RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
10 दिन बीत गये पर शीतल का कोई पता नही चला इस बीच जय के बारे में भी कोई जानकारी नही मिली इसलिए सब को यकीन था की शीतल जय के साथ ही है।
एक दिन सभी लोग फिर से राज को समझाने के लिए उसके घर आए शीतल के मम्मी-पापा,राज के घरवाले और सुषमा। सब उसे शीतल को भूलने के लिए कह रहे थे पर राज को किसी की कोई बात का फ़र्क नही पड़ रहा था सब बात कर ही रहे थे की तभी शीतल आ गयी सब उसे देख कर चौंक गये। शीतल भी सभी को एक साथ देख कर सहम गयी।
“अब क्यों आई हो शीतल,फिर से राज की ज़िंदगी बर्बाद करने के लिए,हम तुम पर नाज़ करते थे और तुमने………। तुम ऐसी होगी मैंने कभी नही सोचा था अगर तुम्हे राज के साथ ऐसा ही करना था तो जब हम कहते थे तब तुमने क्यों नही उसे छोङ दिया कम से कम राज की ज़िंदगी तो ना खराब करती,” शीतल की माँ ने शीतल को देखते ही कहा।
शीतल के कदम थम से गये वो एक जगह खड़ी की खड़ी रह गयी उसकी मम्मी उसे ऐसा कुछ कहेंगी वो कभी नही सोच सकती थी कोई दूसरा कहता तो शायद वो जवाब देने की हिम्मत भी करती पर उसकी अपनी माँ ही उसके चरित्र पर उंगली उठा रही थीं,ऐसे में वो क्या कहती। उसकी आँखो से आँसू की एक बूँद ना गिरी पर उसका दिल रोने लगा था। उसे कोई सहारा देने वाला भी नही था।
“शीतल, मैंने तुम्हारी इतनी मदद की,मैं सोचती थी कि घर छोड़ना तुम्हारी मजबूरी थी पर नही ये तो तुम्हारी आदत है। तुम किसी की नही हो सकती ना तो अपने घर वालों की हुई ना ही अपने पति की और ना ही तुम जय की होगी,” सुषमा ने शीतल से कहा।
शीतल एक जगह खड़ी मूर्ति बनी हुई थी। कौन क्या? और क्यों कह रहा था? उसे कुछ भी नही समझ आ रहा था। उसकी नज़रें झुकी हुई थी उसने सिर्फ़ एक बार नज़र उठा कर राज की ओर उम्मीद के साथ देखा की राज उसके पक्ष में कुछ तो कहे पर राज ने कुछ नही कहा।
“राज को तलाक़ दे दो अब उसकी ज़िंदगी और ना खराब करो,” राज की माँ ने कहा।
“हाँ शीतल, तुम्हें राज को तलाक़ दे देना चाहिए। कम से कम वो तो अपनी ज़िंदगी सकून से जी सके,” शीतल के पापा ने कहा।
“राज, शीतल को तलाक़ दे दो,इस लड़की को किसी की परवाह नही है,इसकी वजह से अपनी ज़िंदगी बर्बाद मत करो। हम सही कह रहे हैं या ग़लत ये तुम खुद देख सकते हो,वैसे भी तुम दोनों एक-दूसरे से प्यार नही करते हो तो क्यों इस रिश्ते में बँधे हो। आज़ाद कर दो एक-दूसरे को,” राज के पापा ने कहा।
हर कोई शीतल को कुछ ना कुछ कहे जा रहा था पर ना तो शीतल ने कुछ कहा ना ही राज ने। राज किससे क्या कहता शीतल के अपने ही तो उसे बुरा कह रहे थे।
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