XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
05-22-2020, 03:14 PM,
#58
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
पहले सवाल के जवाब में चैम्बूर ने कहा—“मिस्टर अलफांसे के साथ मिलकर मैंने कोहिनूर को चोरी करने की स्कीम बनाई है।”
“अलफांसे से तुम्हारा परिचय कैसे हुआ?”
“यह तो आप जानते ही हैं कि मैं के.एस.एस. में मिस्टर गार्डनर का दायां हाथ हूं—कोहिनूर की सुरक्षा के लिए जो भी व्यवस्था की गई है, मैं उसके चप्पे-चप्पे से वाकिफ हूं— मैं अक्सर सोचा करता था कि ऐसी कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था में से भला कोई चोर कोहिनूर को चुराने की बात सोच ही कैसे सकता है—और सबसे बड़ी बात तो ये है कि चन्द आदमियों के अलावा कोई उस सुरक्षा-व्यवस्था से भी वाकिफ नहीं है— आज से एक साल पहले की बात है, मैं और गार्डनर कोहिनूर के चोरी हो जाने की सम्भावनाओं पर बातचीत कर रहे थे, गार्डनर ने मुझसे सलाह मांगी कि सुरक्षा की जो व्यवस्था कर दी गई है उसके अलावा और क्या व्यवस्था हो सकती है?”
इतनी कड़ी सुरक्षा तो हमने कर दी है कि एड़ी से चोटी तक का जोर लगाने के बावजूद भी कोई कोहिनूर तक नहीं पहुंच सकता, फिर और ज्यादा सुरक्षा की क्या जरूरत है?
यानी तुम सुरक्षा-व्यवस्था से सन्तुष्ट हो?
‘पूरी तरह!’
वे इस तरह मुस्कराए मानो मैंने उनकी तारीफ की हो, फिर बोले—‘अभी मैं सन्तुष्ट नहीं हूं, सोचता हूं कि यदि कोई शातिर कोशिश करे तो योजना बनाकर कोहिनूर को चुरा सकता है।’
“मैं उन्हें कोई सलाह तो नहीं दे सका—लेकिन सोचता रहा कि आखिर गार्डनर सन्तुष्ट क्यों नहीं है—जो व्यवस्थाएं थीं, मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकता था कि कोई उनके रहते कोहिनूर तक पहुंच सकता है— जब किसी को व्यवस्थाओं की ही जानकारी नहीं होगी तो वह योजना क्या बनाएगा—कोई व्यवस्थाओं की जानकारी किस तरह हासिल कर सकता हैं, क्योंकि व्यवस्थाएं चन्द लोगों को पता हैं।
“यही सोचते-सोचते मेरे दिमाग में विचार कौंधा कि किसी चोर को व्यवस्थाओं की जानकारी केवल उन्हीं व्यक्तियों में से किसी से हो सकती है, जिन्हें पूर्ण व्यवस्था की जानकारी है—जैसे मैं!
“अपने बारे में सोचकर मेरा दिमाग हवा में नाचने लगा।
“विचार उठने लगा कि यदि मैं किसी शातिर को व्यवस्था की जानकारी दे दूं तो क्या वह योजना बनाकर सफलतापूर्वक कोहिनूर की चोरी कर सकता है—शायद नहीं, इतनी व्यवस्थाओं को वह कैसे पार करेगा—मगर मिस्टर गार्डनर तो कह रहे थे कि दुनिया में अभी ऐसे शातिर हैं—मैंने सोचा कौन है ऐसा शातिर?
