RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
सुबह उसकी आँख कुछ देर से खुली,करीब 9 बजे,उसके सिर में उस समय हल्का दर्द हो रहा था,वो उठी और अपने आस-पास अच्छी तरह से देखने लगी,उसे मेज पर इंजेक्शन पड़ा दिखा,वो इंजेक्शन किसी को लगाया जा चुका था। शीतल को समझ आ गया की कल रात उसे ये इंजेक्शन लगाया गया था। वो कमरे से निकल कर जय को ढूढ़ने लगी लेकिन जय घर में नही था,पूरे घर में देख लिया पर उसे जय कहीं नही दिखा ना ही कोई और। घर का दरवाजा खुला था,वो बाहर आई तो देखा जय गार्डेन में बैठा है उसके साथ 29-30 की एक लड़की एक बच्चे को गोद में लिए बैठी थी। शीतल उनके पास गयी। वहाँ कुछ कुर्सी और एक मेज रखी थी।
“शीतल,ये मेरी बड़ी बहन ज्योति है और गोद में इनका 2साल का बेटा यश है,” जय ने शीतल का परिचय कराते हुए कहा।
“जय मुझे तुमसे कुछ पूछना है,” शीतल ने ज्योति से नमस्ते करते हुए कहा।
“पूछो।”
“कल रात मेरे कमरे में कौन आया था और मुझे इंजेक्शन क्यों और किसने लगाया था?” शीतल ने पूछा।
“मैं आई थी,मैंने ही इंजेक्शन लगाया था,” ज्योति ने कहा।
“क्यों?”
“तुम इतनी लापरवाह क्यों हो,इतनी ठंड में तुम बिना किसी गर्म कपड़े के बाहर आ गयी। तुम्हारी तबीयत ठीक नही है लेकिन तुम्हें इसकी कोई परवाह नही है,कल रात को भी तुमने कुछ ओढ़ नही रखा था तुम्हारी पूरी शरीर ठंड से कांप रही थी,”ज्योति ने कहा।
“मुझे इंजेक्शन किसलिए लगाया था?”शीतल ने अपना प्रश्न दोहराया।
“तुम्हें बहुत ज़्यादा बुखार था इसलिए मुझे इंजेक्शन लगाना पड़ा,मैं एक डॉक्टर हूँ, वो इंजेक्शन दवाई का था,”ज्योति ने कहा।
शीतल बिल्कुल चुप हो गयी उसके पास ज्योति की बात का कोई जवाब नही था,उसे कुछ पूछना था लेकिन वो कुछ भी नही कह पाई।
“उस रात को भी तुमने कोई गर्म कपड़े नही पहने थे,ऐसे सड़क के किनारे पड़ी थी। घर नही है क्या?उस रात मैंने तुम्हारे कपड़े बदले थे और मैंने तुम्हारा पूरा मेडिकल चेक-उप किया था किसी तरह का कोई भी चोट का निशान नही था ना ही तुम्हारे साथ कुछ ग़लत हुआ था। बेहोश होकर भी नही गिरी थी क्योंकि बेहोश होकर गिरती तो कुछ चोट ज़रूर होती। आख़िर हुआ क्या था?” ज्योति ने उससे एक बार में बहुत कुछ कह दिया।
शीतल ने कोई जवाब नही दिया,ज्योति की बातों से उसे तसल्ली हो गयी थी की वो यहाँ पूरी तरह से सुरक्षित है।
“रहती कहाँ हो?”ज्योति ने पूछा।
“प्रीतमपुर।”
“पढ़ती हो?” ज्योति ने पूछा।
“पढ़ती हूँ और जॉब भी करती हूँ,” शीतल ने कहा।
“उम्र क्या है?”ज्योति ने पूछा।
“20 साल।”
“शादीशुदा हो?” ज्योति ने पूछा।
“हाँ।”
“लव या अरेंज?” ज्योति ने पूछा।
“कोर्ट मैरिज,” शीतल ने कहा।
“इतनी जल्दी क्या थी शादी करने की घरवाले करते तो कुछ समझ आता है पर तुमने अपनी मर्ज़ी से की। क्या तुम पागल हो?देखने में बच्ची जैसी मासूम दिखती हो और हरकतें भी बच्ची जैसी हैं फिर क्यों इतनी जल्दी थी। थोड़ी और बड़ी हो जाती तभी शादी करती,” ज्योति ने कहा।
शीतल से कुछ बोलते नही बना। ज्योति तो उससे इस तरह से पेश आ रही थी जैसे की शीतल कोई आतंकवादी हो और वो सेना की अधिकारी। शीतल नज़रें झुकाए खड़ी थी वो उन्हें कैसे बताती की उसकी शादी किन हालत में हुई थी।
"शीतल तुमने जीन्स नही पहनी,” जय ने माहौल को हल्का करने के लिए मज़ाक में कहा।
शीतल हँस दी पर कुछ बोली नही,वो शर्मा गयी थी। उसने वहाँ से चले जाना ही बेहतर समझा और घर के अंदर चली गयी अपने कमरे में पहुँच कर उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। जय की बात उसके मन में चल रही थी,उसने सोचा क्यों ना एक बार जीन्स पहन ही लूँ,वो बेड पर लेटी यही सब सोच रही थी किसी ने दरवाजा खटखटाया,शीतल ने दरवाजा खोला,सामने ज्योति खड़ी थी।
“तुम नहा कर तैयार हो जाओ,” ज्योति ने कहा।
“क्यों दीदी?”
“तुम्हें तुम्हारे घर जाना है या नही,”ज्योति ने कहा।
“ठीक है,दीदी,” शीतल ने कहा पर तब तक ज्योति जा चुकी थी।
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