RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
सुबह राज की आँख देर से खुली वो भी तब जब किसी ने डोरबेल बजाई,बाहर रिया थी। राज के दरवाजा खोलते ही वो अंदर आ गयी। उसने राज से कुछ नही बोला ना ही राज ने रिया से। रिया गौरी के साथ खेलने लगी। करीब 2 घंटे बाद राज रिया के पास आया।
“तुम मम्मी-पापा से पूछ कर आई हो?”राज ने पूछा।
“हाँ,मम्मी ने ही भेजा है,”रिया ने कहा।
“किसलिए?”
“गौरी की वजह से।”
“ठीक है,मैं दिल्ली जा रहा तुम गौरी का ख्याल रखना,” राज ने कहा।
“क्यों?आप को दिल्ली में क्या काम है?” रिया ने पूछा।
“बिजनेस के लिए।”
“भैया,आपको भाभी की कोई फ़िक्र नही है।”
“नही,अगर उसे मेरे साथ नही रहना तो ना रहे मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता।”
“पर भाभी आप को छोड़ कर गयी ही क्यों?आप दोनों तो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हो,फिर क्यों?’रिया ने पूछा।
“इस डायरी को पढ़ लेना सब समझ आ जाएगा,” राज ने रिया को शीतल की डायरी पकड़ाते हुए कहा।
“पर आप कहीं मत जाओ,”रिया ने कहा।
राज कुछ नही बोला और दूसरे रूम में चला गया।
डायरी पढ़ने के बाद रिया राज के पास आई।
“भैया,क्या भाभी आप से प्यार नही करती थी?” रिया ने पूछा।
“सिर्फ़ मुझ से ही प्यार करती है,” राज ने कहा।
“तो फिर आप को क्यों छोड़ कर गयी?” रिया ने पूछा।
“बस,थोड़ी पागल है,” राज ने कहा।
“मम्मी कह रही थी कि शीतल भाभी चाहे जैसी भी हो वो आप से बेहद प्यार करती हैं और अगर वो आप को छोड़ कर गयी है तो ज़रूर आप की ही कोई ग़लती है,” रिया ने कहा।
“वो तो शीतल को पसंद नही करते थे फिर क्यों उन्हें दुख हो रहा है?” राज ने कहा।
“पसन्द नही करते थी पर आज उन्हे पसन्द है,वो अब आप दोनों पर भरोसा करते हैं,” रिया ने कहा।
“अब जब वो है ही नही तो भरोसा करने का क्या मतलब,” राज ने कहा।
“अगर नही है तो आप की वजह से आपने उन्हें कभी समझा ही नही,अगर समझा होता तो जो बाते उन्होंने डायरी में लिखी हैं,वो आप को बहुत पहले बता दी होती,” रिया ने कहा।
“मुझे सब पहले से ही पता था,मैं ये डायरी कई बार पढ़ चुका हूँ। इसमें ऐसा कुछ नही लिखा है जिससे पता चले की उसने जहर क्यों खाया और हमें छोड़ कर क्यों गयी?”
“अब क्या वो कभी नही आएँगी?”रिया ने पूछा।
राज कुछ कहे बिना कहीं बाहर चला गया। दिन भर वो सड़क पर पागलों की तरह घूमता रहा। ना तो उसकी आँखों से आँसू गिरते ना ही वो किसी से बात करता बस खुद में ही खोया हुआ रहता। शीतल उसके लिए क्या थी उसे आज समझ आ रहा था। 2-3 दिन बीत गये पर शीतल वापस नही आयी। राज का मन घर में नही लगता था लेकिन गौरी की वजह से उसे मजबूरन घर आना पड़ता था। जब वो राज से अपनी तोतली आवाज़ में पूछती-“पापा,मम्मा कब आएगी।” तो राज के पास कोई भी जवाब नही होता था। वो कहता भी क्या?उस समय राज उसे कोई झूठी कहानी सुना कर मना लेता था पर वो खुद को नही समझा पाता था खुद अकेले में छत पर जाकर दो आँसू बहा लेता। राज को जैसे यकीन हो गया था की इस बार शीतल वापस नही आएगी।
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