“दिन गुजरते रहे, यह फितूर कोई नुकीले दांत वाला कीड़ा बनकर मेरे दिमाग की नसों को कुतरता रहा—सोते-जागते अक्सर मेरी आंखों के सामने कोहिनूर चकराने लगा, यदि मैं रुका हुआ था तो केवल इस भावना से, क्योंकि मुझे यकीन नहीं था कि व्यवस्था की पूर्ण जानकारी होने के बाद भी कोई कोहिनूर को सफलतापूर्वक चुराने की योजना बना सकता है।
“उन्हीं दिनों एक चोर म्यूजियम से कोहिनूर चुराने के चक्कर में पकड़ा गया— म्यूजियम की कुछ व्यवस्थाएं तो आपकी जानकारी में होंगी ही, उनके अलावा जो पूर्ण व्यवस्थाएं हैं मैं उनके बारे में भी जानता था और कल्पना भी नहीं कर सकता था कि उन्हें पार करके कोई म्यूजियम में नजर आने वाली कोहिनूर की परछाईं तक भी पहुंच सकता है।”
“परछाईं?” विकास ने चौंकते हुए पूछा।
“हां, म्यूजियम में कोहिनूर नहीं, बल्कि सिर्फ उसकी परछाईं है— कोहिनूर का प्रतिबिम्ब मात्र-दर्शक उसी को देखते हैं और ये सोचकर खुश हो लेते हैं कि उन्होंने कोहिनूर को देख लिया है।”
चैम्बूर की इस बात को सुनकर केवल विकास ही नहीं, विजय, अशरफ और विक्रम भी चौंक पड़े थे—हैरत में डूबे वे अपनी-अपनी कुर्सियों से उठ खड़े हुए और चैम्बूर की कुर्सी के नजदीक पहुंच गए।
विकास ने कहा—“हम समझे नहीं, इस बात को जरा विस्तार से बताओ।”
“दरअसल कोहिनूर को कहीं और ही रखा गया है, वैज्ञानिक रीति से ऐसा सिस्टम कर दिया गया है कि कोहिनूर का प्रतिबिम्ब उस जार में नजर आए—प्रतिबिम्ब भी ऐसा कि जिसे देखकर कोई प्रतिबिम्ब न कह सके—कोहिनूर ही समझे।”
उन चारों के चेहरों पर हैरत और व्यवस्था करने वालों के लिए प्रशंसा के भाव उभर आए।
विजय ने पूछा—“अगर वह मात्र कोहिनूर का प्रतिबिम्ब है चैम्बूर प्यारे तो फिर उसकी सुरक्षा के लिए म्यूजियम में इतने कड़े प्रबन्ध क्यों किए गए हैं?”
“वह इन्तजाम भी असल कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था का ही एक अंग हैं।”
“क्या मतलब?”
“म्य़ूजियम की सिक्योरिटी तक का एक भी व्यक्ति यह नहीं जानता कि वो कोहिनूर की नहीं, केवल उसके प्रतिबिम्ब की हिफाजत कर रहे हैं, यानी वे सब भी उसे कोहिनूर ही समझते हैं— म्यूजियम में कोई भी उस कड़ी व्यवस्था को देखकर यही सोचता है कि वह कोहिनूर है, असल बात तो वह स्वप्न में भी नहीं सोच सकता—अतः अगर कोई कोहिनूर को चुराने की स्कीम बनाएगा तो दरअसल वह केवल प्रतिबिम्ब को ही चुराने की स्कीम बना रहा होगा—यदि स्कीम बनाकर कोई म्यूजियम में रखे कोहिनूर तक पहुंच भी गया तो प्रतिबिम्ब उसके हाथ नहीं आएगा और वह पकड़ा जाएगा।”
हैरत में डूबे वे चारों किंकर्तव्यविमूढ़-से खड़े थे।
चैम्बूर ने आगे कहा—“पकड़े जाने वाले चोर से भी सिर्फ प्रतिबिम्ब को कोहिनूर समझने की भूल हुई थी।”
“क्या मतलब?”
“म्यूजियम की पूरी सिक्योरिटी और प्रतिबिम्ब के चारों तरफ किए गए सभी इन्तजामों को योजना बनाकर उसने ऐसी खूबसूरती से धोखा दिया था कि सैकड़ों आंखों में से उसे एक भी आँख न देख सकी— पचासों इन्तजामों में से उसे एक भी इन्तजाम रोक नहीं सका, जार भी तोड़ डाला था उसने— गार्डनर तक को मानना पड़ा कि म्यूजियम में जार के अन्दर प्रतिबिम्ब के स्थान पर कोहिनूर होता तो वह चोर चोरी करने में सफल हो गया था, उसकी स्कीम बहुत सुलझी हुई और सुदृढ़ थी।”
“फिर?” अशरफ ने पूछा।
“मुझे मानना पड़ा कि यदि उसे पहले ही से पूर्ण व्यवस्था की जानकारी होती तो वह उस कोहिनूर की सफल चोरी जरूर कर लेता—अब मुझे यकीन हो गया कि दुनिया में ऐसे लोग हैं जो व्यवस्था की पूर्ण जानकारी होने पर कोहिनूर की सफल चोरी कर सकते हैं— व्यवस्था की जानकारी मैं ही दे सकता था—अतः मैं उस चोर जैसे ही किसी शातिर की तलाश में जुट गया—उन्हीं दिनों मैंने अखबार में पढ़ा कि अलफांसे आजकल अमेरिका में है—अलफांसे का नाम मैं अखबारों और दूसरे माध्यमों से बहुत पहले से सुनता आ रहा था।
“अचानक ही मेरे दिमाग में यह बात अटैक हुई कि अलफांसे मेरे काम का आदमी हो सकता है और मैं उसी वक्त वाशिंगटन पहुंच गया, अलफांसे एक होटल में ठहरा हुआ था—बड़ी मुश्किल से पता लगाकर मैं उससे मिला।
अलफांसे ने कहा— ‘सबसे पहले तुम अपना परिचय दो और फिर बताओ कि मुझसे क्यों मिलना चाहते थे।’
‘मेरा नाम बर्लिन है।’ मैंने उसे अपना गलत नाम बताया।
‘कहां के रहने वाले हो?’
