RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
उसने अपनी डायरी ली उसमें कुछ लिखा और फिर सो गयी। कुछ दिन में उनके बीच की दूरियाँ थोड़ी कम हो गयी।
“आज किसी होटल में खाना खाने चले,” शीतल ने राज से कहा। रात का समय था राज उस समय कुछ पेपर पर काम कर रहा था।
“किस होटल में?” राज ने पूछा।
“किसी पाँच सितारा होटल में।”
राज कुछ नही बोला करीब 1 घंटे बाद दोनों किसी होटल में एक-दूसरे के आमने-सामने बैठे थे।
“लखनऊ चलोगे?शीतल ने पूछा।”
“कब?”
“अभी।”
“किस लिए?”
“मुझे अपनी बेटी से मिलना है,” शीतल ने कहा।
“अपनी……………।”
“एक अनाथालय में रहती है,ढाई साल की है,” शीतल ने कहा।
राज उसके साथ उसी समय अपनी कार से लखनऊ की ओर चल दिया,उन लोगों ने उस बच्ची को गोद ले लिया। बहुत प्यारी बच्ची थी,गौरी नाम था।
गौरी के आते ही जैसे उनकी ज़िंदगी में खुशियाँ भर गयी। शीतल और राज की लड़ाई भी ख़त्म हो गयी। दोनों कहीं से भी आते तो गौरी को खिलाने लगते वो थी कुछ ऐसी की उसे देखकर किसी को भी उसे खिलाने का मन करने लगे।
एक दिन वो तीनों किसी होटल में खाना खाने गये। वो लोग खाना खा ही रहे थे की तभी उनके पास एक लड़का आकर खड़ा हो गया। उसने किसी से कुछ बोला नही। राज कुछ कहता इससे पहले शीतल बोल पड़ी-“अरे सतीश तुम……। कैसे हो?”
“ठीक हूँ। और तुम बताओ।”
“मैं अच्छी हूँ,ये मेरे पति हैं और ये शरारती बच्ची मेरी बेटी,” शीतल ने सतीश को राज और गौरी से मिलाते हुए कहा।
“तुम दोनों आपस में बात करो मैं बाहर तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ,” राज ने कहा और वो गौरी को गोद में उठा कर बाहर चला गया।
“तुमने इतनी जल्दी शादी कर ली,क्या घर का ज़्यादा दबाव था?”
“नही,मैंने कोर्ट मैरिज की है।”
“क्यों कितना प्यार हो गया था?”
“प्यार नही हुआ था सिर्फ़ शादी हुई थी,और तुम बताओ क्या कर रहे हो?”
“बी.टेक………। तुमने पढ़ाई छोड़ दी?”
“नही,तुम कल मेरे घर आना तब बात करते हैं,मुझे तुमसे बहुत बात करनी है,” शीतल ने उसे अपने घर का पता लिख कर दे दिया।
अगले दिन सुबह काम पर जाते समय राज ने शीतल से पूछा-“कल जो मिला था वो कौन है?”
“मेरा दोस्त है,सतीश,मेरे साथ पढ़ता था।”
राज कुछ नही बोला।
“सतीश मुझे बहुत प्यार करता था।”
“और तुम।”
“शायद मैं भी,उसने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। पर किस्मत देखो वो मुझे इतना प्यार करता था फिर भी मैं उसे नही मिली और जिसे मिली,वो मुझे प्यार नही करता था।”
“करता तो हूँ।”
“अब करते हो,पहले से नही। वो मुझे बहुत पहले से प्यार करता था। जितना तुमने मेरे साथ किया है उतना सतीश भी मेरे लिए करता।”
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