RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“आप कौन?” शीतल ने पूछा।
“ये मेरा ही घर है,” उस लड़के ने कहा।
शीतल कुछ नही बोली,पूछना तो चाहती थी की आप ही मुझे यहाँ लाए थे लेकिन उससे कुछ भी नही कह पाई,वो उसे चोर निगाहों से देख रही थी। वो लड़का देखने में किसी हीरो से कम नही था।
“तुम्हारा नाम क्या है?” उस लड़के ने पूछा।
“शीतल…………और आपका?”
“जय,आप को कल मैं ही यहाँ लेकर आया था,आप मुझे सड़क के किनारे बेसुध पड़ी मिली थी,बारिश की वजह से आप पूरी तरह से भीगी हुई थीं,” उस लड़के ने कहा।
“पर कल बारिश नही हो रही थी,” शीतल ने कहा।
“हो सकता है आपके बेहोश होने के बाद हुई हो,” जय ने कहा।
शीतल कुछ नही बोली वो असहज महसूस कर रही थी।
“तुम्हारे साथ हुआ क्या था ? तुम वहाँ बेहोश पड़ी थी,देख कर ऐसा तो नही लग रहा था की तुम्हारे साथ कुछ हुआ हो,”जय ने कहा।
“मेरी तबीयत खराब हो गयी थी,”शीतल ने कहा। कुछ रुककर फिर पूछा-“क्या आप मुझे वापस वहीं छोड़ सकते हैं?”
“अभी नही क्योंकि यहाँ से वो जगह लगभग 80किलोमीटर दूर है और यहाँ से शहर भी बहुत दूर है,” जय ने कहा।
“ठीक है………। आप यहाँ अकेले रहते हैं,” शीतल ने पूछा।
“नही,यहाँ कोई नही रहता , कभी-कभी मैं यहाँ आता हूँ। आपको डर लग रहा है क्या?जो आपने ऐसा पूछा,”जय ने कहा।
नही।
“बहुत सुंदर हो तुम,”जय ने शीतल की तारीफ करते हुए कहा।
“मालूम है,और मेरे बारे में सोचने की ज़रूरत नही है मैं शादीशुदा हूँ,” शीतल ने उसी लहजे में कहा।
“दिखती तो बहुत कम उम्र की हो। करती क्या हो?” जय ने पूछा।
“सिर्फ़ 20 की ही हूँ, बी.ए. कर रही हूँ और साथ ही सरकारी जॉब।”
“बहुत अच्छी।”
शीतल कुछ नही बोली।
“तुमने कुछ खाया था या……और अब तुम्हारी तबीयत कैसी है?जय ने पूछा।”
“खाया था और तबीयत भी ठीक है।”
“तुम जाकर सो जाओ रात बहुत हो गयी,” जय ने कहा और खुद वहाँ से उठ कर एक कमरे में चला गया। शीतल भी अपने कमरे में चली गयी और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। उसे लेटे थोड़ी ही देर हुई थी की जय ने दरवाजा खटखटाया। शीतल ने दरवाजा खोला तो जय तुरन्त कमरे के अंदर आ गया। शीतल को जय की ये हरकत बुरी लगी और थोडा डर भी लगा। जय बेड पर बैठ गया,उसने शीतल को अपने बगल बैठने का इशारा किया। शीतल बैठना तो नही चाहती लेकिन वो जय को मना भी नही कर पाई,वो बेड पर जय से थोड़ी दूरी बना कर बैठ गयी।
“क्या हुआ ? आप यहाँ क्यों आए हैं?” शीतल ने पूछा।
“मैं तुम्हारे लिए कुछ कपड़े लाया हूँ,” जय ने शीतल को कपड़े पकड़ाते हुए कहा।
जय उसके लिए ब्लैक सलवार-सूट और ब्लू जीन्स,रेड टॉप लाया था।
“मैं जीन्स नही पहनती और आपको मेरे लिए ये सब करने की ज़रूरत नही है,” शीतल ने कहा।
“जीन्स क्यों नही पहनती,अच्छी लगोगी,” जय ने कहा।
“मैं ब्लैक सूट में ज़्यादा अच्छी लगती हूँ,आपका लाया हुआ सूट मुझे ज़्यादा पसन्द है पर मैं जीन्स नही पहन सकती,” शीतल ने हँसते हुए कहा।
वो बहुत दिन बाद वो खुल कर हँसी थी । जो कुछ वो राज से चाहती थी वो उसे जय से मिल रहा था।
“एक बार जीन्स पहन कर तो देखो,”जय ने उससे थोड़ा ज़िद करते हुए कहा।
“आप मेरे कौन हो ? जो आपके लिए मैं ………,”शीतल ने कहा।
“कोई बात नही ना , पहनो जीन्स पर मुझे तो इस तरह पराया ना करो,” जय ने शीतल के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा।
शीतल हँस दी और अपना हाथ पीछे खींच लिया।
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