RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“हाँ,”शीतल ने कहा और अपनी बाली उतार कर दे दी। कुछ देर में राज उसे बेच कर 2000 रुपये ले आया। दोनो ने किसी होटल में खाना खाया और स्टेशन पर मिलने का तय कर दोनों अलग-अलग चल दिए।
शाम को दोनों वहीं उसी स्टेशन की उसी बेंच पर फिर से मिले।
“कोई काम मिला?”शीतल ने पूछा।
“हाँ,एक शॉप पर डाटा एंट्री करने का काम मिला है 1500 महीने पर,”राज ने कहा।
“अच्छा है! मुझे एक रूम का पता चला है,मैंने अभी देखा नही है,किराया 400 है और इससे सस्ता मिलना बहुत मुश्किल है,”शीतल ने कहा।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
3.
उन्होने उस रूम को किराए पर लिया 400 रुपये एड्वान्स में दे दिए। उनके पास अब 1300 रुपये बचे थे। कमरे की हालत बहुत खराब थी,उसे देख कर शीतल को बहुत अफ़सोस हो रहा था की उसने घर क्यों छोड़ा ? उसने कभी नही सोचा था की उसे शादी के बाद इस तरह से ऐसे घर में रहना होगा। उसने तो ये भी नही सोचा था की उसे इस तरह से शादी करनी पड़ेगी।
उस घर में एक ही कमरा था और उसी से जुड़ा बाथरूम जिसका दरवाजा खराब हालत में था। ना तो पानी की कोई व्यवस्था थी ना ही बिजली की।
“आप बाजार से झाड़ू ले आओ,”शीतल ने कहा।
“और कुछ लाना है,”राज ने पूछा।
“अभी सिर्फ़ झाड़ू लाओ,बाकी बाद में,”शीतल ने कहा।
राज एक घंटे बाद झाड़ू और थोड़ा खाना ले आया। दोनो ने खाना खाया। शीतल ने पूरे कमरे को अच्छे से साफ किया। उनके पास बिछाने के लिए भी कुछ नही था इसलिए वो ऐसे ही फर्श पर बैठ गये।
“तुमने घर क्यों छोड़ा था?”राज ने पूछा ।
“मेरा इरादा घर छोड़ने का नही था , मैं तो अपनी बुआ से नाराज़ थी। मैंने सोचा था की मैं अपनी किसी दोस्त के घर रुक जाऊँगी और जब बुआ घर से चली जाएँगी तभी घर जाऊँगी, पर पता नही कैसे मैं तुम्हारे पास चली आई? लेकिन आप ने मेरे लिए घर क्यों छोड़ दिया?”शीतल ने कहा।
“क्योंकि तुम बहुत ही मासूम और पागल हो और अगर मैं तुम्हारा साथ नही देता तो तुम कुछ भी कर सकती थी,किसी के साथ कहीं भी जा सकती थी। तुम ग़लत सही कुछ नही सोचती हो। तुमने मुझे खुद को इस तरह से सौंप दिया था जैसे की तुम कोई खिलौना हो,”राज ने कहा।
“सिर्फ़ मासूम हूँ,सुंदर नही हूँ,”शीतल ने मज़ाक में पूछा।
“बहुत ज़्यादा सुंदर हो,”राज ने कहा।
“शीतल हँस दी और हँसते-हँसते उसकी आँखें नम हो गयी , वो रोने लगी।”
“मैंने तुम्हारी भी जिंदगी बर्बाद कर दी,”शीतल ने कहा।
“नही……,तुम अपने आप को दोष मत दो इसमें तुम्हारी कोई ग़लती नही है। और तुम ऐसा क्यों सोचती हो की हम बर्बाद हो गये हैं। अभी पूरी जिंदगी बाकी है कुछ तो करेंगे ही,”राज ने कहा।
शीतल ने अपना सिर राज के कंधे पर रख दिया और राज के एक हाथ को कसकर पकड़ लिया। राज ने कुछ नही कहा और शीतल इसी तरह रोती रही।
“शीतल…,मैंने तुम्हारे लिए अपना घर छोड़ा है,तुम मुझसे वादा करो की तुम कभी भी मुझे छोड़ कर नही जाओगी,”राज ने कहा।
“कभी नही, मैं आपका साथ कभी नही छोड़ूँगी,” शीतल ने कहा।
रात के 1 बज गये थे कुछ देर वो इसी तरह से बातें करते रहें और फिर शीतल उठी और अपना दुपट्टा फर्श पर बिछा दिया।
“आप इस दुपट्टे पर सो जाइए,”शीतल ने कहा।
तुम उस पर सो जाओ मैं ऐसे ही ठीक हूँ। राज ने कहा और वो फर्श पर ही सो गया,शीतल कुछ देर सोचती रही फिर वो उस दुपट्टे पर सो गयी।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुबह शीतल की नींद जल्दी खुल गयी,राज अभी भी सो रहा थ। वो राज के सिर पर हाथ फिराने लगी जिससे राज की नींद खुल गयी।
“ये क्या कर रही हो?”राज ने पूछा।
“कुछ नही……। आपको काम पर नही जाना है,”शीतल ने कहा।
“ऐसे ही जाऊँ,यहाँ तो पानी भी नही है,”राज ने कहा।
|