RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
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शीतल सबसे पहले हॉस्पिटल के काउंटर पर 2 लाख रुपये जमा करने गयी लेकिन किसी ने पहले ही पैसे जमा कर दिए थे। शीतल ने कुछ नही पूछा और राज के पास चली गयी।
राज सो रहा था या फिर आँख बंद करके लेटा था। देखने में वो बिल्कुल ठीक लग रहा था पैर का प्लास्टर भी खुल चुका था। शीतल राज के सिर के पास स्टूल पर बैठ गयी,अपना एक हाथ राज के सर पर रख दिया। हाथ रखते ही राज की आँख खुल गयी।
“अब तबीयत कैसी है?” शीतल ने पूछा।
“ठीक हूँ……। तुम दो दिन कहाँ थी?” राज ने पूछा।
शीतल ने उसकी बात का जवाब नही दिया और पानी पीने का बहाना बना कर वहाँ से हट गयी। वो रूम से बाहर निकली तो देखा की सुषमा सामने से आ रही थी।
“कहाँ चली गयी थी तुम?” सुषमा ने शीतल के पास पहुँचते ही उससे पूछा।
शीतल कुछ नही बोली,अपनी नज़रें नीचे झुका ली।
“तुम्हें मालूम है सब तुम्हारे बारे में किस तरह की बातें कर रहे हैं। राज के मम्मी-पापा आए थे। वो तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे,तुम्हारे मम्मी-पापा भी आए थे। वो सब तो यहाँ तक कह रहे थे की तुम किसी के साथ भाग गयी हो। राज को तुम्हारे बारे में ऐसी झूठी बातें बताई गयी हैं कि अब वह तुम से कभी मिलना भी नही चाहेगा। उसे नफ़रत हो गयी है,अच्छा होगा की तुम अपने घर चली जाओ। राज अब तुम्हें नही अपनाएगा,”सुषमा ने शीतल को समझाते हुए कहा।
शीतल की आँखों से आँसू बहने लगे पर मुँह से एक शब्द भी नही निकला। सुषमा ने उसे रोने की वजह दे दी थी। शीतल वहीं साइड में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी,उसने सुषमा को जाने का इशारा किया,सुषमा चली गयी। दो घंटे बाद शीतल फिर से राज के पास गयी। राज की आखें बंद थी। शीतल वहीं स्टूल पर बिना आहट किए बैठ गयी,वो जैसे ही बैठी थी की किसी ने रूम का दरवाजा खोला,शीतल उसे देखकर एक झटके से उठ खड़ी हुई,राज के पापा थे। वो बड़ी तेज़ी से अंदर आए राज के बगल में बेड की दूसरी ओर खड़े हो गये। उनका ध्यान शीतल की ओर नही गया था जैसे ही वो बैठने वाले थे की उनकी नज़र शीतल पर पड़ी।
“तुम अब यहाँ क्यों आई हो?” राज के पापा ने पूछा।
शीतल कुछ नही बोली।
“मेरे बेटे का पीछा छोड़ दो और यहाँ से चली जाओ। एक बार मेरे राज ने तुम्हें अपना लिया इसका मतलब यह नही की वो तुम्हें हर बार अपना लेगा। तुम क्या सोचती हो कि राज इस समाज की गंदगी को अपनाता रहेगा। हमने सोचा था कि जो हुआ उसे भूल कर तुम्हें अपना लें लेकिन तुम्हे तो कोई भी रिश्ता नही निभाना आता है। पहले अपने माँ-बाप को छोड़ा और अपने पति को भी,” राज के पापा ने कहा।
“नही पापा,मैंने कुछ भी ग़लत नही किया है,” शीतल ने कहा।
“तुम्हारे लिए कुछ ग़लत है भी, तुम जैसी लड़की सिर्फ़ लोगों की जिंदगी बर्बाद करती हो। लोग अपनी इज़्ज़त के लिए क्या कुछ नही करते और तुमने पैसों के लिए खुद को ही बेच दिया,तुमने अपना ही सौदा कर लिया। तुम्हे लगता है की तुम कुछ भी करोगी किसी को कुछ पता नही चलेगा,तुम यहाँ किसी अमीर लड़के के साथ उसकी गाड़ी से आई थी,” राज के पापा ने कहा।
