RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
"गलत बोल रहे हो।" पाल ने उसे अपलक निहारते हुए कहा-"तुम उसे जानते हो...अगर जानते न होते तो उसका नाम तुम्हारी जुबान पर इतनी फुर्ती से न आता।"
"ठीक है।"
"क्या ठीक है?"
"कबूल करता हूं कि मैं उसे जानता हूं।"
"गुरुनानी को?"
"हां...।"
"तो फिर ये भी जानते होगे कि वो चीज क्या
"जानता हूं।"
"तब तो तुम भी कोई पहुंची हुई हस्ती हो।" पाल ने उसे सिर से पांव तक निहारा।
"जगह का नाम?"
"लाल हवेली।"
"ये लाल हवेली है कहां।"
"बताया न कि लाल हवेली गुरुनानी का ठिकाना है। ऐसी जगह है जहां जाकर आदमी वापस नहीं लौट पाता।"
"सतीश को लाल हवेली ले जाया गया है?"
"शायद।"
"यानी कनफर्म नहीं हो?"
"खबरी लाल हूं। खबर इधर-उधर जहां कहीं से भी इकट्ठी करता हूं वो महज खबर ही होती है। उस खबर का कच्चा-पक्का होना वक्ती होता है। खबर पक्की भी हो सकती है...कच्ची भी।"
"लेकिन ये लाल हवेली है कहां?"
"मलाड क्रीक से दस किलोमीटर अन्दर समुद्र में।"
"समुद्र में...हवेली ?" राज ने हैरानगी से पाल को निहारा।
"हां...समुद्र में हवेली। मशहूर जगह है। ताज्जुब है...गुरुनानी से वाकिफ हो मगर लाल हवेली से वाकिफ नहीं हो।"
"जरूरी नहीं कि एक आदमी के पास हर सवाल का जवाब हो ही। सवाल ये उठता है कि लाल हवेली समुद्र में कैसे? आइलैंड पर हवेली किसने जाकर बना डाली?"
"कहने को वह हवेली है...हकीकतन अभेद किला है। मौत का किला...जहां से कोई भी बचकर वापस नहीं आता।"
"तुम लाल हवेली गए हो?"
"नहीं..सिर्फ सुना है।"
"किससे?"
"गुरुनानी के एक आदमी से।"
"तो ये पक्का है कि सतीश मेहरा लाल हवेली पार्सल किया जा चुका है?"
"खबरी लाल की खबर है। मैं पहले ही कह चुका हूं कि इधर-उधर से जो खबरें हासिल हो जाया करती हैं उन्हें कलैक्ट कर लेता हूं। उनके कच्चा पक्का होने की खातिर पीछे भागने में वक्त जाया नहीं किया करता। जिसे जरूरत होगी वो खुद ही उस खबर को कच्चा-पक्का करने के लिए तफ्तीश करवाएगा...मैं व्यर्थ की सिरदर्दी मोल क्यों लूं।"
.
"ओ. के. पाल...मैं समझ गया तुम क्या कहना चाहते हो...अब आखिरी सवाल।"
"पूछो।"
"सतीश मेहरा जिन्दा तो है न?"
"इस बारे में रंजीत सावन्त क अलावा तुम्हें और कोई बता नहीं सकता।" ।
"कोई और जानकारी जो सतीश मेहरा के बारे में...तुम्हारी वाकफियत में हो?"
"नहीं...."
"भविष्य में हो तो...?"
"तो जय सेठ को खबर कर दूंगा।"
"जय...।" राज जय की ओर मुड़ता हुआ बोला-"मिस्टर पाल को इनाम देकर वापस भेज दो...।"
"जो हुकम बाप।"
जय पाल को साथ लेकर वहां से चल पड़ा।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|