RE: bahan sex kahani कमसिन बहन
''आआआआआआआआआअहह मंजू..................... मेरी ज़ाआाआअनन्...चूस इसको......... चाट मेरे लंड को ........खा जा इसे....''
'मेरी जान' शब्द ने जैसे मंजू पर किसी जादू जैसा प्रभाव डाला...
उसके अंदर एक नयी सफूर्ती सी आ गयी....
वो दुगने जोश के साथ उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी...
अब तक उसे लंड का स्वाद भी अच्छा लगने लग गया था इसलिए उसे भी अपनी तरफ से एक्सट्रा प्रेशर देने में कोई तकलीफ़ नही थी...
और अचानक उसके लॅंड से ढेर सारा रस निकलकर मंजू के मुँह मे जाने लगा....
ये सब इतनी जल्दी हुआ की ना तो विक्की को उसे रोकने का मौका मिला और ना ही उसके सिर को हटाने का..
बल्कि उसके हाथ तो मंजू के सिर पर और तेज़ी से दबाव बनाने लगे ताकि उसके लंड की एक-2 बूँद सीधा उसके अंदर जाए...
मंजू भी हैरान थी की ये अचानक लंड से क्या निकलने लगा...कहीं वो मूत तो नही रहा उसके मुँह में..
पर फिर कुछ स्वाद से भरी गाड़ी मलाई जब उसे गले से नीचे जाती महसूस हुई तो उसे समझते देर नही लगी की ये क्या है...
स्वाद तो बुरा था नही उसकी मलाई का..
इसलिए वो भी गटागट उसे पीती चली गयी, कुछ अंदर गयी तो कुछ बाहर निकलकर गिर गयी
वो तब तक उसके लंड को चूसती रही जब तक विक्की के लंड का पाइप खाली नही हो गया...
विक्की तो निढाल सा हो गया एकदम से...
ऐसा लग रहा था उसे जैसे मंजू ने लंड के मध्यम से उसकी जान ही निकाल ली है..
मंजू ने अपने होंठो पर लगे रस को अपनी उंगलियो से इकट्ठा किया और उसे अंदर निगलकर चूस गयी...
ऐसा करते हुए वो किसी गुंडी से कम नही लग रही थी.
विक्की कुछ देर बाद खड़ा हुआ और बाथरूम के अंदर जाकर अपने चेहरे को पानी से धोने लगा...
तब जाकर उसकी गर्मी निकली...
कहाँ तो उसने कुछ देर पहले सोच लिया था की वो आज मंजू को पूरा नंगा करके उसे पूरी तरह से चाटेगा
उसके मखमली जिस्म के अच्छे से मज़े लेगा और शायद चुदाई का भी कोई सीन बन जाए...
और कहाँ उसके लंड ने झड़ने के बाद सारे समीकरण ही बदल डाले थे...
अब तो उसका मंजू को किस्स करने का भी मन नही कर रहा था...
बस किसी तरह यहां से निकल जाए यही सोचता हुआ वो बाहर आ गया...
मंजू तब तक उसी टॉपलेस हालत में बैठी थी....
वो उठी और विक्की के गले से लिपट गयी और फिर धीरे-2 विक्की के गले से लेकर उपर तक किस्स करने लगी..
पर विक्की का मूड अब बदल चुका था...
उसने मंजू को पीछे करते हुए कहा :" मंजू....अब मुझे चलना चाहिए....घर पर भी सब राह देख रहे होंगे...और तेरे मम्मी पापा भी तो आने ही वाले है...कल मिलते है...ओके ...''
इतना कहकर वो बिना उसके जवाब की प्रतीक्षा किए बाहर निकल गया और अपनी बाइक लेकर घर आ गया...
और पीछे बेचारी मंजू अपना खुला सा मुँह लिए उसके इस बर्ताव को देखती रह गयी.
घर आते ही जब उसकी नज़रें नेहा से मिली तो उसकी आँखों में छुपी हँसी देखकर उसे समझते देर नही लगी की वो उस से क्या पूछना चाहती है...
वो भी जानती थी की उसके घर वो आज ज़रूर कुछ ना कुछ करके ही आया होगा...
पर ऐसे सीधा कुछ उस से पूछने की हिम्मत नही हो रही थी उसकी.
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