RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
शीतल नहीं मानती वो कॉलेज चली गयी। शीतल को बाहर घूमने का बहुत शौक था इसलिए वो हर रोज़ कॉलेज से लौटते समय अपने दोस्तों के साथ किसी पार्क या फिर रेस्टौरेंट जाती थी। उस दिन पार्क में उसे राज मिला,वो तुरंत उसके पास गयी और उससे बात करने लगी। राज को भी वो ठीक लगी इसलिए उन दोनों में जल्द ही दोस्ती हो गयी। वो अक्सर मिलने लगे थे। शीतल को राज की बातों से बहुत हिम्मत मिलती थी पर राज बात बहुत कम करता था और शीतल बहुत ज़्यादा। उनकी मुलाक़ातें ज़्यादा नही हुई थी वो सिर्फ़ 4-5 बार ही मिले थे।
उस दिन शीतल के घर उसकी बुआ शीतल के लिए शादी का रिश्ता लेकर आई थी। लड़का शीतल से 12 साल बड़ा था,वो 19 की थी और वो 31 का। शीतल का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और इस लड़के का परिवार आर्थिक रूप से बहुत मजबूत था। शीतल को अपनी बड़ी बहन के साथ जो हुआ था वो जब भी याद आता था तो शादी के नाम से भी चिढ़ने लगती थी। वो अपनी माँ से कहती थी कि मम्मी,मुझे शादी नही करनी है और तब तक तो बिल्कुल नही जब तक कि मैं कुछ बन ना जाऊँ। शीतल की बड़ी बहन को उसके ससुराल वाले बहुत परेशन करते थे वो अक्सर दहेज की माँग करते थे और अपनी माँग पूरी ना होने पर वो उसे मारते थे,तंग आकर उसने अपने को आग लगाकर जला लिया था। उसकी मौत के बाद से शीतल के अंदर एक डर बैठ गया था। उसे लगता था की उसके साथ भी ऐसा ही किया जाएगा।
कई दिन बाद जब उसकी मुलाकात राज से हुई तो उसने राज से कहा-“राज,क्या तुम मुझसे शादी करोगे?क्या मैं तुम पर भरोसा करके अपना घर छोड़ सकती हूँ?”
“आप पागल तो नही हो,हम अभी सिर्फ़ 5-6 बार ही मिले हैं और आप शादी की बात कर रही हो। मैं आप से प्यार नही करता,और मेरे लिए आप अपना घर मत छोड़िए। मुझे आप से कोई मतलब नही है , मैं सिर्फ़ आप से ऐसे ही बोल देता हूँ , बस। आप भी अपना घर कभी भी मत छोड़िएगा बाहर की दुनिया में जीना इतना आसान नही है। आपके लिए क्या,मैं अपने माँ-बाप को दुनिया की किसी भी लड़की के नही छोड़ सकता ना ही उनके खिलाफ जा सकता हूँ,किसी के साथ बिताये 20 दिन के लिए मैं अपने माँ-बाप का दिल नही दुखा सकता हूँ। अगर आप को कोई समस्या हो तो आप मुझ पर भरोसा कर सकती हैं । उस समय मैं आपका साथ दूँगा,पर ऐसे-वैसे किसी भी कदम में नही दे सकता हूँ……………। ग़लत के खिलाफ खड़े होना सीखीए,ग़लत करना नही।”
शीतल बिल्कुल शांत हो गयी । उससे कुछ भी नही बोला जा रहा था। फिर भी वो बहुत हिम्मत करके बोली-“प्यार तो मैं भी तुमसे नही करती हूँ,बस ये जानना चाहती थी की कहीं तुम तो मुझसे प्यार नही करते हो। मैं बस तुम्हारी अपने प्रति सोच जानना चाहती थी और कुछ नही , इतनी पागल मैं नही हूँ की 5 मुलाकात में किसी को दिल दे बैंठू। मुझे तो डर था कहीं तुम तो मुझे लेकर कोई सपना नही देखने लगे हो।”
कुछ देर बाद दोनो वहाँ से चले जाते हैं। दो दिन बाद शीतल को देखने के लिए फिर से वो लोग आए। वो लोग शीतल को ऐसे देख रहे थे जैसे वो शादी के लिए नही बल्कि इंटरव्यू लेने आयें हों। वो लड़का मुँह में पान दबाए हुए था और शीतल को ऐसे घूर रहा था जैसे कभी कोई लड़की नही देखी हो,शीतल को बहुत गुस्सा आ रहा था,तभी उसकी माँ ने उसे चाय लाने के लिए कहा। जब वो चाय लेकर आई तो उससे उस लड़के ने अपने बगल में बैठने का इशारा किया पर शीतल वहाँ से जाने लगी।
“रुकिये , मुझे आप से कुछ बात करनी है,”उसने शीतल को रोकते हुए कहा।
शीतल रुक जाती है, तो उसने उससे अकेले में बात करने की बात कही,शीतल ना चाहते हुए भी सब के कहने पर उससे बात करने के लिए तैयार हो गयी।
“ तुम इतनी सुंदर हो,तुम्हारे पीछे लड़के तो ज़रूर पड़े होंगे,”उसने पूछा।
“हाँ,बहुत पीछे पड़े रहते थे पर मैं इन सब पर ध्यान नही देती,”शीतल ने कहा।
“तुम्हारा किसी के साथ कोई चक्कर नही है।”
“नही,प्लीज़ आप मुझसे कुछ और बात करिये………………मुझे इस तरह की कोई बात नही पसंद है।”
“किसी लड़के से कोई रिश्ता तो नही है तुम्हारा………।”
“मतलब……? मुझे कुछ समझ नही आया।”
“किसी लड़के के साथ कभी कुछ किया………………खुद समझ सकती हो।”
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