RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
राज कुछ नही बोला। शीतल ने अँगूठी देखते हुए कहा-“तुम्हारे पास इतने पैसे थे,…………। क्या किसी से उधार लिए हैं?”राज कुछ नही बोला तो उसने अपनी पर्स से कुछ रुपये निकाल कर राज को दे दिए। राज ने रुपयों की ओर देखा भी नही वो ऐसे ही बिस्तर पर पड़े रहे।
“इतना खर्च करने की क्या ज़रूरत थी,अभी तो तुमने कमाना शुरू ही किया है और अभी से………,” शीतल ने कहा।
राज फिर भी कुछ नही बोला।
“मम्मी,कह रही थी कि मुझे जय से शादी कर लेनी चाहिए,मैं उसके साथ ज़्यादा खुश हूँ,” शीतल ने कहा।
“कर लो।”
“नही करनी,” शीतल ने हँसते हुए कहा।
“क्यों?”
“नही करनी बस इसलिए नही करनी।”
राज ने रुपये उठा कर वापस उसे पकड़ा दिए , पर शीतल ने वापस लेने से मना कर दिया।
“मुझे इन रुपयों की कोई ज़रूरत नही है। क्या तुम समझती हो कि मैं तुम्हे एक गिफ्ट भी खरीद कर नही दे सकता?”राज ने कहा।
“मैं तुम्हे नीचा नही दिखा रही,राज,मैं इतना कहना चाहती हूँ कि तुम्हारा हर गिफ्ट मेरे लिए खास है तुम्हें मुझे खुश करने के लिए जय की तरह दिखावा करने की ज़रूरत नही है,” शीतल ने कहा।
राज कुछ नही बोला,वो बिस्तर से उठा और मेज से केक उठा कर उसके सामने रख दिया। उसने शीतल का बर्थडे बहुत अच्छे से मनाया। घंटों वो दोनों मस्ती करते रहे। शीतल खुश थी कि राज ने उसका इतना ख्याल रखा,उसे तो उम्मीद भी नही थी कि राज ऐसा कुछ भी करेगा। शीतल के साथ रहते-रहते राज भी थोड़ा चंचल हो गया था।
जब वो सोने लगे तो शीतल ने राज को छेड़ते हुए उससे पूछा-“वैशाली कौन है?”
“कौन वैशाली?”राज ने आश्चर्य से शीतल की ओर देखते हुए कहा।
शीतल राज के बहुत पास आ गयी और उससे बोली-“वही जिसे तुम हर रोज़ फ़ेसबुक पर सर्च करते हो।
”राज का तो जैसे खून जम गया उससे कुछ भी बोला नही गया।
“मैंने तुम्हारी सर्च हिस्ट्री देखी थी,” शीतल ने कहा।
“वैशाली मेरी दोस्त थी,और कुछ नही,” राज ने कहा और अपनी आँखें बंद करके सोने लगा।
शीतल ने राज का मुँह अपने हाथों से अपनी ओर कर दिया ओर उसकी आँख खोलते हुए बोली-“मुझे सब कुछ बताओ अपने और उसके बारे में। ”
“कोई नही है,” राज ने दबाव देते हुए कहा।
“सच बताओ……। नही तो कभी बात नही करूँगी।”
“ना करो……।”
“बताओ….. सब कुछ।”
“वैशाली मेरे साथ पढ़ती थी,मैं उसे प्यार करता हूँ तब से जब मैं 11साल का था और 7 में पढ़ता था। वो बहुत सुंदर है,वो सिर्फ़ मुझसे ही बात करती थी और किसी लड़के से नही अगर मैं किसी लड़की से बात करता था वो चिढ़ जाती थी। जब वो हँसती थी तो उस समय वो मुझे बहुत सुंदर लगती थी लेकिन मुझे उससे कहने में बहुत डर लगता था क्यों कि वो सख़्त है और इस तरह की बातें उसे पसंद नही है। मैं उससे कभी कह नही पाया की मैं उससे प्यार करता हूँ पर स्कूल छोड़ने से पहले मैंने किसी से उस तक बात पहुँचा दी पर उसने साफ मना कर दिया। स्कूल छूटने के बाद हम कभी नही मिले। इसलिए उसे फ़ेसबुक पर सर्च करता हूँ,” राज ने कहा।
“आज भी उससे उतना ही प्यार करते हो,” शीतल ने पूछा।
“मालूम नही………शायद हाँ,” राज ने कहा।
“बहुत सुंदर है?” शीतल ने पूछा।
“हाँ और बहुत अच्छी भी है,” राज ने कहा।
“मुझसे भी,” शीतल ने दबी आवाज़ में कहा जैसे उसे जलन हो रही हो।
“शीतल तुम्हारी उसके साथ कोई बराबरी नही है और ना ही कभी मैंने तुम्हारी और उसकी कोई तुलना की है…………,” राज ने कहा।
शीतल कुछ नही बोली।
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