RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
अगले दिन अख़बार में खबर थी की किसी ने बिजनेसमैन जय की हत्या कर दी। हत्या की वजह चोरी या लूट बताई जा रही थी। राज ने खबर पढ़ी और पेपर को एक किनारे रख दिया। तभी रिया वहाँ आई।
“भैया,मैं घर वापस जा रही हूँ,” रिया ने कहा।
“क्यों?”
“मेरा स्कूल है,” रिया ने कहा।
“ठीक है,…। पर कुछ देर रूको मैं भी चलता हूँ,” राज ने कहा।
राज 8 महीने बाद अपने घर वापस जा रहा था। घर पहुँचते ही रिया,गौरी को गोद में लेकर अंदर चली गयी,पर राज दरवाजे पे ही खड़ा रहा। कुछ देर बाद जब अंदर से किसी ने आवाज़ दी तब जाकर राज अंदर गया। अपनी माँ के पैर छुए और फिर अपने कमरे में चला गया।
उसका कमरा वैसा ही था जैसा वो छोड़ कर गया था। कुछ देर बाद उसकी माँ भी उसके कमरे में आई।
“अब यहीं रहोगे?” राज की माँ ने पूछा।
“नही।”
“क्यों?और तुमने अपनी हालत क्या बना रखी है?” राज की माँ ने कहा।
“मम्मी,आप चाहती थीं ना कि मैं शीतल को छोड़ दूँ,लीजिए वही मुझे छोड़ गयी,” राज ने कहा और अपनी माँ की गोद में सिर रखकर लेट गया। उसकी आँखें नम हो गयी थी।
“कहाँ गयी है वो?” राज की माँ ने पूछा।
“पता नही।”
“कहीं जय के पास तो नही गयी,” राज की माँ ने कहा।
‘नही,जय की किसी ने हत्या कर दी है,” राज ने कहा।
“तो फिर…,” राज की माँ ने कहा।
राज ने डायरी में लिखी हर बात अपनी माँ को बता दी और बोला-“वो सतीश के साथ भी नही है। ”
“वो उन 10 दिन कहाँ थी?” राज की माँ ने पूछा।
“मुझे नही पता पर उसने कुछ भी ग़लत नही किया है ना ही वो कुछ ग़लत कर सकती है।”
“फिर भी तुम्हें पूछना चाहिए था कि वो कहाँ गयी थी। हो सकता है उस समय उसके साथ कुछ ऐसा हुआ हो जिसकी वजह से आज उसने घर छोड़ा,”राज की माँ ने कहा।
“ऐसा कुछ होता तो वो मुझे ज़रूर बताती,” राज ने कहा।
“कुछ बातें बताने के लिए हिम्मत चाहिए होती है,जो उसके पास नही थी ना ही तुमने उसे कभी कुछ कहने की हिम्मत दी,” राज की माँ ने कहा।
“अब क्या करूँ?मैं उसके बिना नही जी सकता,” राज ने कहा।
“उसे ढूढों हिम्मत हार कर घर बैठने से थोड़ी ही मिलेगी।”
“गौरी का क्या होगा?वो कैसे रहेगी?”राज ने कहा।
“उसके लिए हम हैं। क्या अब हम पर इतना भी विश्वास नही रहा?”
“है,पर वो मेरे बिना नही रह सकती।”
“तुम छोड़ दो बाकी हम उसे संभाल लेंगे।”
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