RE: bahan sex kahani कमसिन बहन
नीचे नेहा ने भी कोहराम मचा रखा था,
उसे ये तो एहसास हो चुका था की इस लड़के का लंड भी उसके भाई जितना ही है,
पर अभी भी दूर -2 तक उसके अलावा उसे कुछ और पता नही चल पा रहा था,
वो तो बस मस्त होकर विक्की के लंड की बिन बजाने में लगी हुई थी...
कुछ देर बाद दोनो ने अपनी जगह चेंज कर ली, नेहा उपर आ गयी और मंजू नीचे चली गयी...
विक्की के होंठो को चूसते हुए कुछ देर के लिए तो उसे लगा की ये होंठ वो पहले भी चूस चुकी है,
पर सैक्स की ठरक इतनी चढ़ी हुई थी उसपर की उसका दिमाग़ काम ही नही कर रहा था....
विक्की ने उसके सूट की कमीज़ भी उतार डाली, अब वो भी मंजू की तरह उपर से नंगी थी...
मंजू भी उसका लंड चूसने के बाद उपर आई और फिर वो दोनो मिलकर विक्की को बारी-2 से स्मूच करने लगी...
विक्की के दोनो हाथ में उन दोनों की रेशमी गांड थी जिसे वो जी भरकर दबा रहा था...
नेहा के मन में अंतर्द्वंद चल रहा था....
काश वो अपने भाई से पहले चुदवा चुकी होती तो आज ऐसे सुनहेरे मौके को हाथ से ना जाने देती....
वो अभी के अभी अपनी सलवार नीचे करती और घोड़ी बनकर उसके लंड को अपनी चूत में ले लेती...
पर अपना कुँवारापन उसे अपने भाई के नाम करना था, इसलिए उसने बड़ी मुश्किल से अपने जज्बातों पर काबू पाया...
वहीं दूसरी तरफ मंजू की चूत भी बुरी तरह से पनिया चुकी थी....
चाह तो वो भी रही थी की उसकी चूत का उद्घाटन आज ही हो जाए पर इस तरह से जल्दबाज़ी वाली चुदाई करवाना उसे भी पसंद नही आ रहा था...
अपनी पहली चूत चुदाई के लिए उसने काई सपने संजो रखे थे, जहाँ वो और विक्की हो होंगे, रोमांटिक सा माहौल होगा, गद्देदार बिस्तर होगा जिसपर बिछकर वो चुदाई के भरपूर मज़े ले सकेगी...
पर अभी के लिए तो कुछ ना कुछ करना ही था, और उसके लिए उन दोनो को ही अपने नाड़े खोलने की ज़रूरत थी....
मंजू ने पहले खुद का और फिर नेहा की पायजामी का भी नाड़ा खोलकर उसे घुटनो तक खिसका दिया और फिर दोनो ने एक-2 करके अपनी नंगी चूत और गांड को अच्छी तरह विक्की के खड़े लंड पर रगड़ा...
और फिर विक्की की जाँघो पर अपनी-2 गांड टीका कर उन दोनो ने विक्की के हाथो को अपनी चुतों पर रख लिया, विक्की का लंड इस वक़्त उन दोनो की कमर के बीचो बीच फँसा हुआ था, जिसपर दोनो की गांड का साइड वाला हिस्सा दबाव बनाकर उसे अलग सा एहसास दे रहा था....
इधर विक्की के हाथ हरकत में आए और उधर उसका लंड ....
वो अपनी कमर आगे पीछे करके अपने फँसे हुए लंड से उनकी कमर की चुदाई करने लगा...
और खुद उनकी चुतों में उंगली डालकर उनके दाने को रगड़कर उन्हे रोमांच के आख़िरी पड़ाव तक ले जाने लगा...
बीच-2 में वो अपने हाथ उपर करके उनकी चुचियों से भी खेलता और फिर से हाथ नीचे करके उनकी रसीली चूत में उंगली डालकर उसे चोदने लगता...
तीनो एक ही लय में आहें भरते हुए अपने-2 ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचने लगे और अंत में एक साथ ही उन सबके अंदर का रस निकलकर बाहर आ गया....
विक्की के दोनो हाथ खीर से भर गये...
और उन दोनो की कमर पर ढेर सारी मायोनिज़ फैल गयी...
विक्की ने हाथ उपर किए और अपने गीले हाथ उनके चेहरो के करीब लाया, नेहा की चूत की मलाई उसने मंजू को खिलाई और मंजू की चूत का रस उसने नेहा के मुँह में डाल दिया, फिर दोनो ने मिलकर अपनी कमर पर फैली रसमलाई इकट्ठा की और उसे उंगलियों से चाट-चाटकार खाया....
अब विक्की का काम ख़त्म हो चुका था,
उसे तो अब भी विश्वास नही हो रहा था की नेहा ने उसे अभी तक नही पहचाना,
और वो आगे भी ना पहचाने इसलिए उसने जल्दी-2 अपने कपड़े पहने और उनके होश में आने से पहले ही वहां से रफू चक्कर हो गया..
कुछ देर बाद जब दोनो ने अपनी बोझिल आँखो से आस पास देखा तो विक्की वहाँ नही था,
मंजू ने जल्दी-2 अपने कपड़े पहने, नेहा को भी पहनाए और फिर जिस रास्ते से वो दोनो आए थे, वहीं से होते हुए वापिस अंदर पांडाल की तरफ़ चल दिए,
पहले बाहर बने लेडीज़ बाथरूम में उन्होने अपना हुलिया ठीक किया और फिर चुपके से अंदर जाकर बारात की भीड़ में मिल गये...
किसी को कुछ भी पता नही चला.
कुछ देर बाद दोनो ने खाना खाया और फिर मंजू के मॉम-डेड के साथ वो लोग वापिस आ गये...
वहां पहुँचने से पहले ही नेहा ने विक्की को फोन कर दिया था ताकि वो उसे घर ले जा सके..
घर जाते हुए वो आज काफ़ी खुश थी,
अपनी लाइफ का ये एडवेंचरस सैक्स एक्सपीरियन्स उसे काफ़ी पसंद आया था...
पर इस अधूरे खेल को अब वो पूरा करना चाहती थी,
उसने सोच लिया था की आज किसी भी हालत में वो विक्की के लंड को अपनी चूत में लेकर रहेगी...
इसलिए घर जाते हुए वो उसे कस कर पकड़े बैठी थी,
और रह रहकर उसका हाथ उसके कड़क होते लंड पर जा रहा था...
आज वो अपने भाई का शिकार करने के पूरे मूड में थी.
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