RE: XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर
सेठ साहब को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने इसे स्वीकार न किया। फिर मान गए और किसी ने उसे वहां रहने के लिए विशेष जोर नहीं दिया। कल उसे वहां से चले जाना था। वह कमरे में अकेला खड़ा खिड़की से बाहर झांक रहा था। रात के ग्यारह का समय होगा। चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था। हवा के हल्के-हल्के झोंके खिड़की से आ-आकर उसे निद्रा देवी का संदेश सुना रहे थे। परंतु आज उसकी आंखों में नींद कहां? वह चिंतित था। कल वह डॉली से दूर हो जाएगा। आखिर वह डॉली के लिए इतना चिंतित क्यों है? यह वह स्वयं भी न समझ पाता था। राज ने बत्ती जलाई और एक पुस्तक पढ़ने लगा। कुछ समय वह इसी प्रकार पढ़ता रहा परंतु उसके हृदय की विकलता शांत न हुई।
अकस्मात् उसे किसी के पैरों की आहट सुनाई दी। उसने मुड़कर देखा। डॉली खिड़की में खड़ी थी। 'डॉली तुम... इस समय... यहां!' राज के मुंह से अकस्मात् निकल गया।
'पानी पीने के लिए उठी थी। बत्ती जली देखकर मैंने सोचा, देखू महाशय इतनी रात गए तक क्यों जाग रहे हैं या बत्ती बुझाना तो नहीं भूल गए।' उसने अपनी ओढ़नी संभालते हुए कहा।
'नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं। नींद नहीं आ रही थी और आज इस कमरे में अंतिम रात है। सोचा जी भरकर देख लूं।'
'क्या सचमुच ही आपको कल जाना है?'
'जी, मन तो नहीं करता पर विवश ह।'
"विवशता कैसी? देखिए आप मेरी एक बात मानेंगे?'
'क्यों नहीं!' राज ने डॉली के सामने झुकते हुए कहा।
'आप हमारे यहां से न जाइए।'
'क्या? यह तुम क्या कह रही हो।'
"क्यों, इसमें आश्चर्य की क्या बात है?'
'कुछ नहीं, अंदर आ जाओ, मैं दरवाजा खोलता हूं।'
'नहीं जल्दी कहो क्या कहना चाहते हो। रात बहुत बीत चुकी है।
'मुझे एक दिन तो जाना ही है। जितनी देर से जाऊंगा दिल उतना ही उदास होगा। फिर 'डैडी' ने भी तो आज्ञा दे दी है।'
'वह तो सब कुछ आप ही की हठ के कारण हुआ, नहीं तो हम दोनों की इच्छा तो तुम्हें अपने पास रखने की थी।'
'जैसा भी आप समझ लें।'
'अच्छा चलती हूं।'
'यह सब तुम अपने हृदय से कह रहे हो या केवल दिखावे के लिए?'
'थोड़ी-सी देर तो और रुक जाओ।'
'नहीं, बहुत देर हो रही है। सवेरे मिलूंगी।' यह कहकर वह चली गई।
'डॉली, तुम कितनी अच्छी हो।' राज के यह शब्द कदाचित् डॉली के कानों तक न पहुंच सके। प्रातः होते ही डॉली के कहने से सेठ राज के पास पहुंच गए और उसका वहां से जाना स्थगित कर दिया। अंधे को क्या चाहिए, दो आंखें और वह मिल गई। राज के चेहरे पर एकदम रौनक-सी आ गई। उसका दिल बल्लियों उछलने लगा।
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