RE: XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर
रात्रि का अंधकार दूर हुआ। प्रभात के प्रकाश ने उसका स्थान ले लिया। राज अब मैनेजर के पद पर काम कर रहा था। कछ ही महीनों में उसने सारा भार संभाल लिया और सेठ साहब के बहुत से उत्तरदायित्वों का बोझ हल्का कर दिया। नित्य की भांति आज राज दफ्तर में बैठा काम कर रहा था। सेठ साहब 'टाइपिस्ट' से कुछ चिट्ठियां लिखवा रहे थे। चिट्ठियां समाप्त होते ही उन्होंने फाइल बंद कर दी और टाइपिस्ट दसरे कमरे में चला गया। 'राज जरा सामने का दरवाजा बंद कर दो।' सेठ साहब ने अपनी ऐनक डिबिया में रखते हुए कहा।
राज उठा और दरवाजा बंद कर दिया। 'देखो राज, तुमने जिस तेजी और खूबी से मेरा काम संभाला है, उसकी मुझे आशा न थी। मैं सोचता हूं कि भविष्य में भी तुम इसी प्रकार मन लगाकर पूरे उत्तरदायित्व के साथ काम करते रहोगे।'
'यह सब तो आपकी कृपा है कि आज मैं इस योग्य बन सका।'
'मैंने निश्चय किया है कि भविष्य में तुम्हारा वेतन सौ रुपये और बढ़ा दिया जाए, अर्थात् ढाई सौ के स्थान पर साढ़े तीन सौ।' सेठ साहब मुस्कराते हुए बोले।
'इसकी क्या जल्दी थी।' राज कुर्सी पर बैठते हुए बोला, 'आप जानते हैं, मुझे रुपये-पैसे का तो इतना ख्याल नहीं जितना....।'
'ठीक है।' बात काटते हुए सेठ साहब बोले, वह तो मैं समझता हूं परंतु यह तुम्हारा मूल्य है, पुरस्कार नहीं।
'यह तो आप ही अधिक जानते हैं। मेरा काम तो परिश्रम करना है।'
'मैं अपने कारोबार में कुछ परिवर्तन करना चाहता हूं, यदि तुम चाहो तो इसमें मेरी सहायता कर सकते हो।'
'कहिए, सेवक किस योग्य है?'
'परंतु वचन दो कि यह बात केवल मेरे और तुम्हारे बीच रहेगी।'
'क्या इसकी भी आवश्यकता है? आप कहिए तो।'
'मेरी इच्छा है तुम्हारे नाम से खाता खुलवा दिया जाए और जो सौदे बाहर-ही-बाहर कर दिए जाए, उसमें जमा हो जाएं। इससे बहुत लाभ होगा।'
'कैसे?' राज ने और समीप आते हुए पूछा।
"एक तो लंबे-चौड़े हिसाब रखने की आवश्यकता न होगी, दूसरे इन्कमटैक्स की बचत।'
'ठीक तो है परंतु कोई आपत्ति तो न खड़ी हो जाए।'
'यह मुझ पर छोड़ो, जैसा कहूं करते जाओ परंतु इस बात को किसी से....।'
'आप निश्चिंत रहें। दोनों यह बात कर ही रहे थे कि दरवाजा खुला और डॉली हाथ में पुस्तकें लिए अंदर आई।
'तुम इस समय यहां?' सेठ साहब ने आश्चर्य से डॉली की ओर देखते हुए कहा।
'जान पड़ता है कि आप सवेरे का वायदा भूल गए....।' मेज पर पुस्तक रखते हुए डॉली ने उत्तर दिया।
'ओह! मैं तो बिल्कुल भूल ही गया था। तुमने तो सिनेमा जाने को कहा था ना। कौन-सी पिक्चर?'
'रेंजर्स एज।'
'देखो डॉली, आज काम अधिक है और मैंने सात बजे एक महाशय से मिलने के लिए कह भी दिया है। कल चले चलेंगे।'
'मैंने तो टिकट भी मंगवा लिए हैं। भीड़ बहुत है। पहले ही बहुत कठिनाई से टिकट मिले हैं।' डॉली ने कुछ बिगड़ते हुए कहा।
'तो लाचारी है क्या करू.... तो ऐसा करो आज राज को साथ ले जाओ। आधे घंटे में कारखाना बंद होने वाला है। वह शीघ्र ही काम समाप्त कर लेगा।'
'परंतु डैडी....।'
'मैं फिर किसी दिन देख लूंगा, आज तुम दोनों देख आओ। राज! शामू से कहना तुम्हें छोड़ आएगा और वापस तुम बस पर आ जाना।'
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