RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“जय,राज का दोस्त है और उसके पास इतने पैसे अचानक नही आए हैं,सब कुछ उसके पास पहले से था। तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ है वो इत्तेफ़ाक नही था बल्कि राज की चाल थी,” सतीश ने कहा और चला गया।
कुछ देर बाद राज घर आया तो उसने देखा की शीतल सोफे पर बेहोश पड़ी है उसके मुँह से झाग निकल रहा था। वो उसे तुरन्त हॉस्पिटल लेकर गया। शीतल के लिए राज की आँखों में पहली बार आँसू आए थे।
राज को कुछ समझ नही आया की शीतल ने ऐसा क्यों किया। दो दिन हो गये,इन दो दिनों में शीतल की तबियत में पूरी तरह से सुधार आ चुका था क्यों कि जब उसे हॉस्पिटल लाया गया था तब तक जहर उसके शरीर में पूरी तरह से नही फैला था।
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