‘लंदन का!’
‘क्या काम करते हो?’
‘वही जो आप बड़े स्केल पर करते हैं।’ मैंने कहा— ‘यानी पैसे के लिए कुछ भी कर सकता हूं—चोरी, डकैती, ठगी और मर्डर तक—आपमें और मुझमें केवल इतना फर्क है कि आपका क्षेत्र सारी दुनिया है और मेरा क्षेत्र पूरा लन्दन भी नहीं है।’
‘क्या तुम इतनी दूर केवल मुझसे मिलने आए हो?
‘जी हां!’
‘क्यों?’
‘मेरे पास एक ऐसा काम है जिसमें यदि सफलता मिल जाए तो न केवल वह दुनिया की सबसे बड़ी लूट होगी, बल्कि सफल होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धनवान व्यक्ति बन जाएगा।’
‘ऐसी क्या योजना है?’
‘योजना तो आपको बनानी होगी, मैं तो केवल रास्ते में आने वाली अड़चनों के बारे में बता सकता हूं।’
‘क्या मतलब?’
‘पहले आप मेरे साथ काम करने का वादा कीजिए, तब बताता हूं।’
एक पल अलफांसे ने जाने क्या सोचा, फिर बोला—‘खैर, मैं वादा करता हूं—अब बोलो।’
‘मैं कोहिनूर को चुराने की बात कर रहा हूं।’
‘क...क्या?’ अलफांसे एकदम उछल पड़ा, उसने विस्फारित नेत्रों से मेरी तरफ देखा—कुछ ऐसे अन्दाज में जैसे उसे लगा हो कि कहीं मैं पागल तो नहीं हूं, जबकि मैं अपने होंठ पर बड़ी ही रहस्यमय-सी मुस्कान बिखेरता हुआ बोला—‘सौदा फिफ्टी-फिफ्टी में होगा, कोहिनूर जितने का बिके उसमें से आधे मेरे, आधे आपके, कहिए?’
अलफांसे ने मुझे अविश्वसनीय-सी नजरों से देखते हुए कहा—‘कहीं तुम पागल तो नहीं हो?’
मैंने पूछा—‘आपके ऐसा सोचने की वजह क्या है?’
‘क्योंकि मुझे तुम इस स्तर के चोर नजर नहीं आ रहे हो, जो कोहिनूर को चुराने की बात सोच सके।’
‘आप तो इस स्तर के चोर हैं?’
‘क्या मतलब?’
‘यदि मुझ अकेले, में कोहिनूर को चुराने की क्षमता होती तो मैं लन्दन से इतनी दूर यहां, आपसे मिलने क्यों आता— क्यों व्यर्थ ही आपको फिफ्टी परसेंट का पार्टनर बनाता?’
अलफांसे ने अब भी अविश्वसनीय स्वर में कहा—‘क्या तुम वाकई सचमुच के कोहिनूर की बात कर रहे हो?’
‘जी हां, कोहिनूर की –उसके अक्स की नहीं।’
‘अक्स?’
‘वही, जो म्यूजियम में रखा नजर आता है और जिसे देखकर लोग समझते हैं कि उन्होंने कोहिनूर देख लिया है।’
‘क्या मतलब?’
