RE: XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर
"डॉली तुम्हारी सीट्स कहां की हैं!' जय ने डॉली से पूछा।
'स्टॉल्स की और तुम?'
'मैं तो बॉलकनी में हूं। जरा एक बात सुनो। राज दो मिनट के लिए क्षमा चाहता हूं।' जय ने डॉली को कुछ दूर ले जाते हुए कहा। 'डॉली, मेरे साथ एक मित्र है। कहो तो उसे नीचे तुम्हारे मैनेजर के पास भेज दें और तुम मेरे साथ...।'
'नहीं जय, ऐसा नहीं हो सकता। तुम्हें मुझे इस प्रकार बुलाना नहीं चाहिए था।' डॉली ने राज की ओर देखते हुए कहा जो इस समय उन्हीं की ओर देख रहा था। दोनों वापस राज के पास आ गए।
'क्यों राज, वापसी कैसे होगी?'
'कार तो डैडी को चाहिए थी, बस में चले जायेंगे।' राज ने फीकी मुस्कराहट होंठों पर लाकर कहा।
'वह सामने मेरी कार खड़ी है। वहां प्रतीक्षा करना। सब साथ ही चलेंगे।' जय ने कहा और डॉली की ओर देखकर फिर बोला 'आओ, एक-एक आइसक्रीम हो जाए।'
'कोई आवश्यकता तो नहीं।'
'ऐसी भी क्या बात है?' जय ने डॉली का हाथ खींचकर उसे बाहर की ओर ले जाते हुए कहा। डॉली राज की ओर देखकर मुस्कराने लगी और बोली, 'चलो राज।' तीनों ने बैठकर आइसक्रीम खाई।
खेल आरंभ होने में थोड़ी देर अभी बाकी थी। जय उनसे आज्ञा लेकर चला गया और वे दोनों जाकर हॉल में बैठ गए। राज चुप बैठा था।
'सिनेमा देखने आये हो या किसी जंगल में तपस्या करने?'डॉली ने राज की बांह पर चिकोटी भरते हुए कहा।
'तपस्या तो नहीं। जरा आइसक्रीम खाने से कलेजा ठंडा हो गया है। उसे गर्म करने के प्रयत्न में हूं।'
'गुस्सा तो तुम्हें हवा के चलने से आ जाता है। मेरी और तुम्हारी बात तो अपने घर की सी है। जब दूसरा आदमी अनुरोध करे तो इंकार किस प्रकार हो!'
'ठीक है और वे प्राइवेट बातें क्या हो रही थीं?'
डॉली हंस पड़ी, 'अरे वह तो वैसे ही कॉलेज की एक लड़की की बात थी जिसे तुम्हारे सामने कहना अच्छा न लगा।'
'शायद शर्म आती होगी! देखो डॉली, खेल समाप्त होते ही हम सीधे बस पर वापस चलेंगे, जय के साथ जाना मुझे पसंद नहीं।'
'तो इसमें डर क्या है? मैं अकेली तो हूं नहीं, तुम भी तो मेरे साथ हो।'
'कुछ भी हो, मैं नहीं जाऊंगा।'
'अच्छा बाबा, जैसा कहोगे वैसा ही करेंगे। अब पिक्चर का मजा किरकिरा न करो। देखो, बत्तियां बंद हो गई। अब उधर ध्यान दो।'
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