज दिन में अलग-अलग हम चारों को फोन पर ये आदेश दिया कि रात के डेढ़ बजे हम अपने-अपने निवास से गुप्त रूप से निकलें और आशा के फ्लैट पर पहुंचे—यह भी कहा गया कि आशा के फ्लैट में हम मुख्य द्वार से दाखिल न होकर पिछले दरवाजे से प्रविष्ट हों। इधर, आशा को हुक्म दिया गया कि डेढ़ बजे वह पिछले दरवाजे पर हमारा इंतजार करे, किन्तु फ्लैट के सभी दरवाजे बन्द करके लाइटें ऑफ रखे—टॉर्च को इस ढंग से रखने का आदेश भी चीफ ही ने दिया है—इस मीटिंग के लिए आखिर इतनी सतर्कता क्यों?”
“केवल इसलिए कि मामला लूमड़ का है।”
“यानि?”
“ग्राडवे की लाश ने उसे यह तो समझा ही दिया था कि हमें उसकी स्कीम की भनक लग चुकी है, सम्भव है कि उसी वजह से उसका कोई गुर्गा हमारी गतिविधियां नोट कर रहा हो—यह सब शायद उस चूहे ने इसी खतरे से बचने के लिए किया है।”
“तुमने चीफ को फिर चूहा कहा विजय?” आशा गुर्राई। विजय ने तुरन्त कहा— “तुम्हें तो चुहिया नहीं कहा मेरी छम्मकछल्लो?”
“विजय तुम...!” आशा दांत किटकिटा उठी—“तुम मानोगे नहीं, मैं सचमुच तुम्हारी शिकायत चीफ से कर दूंगी।”
इस तरह विजय और आशा की नोंक-झोंक शुरू हो गई और अशरफ, विक्रम, विकास होंठों को भींचकर हंसी रोकने का भरपूर प्रयास कर रहे थे—वे जानते थे कि आशा मन-ही-मन विजय से बहुत प्यार करती है, किन्तु खुलकर कभी नहीं कह सकी, कुछ तो सीक्रेट सर्विस के अनुशासन में बंधी होने के कारण और कुछ विजय के कारण—यदि सच लिखा जाए तो सबसे बड़ा कारण स्वयं विजय ही है। स्पष्ट शब्दों में तो नहीं परन्तु सांकेतिक ढंग से, सीक्रेट सर्विस के अनुशासन को ‘ताख’ पर रखकर वह कई बार अपनी मोहब्बत का इजहार कर चुकी है, लेकिन विजय ने ऐसे प्रत्येक अवसर पर खुद को मूर्ख साबित किया है और बेवकूफियों से भरी ऐसी अटपटी हरकतें की हैं कि आशा खिन्न हो उठे।
वह स्वयं भी जानता है कि आशा उससे प्यार करती है और प्यार का यह भूत आशा के सिर पर चढ़कर न बोलने लगे, इसीलिए विजय उसके सामने कुछ ज्यादा ही मूर्ख बन जाता है—आशा के कोमल दिल को उसके इस व्यवहार से ठेस लगती है, यह बात विजय जानता है— जान-बूझकर आशा के दिल को ठेस पहुंचाता है वह—पहुंचाए भी क्यों नहीं, अपना सारा जीवन, अपनी खुशियां, अपने सभी सुख देश को अर्पण जो कर दिए हैं उस दीवाने ने।
आशा और विजय की नोंक-झोंक काफी देर तक चली, तीनों मजा लेते रहे—जानते थे कि जब तक उनमें से कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा तब तक रुकने वाली भी नहीं है इसलिए अशरफ बोला— “अब अगर तुम ये अपनी चबड़-चबड़ बन्द करो तो काम की बातें हो जाएं?”
“लो सुन लो मिस गोगियापाशा—ये साला अपना झानझरोखा समझता है कि हम बेकाम की बातें कर रहे हैं। जरा इसे समझाओ कि मोहब्बत किस चिड़िया का नाम है?”
