RE: स्पर्श ( प्रीत की रीत )
एकाएक राज को कुछ याद आया और वह अपनी जेब से एक लिफाफा निकालकर शिवानी से बोला- 'एक मिनट शिवा! तेरे विज्ञापन का उत्तर आ गया है।'
'अच्छा !'
'इस लिफाफे में चार लड़कियों के बायोडाटा और फोटोग्राफ हैं। मुझे तो एक भी पसंद नहीं।'
शिवानी ने लिफाफा खोलकर बायोडाटा निकाले और तस्वीरें देखने लगी। डॉली निकट ही खड़ी थी। उसने न तो बायोडाटा देखा और न ही किसी फोटोग्राफ की ओर ध्यान दिया।
तभी शिवानी बोली- 'लड़कियां तो चारों सुंदर हैं भैया। आयु भी अधिक नहीं पच्चीस-तीस, अट्ठाइस और बत्तीस।'
'नहीं शिवा! मुझे तो एक भी पसंद नहीं।'
'कोई बात नहीं अभी तो कल भी डाक आएगी।' इतना कहकर शिवानी ने लिफाफा मेज पर रखा और बाहर चली गई।
डॉली अपनी ही किन्हीं सोचों में गुम चेहरा झुकाए खड़ी रही। एकाएक राज ने उससे पूछा- 'आप क्या सोचने लगीं?'
'क-कुछ भी तो नहीं।' डॉली चौंककर बोली।
'ये तस्वीर नहीं देखीं आपने?'
'अच्छी तो हैं।'
'सिर्फ अच्छी?'
'तस्वीरें अच्छी हैं तो लड़कियां भी सुंदर होंगी।'
'तस्वीरें तो झूठ भी बोलती हैं।'
'तो स्वयं मिल लीजिए।'
'मिलकर कोई लाभ न होगा।'
'क्यों?'
'मैंने इरादा बदल दिया है।'
'अर्थात् विवाह न करेंगे।'
'विवाह तो करूंगा।' डॉली को ध्यान से देखते हुए राज बोला- 'किन्तु विज्ञापन के माध्यम से नहीं।'
'और?' डॉली पूछ बैठी।
'अपनी आंखों के माध्यम से।'
'तो-यूं कहिए न कि आपने पहले ही कोई लड़की पसंद कर ली है।'
'हां, पसंद तो है।'
'फिर?'
'अभी उसका हृदय नहीं टटोला है।'
'इसमें मुश्किल क्या है? आप उससे अपने मन की बात कहिए। क्या पता वह आपका प्रस्ताव मान ही ले।'
'हां, सोचा तो यही है।' राज ने कहा।
तभी बाहर से शिवानी ने डॉली को पुकारा और वह बाहर चली गई। राज निःश्वास लेकर रह गया।
डॉली रात भर न सोई थी। पूरी रात उसने जय के विषय में सोचा था। सुबह होने पर उसने जल्दी-जल्दी नाश्ता तैयार किया और जब राज चला गया तो वह स्वयं भी तैयार होने लगी। उसे जय से मिलने के लिए सैंट्रल जेल जाना था।
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