“पापा,उसने मेरी मदद की थी मेरा उसके साथ कोई संबंध नही है,” शीतल ने कहा।
“हो सकता है की उसने तुम्हारी मदद की हो पर कोई किसी को 2 लाख रुपये ऐसे ही नही दे देता। तुमने सिर्फ़ 2 लाख के लिए अपने आप को बेच दिया। समाज ने तुम जैसी लड़कियों को ठीक ही नाम दिया है। तुम जैसी चरित्रहीन लड़की मेरे बेटे की पत्नी नही हो सकती,”राज के पापा ने कहा।
“पापा,बस करिए किसी भी लड़की के चरित्र पर आप इस तरह से उंगली नही उठा सकते,आप ऐसे कैसे मुझे कुछ भी कह सकते हैं। मैं अपने पति को धोखा नही दिया,मुझे अपने आप को सही साबित करने की कोई ज़रूरत नही है। जब आप मुझे अपनी बहू नही मानते तो आप मुझे कैसे कुछ कह सकते हैं। मुझे कुछ भी कहने का अधिकार सिर्फ़ राज को है,” शीतल ने कहा। इस बार वो रोयी भी नही थी , उसने अपने आँसुओं को बहने नही दिया।
“तुम सोचती हो की राज तुम्हे अपना लेगा,ऐसा कुछ नही होगा राज तुमसे नफ़रत करने लगा है। तुमने उसके विश्वास को तोड़ा है,वो तुम्हे कभी माफ़ नही करेगा,बैठी रहो यहीं कुछ देर में जब वो उठेगा तो वो खुद ही तुमसे रिश्ता तोड़ देगा,तब रोना बैठ कर,” राज के पापा ने कहा और वो कमरे से बाहर चले गये।
शीतल ने उन्हें तो जवाब दे दिया था लेकिन उसे डर लग रहा था कि राज कहीं उसे ठुकरा ना दे। कहीं दो दिन में राज के दिल में उसके लिए नफ़रत तो नही भर गयी। शीतल खुद को कोस रही थी,दिल ही दिल वो बहुत रो रही थी लेकिन उसकी आँखें नम नही हुई थीं। तभी उसके हाथ पर किसी ने हाथ रखा,राज था। वो जाग गया था शीतल का पूरा शरीर काँपने लगा उसकी धड़कने बिल्कुल रुक सी गयी। अब अगर राज ने भी उससे यही बात कही तो वो क्या करेगी उसे कुछ नही सूझ रहा था इतनी देर से रुके आँसू,आँख से बहने लगे। शीतल ने राज की ओर देखा भी नही अपनी नज़रें झुकाए बैठी रही वो खुद को राज की हर बात सुनने और हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार कर रही थी।
“रो क्यों रही हो?पागल,” राज ने कहा।
शीतल ने अपनी नज़रे नही उठाई,उसका रोना और तेज हो गया। ऐसी रोती हुई आवाज़ में उसने कहा-“मुझे माफ़ कर दो। ”
“किस लिए?तुमने कुछ भी ग़लत नही किया है,मुझे तुम पर भरोसा है,मैं तुम्हारा साथ कभी नही छोड़ूँगा,”राज ने कहा।
शीतल को तो जैसे विश्वास ही नही हो रहा था। राज ऐसा कुछ कह सकता है उसने सोचा ही नही था। उसे समझ नही आ रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है। एक ओर राज कहता कि उसे उससे प्यार नही और दूसरी ओर वो उस पर इतना भरोसा दिखाता है। शीतल राज के गले से लग कर रोने लगी। राज ने उसके आँसू पोछे और उसे चुप कराया। राज को शीतल को चुप करना बहुत अच्छी तरह से आता था। शीतल को भी राज की सबसे खास बात यही लगती थी की वो उसे आसानी से चुप करा देता है जबकि उसे कोई भी चुप नही करा पाता था। वो अपने घर में भी जब भी रोती तो कभी कोई चुप नही करा पाता था। वो रोते-रोते सो जाती थी पर चुप नही होती थी।
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