RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है?” राज ने शीतल से पूछा।
“नही।“
“जय से…………,” राज ने कहा।
“नही। वो तुम्हे प्यार क्यों नही करती है?” शीतल ने पूछा।
“मैं जय जितना स्मार्ट नही हूँ कि मुझे शीतल जैसी लड़की प्यार करे,”राज ने कहा।
“फिर भी जय को मुझ जैसी लड़की नही मिली,” शीतल ने कहा।
राज कुछ नही बोला। शीतल ने अपने हाथों की पाँचो उंगली राज की उंगलियों मे फँसा दी और उसका हाथ कस के ज़कड़ लिया।
“तुमने कभी किसी से प्यार नही किया,” राज ने ज़ोर देकर पूछा।
“किया है………,” शीतल ने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा।
“और उसने तुमसे,” राज ने पूछा।
“वो मुझ पर भरोसा करता है,मेरी देखभाल करता है,मेरे लिए सब कुछ करता है पर प्यार मुझसे …………,” शीतल चुप हो गयी।
“क्या हुआ चुप क्यों हो गयी?” राज ने पूछा।
“कुछ नही,” शीतल ने कहा और अपनी नज़रें झुका ली।
“वो तुमसे प्यार नही करता क्या?” राज ने पूछा।
“मालूम नही ! ना मुझे ना ही उसे,” शीतल ने कहा।
दोनों एक पल के लिए शांत हो गये। पूरे कमरे में एक खामोशी सी छा गयी सिर्फ़ पंखा चलने की आवाज़ आ रही थी।
“अगर तुम्हे,मुझे और वैशाली में किसी एक को चुनना हो तो तुम किसे चुनोगे?” शीतल ने राज से पूछा।
“मुझे नही मालूम………। अगर वो लड़का तुम्हे प्यार करने लगे तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगी?”
“कुछ और बात करें,” शीतल ने कहा।
“नही,पहले जवाब दो।”
शीतल ने जवाब नही दिया। वो दोनो एक दूसरे से खुल कर बात कर रहे थे,ऐसा लग रहा था जैसे दोनो में बहुत प्यार है पर बातें दोनो ऐसी कर रहे जो कोई भी पति पत्नी शायद कभी भी ना करें। दोनों किसी और से प्यार करते थे।
“मुझे लगता था कि तुम्हें लड़कियों में कोई दिलचस्पी नही पर तुम तो…………,” शीतल कहते-कहते चुप हो गयी।
“वो है ही ऐसी की किसी को भी उससे प्यार हो जाए,……। बहुत सुंदर है वो,” राज ने कहा।
“शायद तुम उससे सच्चा प्यार नही करते,तुम सिर्फ़ उसके ……। अगर उससे सुंदर कोई मिल जाए तो शायद तुम उसे………,” शीतल ने अधूरी बात ही कही।
“मैं समझ सकता हूँ की तुम क्या कहना चाहती हो,पर मैं उससे सच्चा प्यार करता हूँ,तुम उससे बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो पर मैंने कभी भी तुम्हे हाथ तक नही लगाया,” राज ने कहा।
शीतल की नज़रें झुक गयी,उसके पास कोई भी जवाब नही रह गया था पर उसे अच्छा भी लग रहा था की राज ने उसे सुंदर कहा और वो वैशाली से सुंदर है।
“तुम वैशाली से ज़्यादा अच्छी हो,” राज ने फिर कहा।
शीतल हल्का-सा मुस्कुरा दी और अपने बालों को ऊपर करने लगी।
“तुम अपनी जॉब छोड़ दो,”राज ने कहा।
शीतल,राज को ऐसे देखने लगी जैसे राज ने उससे ऐसा कुछ कह दिया हो जो कभी नही कर सकती थी।
“क्यों?”
“अब मैं एक दिन बहुत कमा लेता हूँ,मैं जहाँ काम करता हूँ वहाँ पर 40% की मेरी हिस्सेदारी है।“
“पर मैं जॉब करना चाहती हूँ,” शीतल ने बड़े उदास मन से ज़ोर देते हुए कहा।
“तुम पहले अपनी पढ़ाई पूरी करो और साथ ही आई.ए.एस. की तैयारी करो,” राज ने कहा।
शीतल का चेहरा कमल-सा खिल गया,अपने जिस सपने को वो भूल चुकी थी उस सपने की याद उसे राज ने दिला दी थी। उसके दिल की हर बात को राज बिना कहे ही समझ जाता था।
“ठीक है,”शीतल ने कहा।
उन दोनों को बात करते-करते सुबह के 4 बज गये। दोनों की आखों में नींद नही थी,दोनों एक दूसरे की बातों में खोए हुए थे,बात करते-करते वो कब सो गये उन्हें पता ही नही चला।
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