बिफरी हुई आशा गुर्राई—“यह समझने की जरूरत तुम्हें है निर्दयी।”
“निर्दयी—ये क्या होता है प्यारे विक्रमादित्य?”
मुस्कराते हुए विक्रम ने बताया— “निर्दयी उसे कहते हैं जिसे दया न आती हो।”
“लो सुन लो-तो भला हम निर्दयी कैसे हो सकते हैं। हमारे पास तो दया भी आती है, चम्पा और चमेली भी आती हैं, सारी-सारी रात हमारे साथ इश्क के अखाड़े में प्यार की कबड्डी खेलकर जाती हैं, एक बार तो ऐसा हुआ प्यारे दिलजले कि हम चमेली के साथ कबड्डी खेल रहे थे, उसी समय वहां दया भी आ गई और दे-दनादन—दया और चमेली में फाइटिंग शुरू हो गई, अभी ज्यादा देर नहीं हुई थी कि...!”
“चम्पा भी वहां पहुंच गई!” विकास ने वाक्य पूरा किया।
“अरे, तुम्हें कैसे मालूम?”
“मैं भी वहीं था।” मुस्कराते हुए विकास ने कहा— “खैर मजाक छोड़ो गुरु और अब जल्दी-से बताओ कि हममें से किसको लंदन किस नाम से कब जाना है?”
विजय ने कनखियों से आशा की तरफ देखा, अपने स्थान पर बैठी वह बुरी तरह भुनभुना रही थी— विजय समझ गया कि अब वह इतनी उत्तेजित हो चुकी है कि एक भी शब्द नहीं बोल सकेगी, अतः स्वयं ही लाइन पर आता हुआ बोला— “इस अभियान में मेरा नाम बशीर, झान-झरोखे का चक्रम, विक्रमादित्य का डिसूजा, दिलजले का मार्गरेट और अपनी गोगियापाशा का नाम होगा—ब्यूटी!”
‘ब्यूटी’ शब्द विजय ने कुछ ऐसे ढंग से कहा था कि आशा के अलावा सभी हंस पड़े—बुरा–सा मुंह बनाकर आशा ने खा जाने वाली नजरों से विजय को घूरा था।
“हमारी शक्लें और व्यक्तित्व?” विकास ने पूछा। विजय ने जेब से पांच फोटो निकालकर टॉर्च के समीप ही डाल दिए और बोला— “हर फोटो के ऊपरी सिरे पर फोटो के मालिक का नाम लिखा है, पढ़कर समझ जाओगे कि किसका फोटो कौन-सा है?”
एक फोटो उठाते हुए अशरफ ने पूछा— “किसके फोटो है ये?”
“बशीर, चक्रम, मार्गरेट, डिसूजा और ब्यूटी के!”
“म...मेरा मतलब क्या दुनिया में कहीं इन पांचों का वास्तव में कोई अस्तित्व है?”
“बिल्कुल है प्यारे और फिलहाल इनका अस्तित्व अपने चीफ महोदय की कैद में सिसक रहा है—यानी ये पांचों इस वक्त डैथ हाउस में कैद हैं और कम-से-कम उस वक्त तक कैदी ही रहेंगे, जब तक कि हमें इनकी सूरत और व्यक्तित्व की जरूरत रहेगी।”
“इन पांचों को चीफ ने कहां से पकड़ लिया है?”
“हमने पूछा था किन्तु उस चूहे ने बताने से इनकार कर दिया, बिगड़े हुए रेडियो की तरह गड़गड़ाकर बोला—तुम केवल अपने काम से मतलब रखा करो मिस्टर विजय, अनावश्यक सवालों से हमें नफरत है—हमने भी कह दिया कि चलो नहीं पूछते।”
“खैर, इनके व्यक्तित्व के बारे में कहां से जानकारी मिलेगी?”
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