जवाब में मैंने उसे म्यूजियम में रखे कोहिनूर की असलियत बता दी, मैंने जान-बूझकर अक्स की बात छेड़ी थी, ताकि मैं उसे अपनी जानकारी का छोटा-सा नमूना दिखा सकूं—ऐसा मैंने उस पर अपना प्रभाव जमाने के लिए कहा था और वही हुआ, उसके चेहरे पर हैरत के चिह्न उभर आए, मेरे चुप होने पर बोला— ‘तुम्हें यह जानकारी कैसे है?’
‘मुझे तो यह जानकारी भी है कि कोहिनूर कहां रखा है और उसकी सुरक्षा के लिए क्या-क्या इन्तजाम किए गए हैं—चप्पे-चप्पे की जानकारी है मुझे!’
‘ओह!’ अब अलफांसे के चेहरे पर सोचने के भाव उभर आए— ‘ये सब जानकारी तुम्हें कहां से मिलीं?’
“ये आप न पूछें—केवल कोहिनूर से मतलब रखें....।”
‘यानी तुम चाहते हो कि मैं कोई ठोस स्कीम बनाकर कोहिनूर को चुराऊं?’
‘यदि आप कर सकते हैं तो ऐसा जरूर करना चाहिए।’
उस वक्त पहली बार मैंने अलफांसें के होठों पर मुस्कान को उभरते देखा, जिसका जिक्र अक्सर अखबार में पढ़ा करता था, वह बोला— ‘दुनिया में ऐसा कोई काम है मिस्टर बर्लिन जिसे अलफांसे न कर सके?’
‘कोहिनूर की चोरी आपके लिए चुनौती बन सकती है।’
‘मैं इस चुनौती को मंजूर करता हूं, सुरक्षा-व्यवस्था बताओ।’
मैंने अच्छी तरह से ठोक बजाकर पहले अलफांसे से यह वादा लिया कि इस लूट में फिफ्टी परसेंट हिस्सा मेरा है, तब कहीं जाकर उसे समस्त सुरक्षा-व्यवस्थाओं की जानकारी दी—कुरेद-कुरेदकर उसने मुझसे सब कुछ पूछ लिया और जब उसने महसूस किया कि मुझसे मेरा सारा ज्ञान ले चुका है तो अचानक ही मेरे प्रति उसका व्यवहार बदल गया, बोला—‘पहले तो मुझे शक था, लेकिन अब यकीन हो गया कि तुम कोई परले दर्जे के पागल हो।’
‘क...क्या मतलब?’ मैं बुरी तरह चौंक पड़ा।
‘ये सुरक्षा-व्यवस्था और फिर तुम ये भी चाहते हो कि कोई कोहिनूर चुराने की स्कीम बनाए?’
‘हां।’
‘अगर तुम लन्दन से किसी को आत्महत्या की सलाह देने निकले हो तो उससे कहो कि किसी रेल की पटरी को तकिया बनाकर आराम से लेट जाए—इतना घुमावदार तरीका बताने की क्या जरूरत है?’
‘क्या आप कोहिनूर की चोरी की स्कीम बनाने को आत्महत्या करना कह रहे हैं?’
‘बेशक!’
'ऐसा क्यों?'
'क्योंकि दुनिया का बिरले से बिरला व्यक्ति भी उन व्यवस्थाओं को तोड़कर कोहिनूर तक पहुंचने की स्कीम नहीं बना सकता, जो तुमने बताई है।'
'तो कहिए कि आपने इस चुनौती के सामने घुटने टेक दिए हैं।'
'अगर तुम्हें यही सोचने से सन्तुष्टि होती है तो यही सही बर्लिन भाई, मैं हाथ जोड़ता हूं तुम्हारे—मुझे माफ कर दो।'
'म...मगर आपने वादा किया था कि सुरक्षा व्यवस्था सुनने के बाद....'
परन्तु वो हाथ जोड़े केवल चुप रहा।
'मैंने उसे तैयार करने की हर तरह से कोशिश की, मगर वह नहीं माना और अन्त में मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि यह व्यक्ति व्यवस्थाएं सुनकर घबरा गया है—सो, मैं उससे यह रिक्वेस्ट करके वापस आ गया कि मेरी और अपनी इस वार्ता के बारे में कभी किसी से कोई जिक्र न करे—अलफांसे को पस्त होता देखकर मेरे हौसले भी पस्त हो गए थे और फिर कभी मैंने इस बारे में नहीं सोचा—कोहिनूर को हासिल करने की बात ही दिमाग से निकाल दी।”
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RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी - by hotaks - 05-22-2020, 03:14 PM

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