RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
"तू बेकार ही वक्त बरबाद कर रहा है...कुछ भी होने वाला नहीं...तू सिर्फ एक ही काम करके अपने बेटे को हासिल कर सकता है।"
"कौन-सा काम?"
"इंस्पेक्टर सतीश मेहरा की आजादी...उसके ठिकाने का पता कर बताने का काम। मैं चाहता हूं कि इस कामन को तू जल्द से जल्द अंजाम दे दे और मैं तुझे तेरा बेटा वापस लौटा दूं।"
"मैं वही करूंगा। वही सब करूंगा, सिर्फ अपने देबू को अपने पास देखना चाहता हूं...मेरे दिल को तसल्ली मिल जाएगी। मैं ज्यादा आत्मविश्वास के साथ काम कर सकूँगा।"
"नहीं जोगलेकर, तू ज्यादा आत्मविश्वास की जगह कम आत्मविश्वास के साथ काम कर...मैं ये रिस्क उठाने को कतई तैयार नहीं है...समझा।"
"भाई मैं विनती कर रहा हूं।" जोगलेकर गिड़गिड़ाकर बोला।
"मैं तेरी विनती को सुन चुका। अब तू सावधानी के साथ वापस जा और जाकर सतीश मेहरा का पता लगा...फालतू बकवास बंद कर। खबरदार... किसी को शक नहीं होना चाहिए कि तू कहां गया था...किससे मिला था...क्यों मिला था।"
"न देबू को छोड़ रहे हो...न अपने बारे में कुछ बता रहे हो...।" जोगलेकर ने खीझ भरे स्वर में कहा।
"देबू को तू भूल जा।"
"तुम्हें याद रखू ?"
" हां।"
"तो अपने बारे में कुछ बताओ तो सही?"
हंसा राज। बोला-"इतनी आसानी से मेरे बारे में मालूम कर लेगा क्या...थोड़ी मेहनत कर...मालूम हो जाएगा। अब फूट जा इधर से और मोबाइल को सीने से लगाकर रख क्योंकि मैं तेरे से सतीश मेहरा के बारे में इंफोर्मेशन हासिल करूंगा।"
निराश भाव से उठ खड़ा हुआ जोगलेकर।
एक बार फिर उसने राज के समने हाथ जोड़े-"देबू को कोई तकलीफ न पहुंचाना...मैं तुम्हारा काम पूरी ईमानदारी से करूंगा। वह फलत की तरह कोमल है...सख्ती बरदाश्त नहीं कर पाएगा। उस पर रहम करना।"
"तू उसकी फिक्र मत कर...मैं जो कह रहा हूं उसे कर और खबरदार जो तूने गलती से भी कभी मेरा पीछा करने की कोशिश की...।"
___ "नहीं...सवाल ही नहीं उठता। ऐसा कभी नहीं करूंगा।"
"जा..."
हाथ जोड़ता हुआ जब वह जाने लगा तो राज ने उसका चाकू और रिवाल्यर उसे मापस लौटा दिए।
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जय के लिए ये निदेश थे कि किसी भी तरह देबू को खुश रखना है। हर तरह से उसे बहलाना है। हर तरह से उसे बहलाना है। जिस खिलौने को वह पसन्द करे वह खिलौना कई संख्याओं में उसके पास मौजूद होना चाहिए।
जय ने देबू को खुश करने के लिए हर तरह के इंतजाम शुरू कर दिए।
राज पहुंचा चेम्बूर। सिंधी कालोनी वाले अपने फ्लैट में।
डॉली फ्लैट में मौजूद नहीं थी। फ्लैट लॉवड था। वह अचम्भित हो उठा।
डॉली की गैरहाजिरी न उसके मन में अनगिनत शंकाओं को उत्पन्न कर दिया था। थोडी देर तक वह फ्लैट के दरवाजे पर खड़ा इंतजार करता रहा तत्पश्चात् उसने डॉली के बारे में पूछताछ आरंभ करनी चाही। सबसे पहले वह अपने फ्लैट वाली बिल्डिंग से बाहर निकला। करीब की एक कोने में सिगरेट आदि की दुकान थी जो देर रात तक खुली रहती थी।
उसने उसी दुकान से अपनी तफ्तीश शुरू करने का फैसला किया। अभी वह उस दुकान की तरफ बढ़ ही रहा था कि तभी एक स्कूटर रिक्शा वहां आकर रुकी और डॉली उससे बाहर निकली।
डॉली ने स्कूटर वाले का भाड़ा दिया फिर स्कूटर रिक्शा से ढेर सारा सामान उतार लिया। कई पैकेट और कई पॉलीथिन बैग थे। सबको एक साथ उठाकर चल पाना उसके बस की बात नहीं थी। फिर भी वह कोशिश कर रही थी। कभी इस पैकेट को उठाती तो कभी उस बैग को रखती। दूर खड़ा राज उसके उस तमाशे को देखता मुस्कराता रहा। फिर जब डॉली बहुत अधिक परेशान हो गई तब वह सामने आया।
"ये...ये सामान ले चलो।" उसे देखते ही डॉली कमजोर-सी आवाज में बोली।
"तुम खरीददारी करने गई थीं?" सामान उठाते राज ने हैरानी भरे स्वर में पूछा।
"हां...मुझे लगा, वहां जरूरत का ढेर सारा सामान चाहिए था।"
"सब खरीद लायीं?"
"नहीं।"
"तो फिर?"
"आधे से भी कम। अभी तो ढेर सारा सामान बाकी है।"
___"मगर तूफाने-हमदम, अकेले जाने की गलती तुम्हें नहीं करनी चाहिए थी।" भारी सामान उठाकर उसके साथ चलता हुआ राज बोला।
"क्यों ?"
"क्योंकि दुश्मनी बढ़ चुकी है। यूं भी सतीश मेहत की बहन को सावन्त के आदमी दूर से ही पहचान सकते हैं। अगर कोई तुम्हें देख लेता तो तुम्हारे अपहरण में देर नहीं लगती।"
"ओह...सॉरी...इस बारे में तो मैं सचमुच भूल ही गई थी।"
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