RE: bahan sex kahani कमसिन बहन
स्कूल जाते हुए वो पूरे रास्ते उसके लंड को सहलाती रही, और अपनी नन्ही बूबियाँ उसकी पीठ पर रगड़ती रही..
उसे स्कूल छोड़कर जब वो वापिस जा रहा था तो उसे दूर से मंजू भी एक रिक्शे पर स्कूल की तरफ आती हुई दिखाई दी...विक्की को देखकर उसने रिक्शा वहीं रुकवा लिया और उसे पैसे देकर रिक्शे से उतर गयी....
जैसे ही विक्की उसके करीब पहुंचा वो बोली
"कुछ थेंक्स वेंक्स भी कहना होता है किसी को, कल रात कितनी अच्छे से खातिरदारी करवाई तुम्हारी....''
विक्की : "तुम्हे तो स्पेशल थेंक्स कहना पड़ेगा..पर उसके लिए एकांत की ज़रूरत पड़ेगी मुझे...''
उसकी बात का मतलब समझकर मंजू का चेहरा लाल पड़ गया...और उसने आँखे नीचे कर ली..
विक्की : "देख मंजू, अब मुझसे सब्र नही हो रहा है, मुझे जल्दी से जल्दी वो करना है बस...''
उसकी बात सुनकर मंजू मुस्कुरा दी और इतराते हुए अपनी कमर मटका कर आगे चलने लगी...
और बोली : "क्या करना है विक्की भैय्या ...ज़रा विस्तार से समझाइये मुझे...''
विक्की ने भी अपनी बाइक वहीँ खड़ी की और उसके पीछे-2 चलने लगा,
वो समझ गया था की वो मज़े लेने के मूड में है...
पर सामने ही उसका स्कूल था, वो ज़्यादा देर तक रुक भी नही सकती थी, गेट बंद होने का टाइम हो गया था..
पर फिर भी उसकी चूत गीला करने का पूरा इंतज़ाम कर दिया विक्की ने अपनी एक ही लाइन में ..
वो बोला : "वही...तेरे साथ सैक्स करने का मेरी जान....तेरे ये मोटे मुम्मे चूसने का...तेरी चूत चाटने का, अपना मोटा लंड तेरी गीली चूत में घुसाने का....तेरी चूत मारने का......''
एक के बाद एक ऐसी बाते सुनकर मंजू की साँसे धोंकनी की तरह तेज चलने लगी...
उसकी आँखो में लाल डोरे तैर गये...
उसकी छाती तेज़ी से उपर नीचे होने लगी....
बिना ब्रा की छातियों पर निप्पल उभर कर उजागर हो गये और सफेद शर्ट के उपर दूर से ही चमकने लगे...
एक गीलेपन का एहसास उसे चूत में भी होता महसूस हुआ, और एक हल्का सा गाड़े पानी का झरना उसकी नन्ही चूत में से निकलकर कलकल करता हुआ नीचे की तरफ गिरने लगा...
अब उसकी आँखे बोझल और पैर भारी से हो गये थे...
उसकी हालत देखकर लग नही रहा था की वो स्कूल तक चलकर सही ढंग से जा पाएगी....
विक्की भी अपने हरामीपन पर काफ़ी खुश था, उसकी हालत देखकर वो भागकर अपनी बाइक उठा लाया और उसे उसपर बैठने को कहा...
मंजू भी धड़कते दिल से उसके पीछे बैठ गयी..
विक्की : "चल अब, आज स्कूल की छुट्टी मार, और अपनी इस हालत पर तरस खा और मुझपर भी...''
मंजू मुस्कुरा दी, पर कुछ बोली नही..
विक्की ने बाइक घुमाई और चल दिया...
अब उसके दिमाग़ में कमरे के जुगाड़ का आइडिया गूँज रहा था...
किसी दोस्त से बोले या किसी होटल में जाए ...
पर उसकी परेशानी को मंजू ने एक ही पल में सुलझा दिया.
वो बोली : "एक काम करो, मेरे घर ही चलो...आज माँ पिताजी नही है घर पे...''
ये सुनते ही विक्की का मन किया की बाइक पर खड़ा होकर नाचने लगे...
भला इतना अच्छा मौका था तो वो पहले क्यों नहीं बोली
विक्की : "अरे वाह, इस से अच्छी बात तो हो ही नही सकती...कहाँ गये वो दोनो इतनी सुबह ..''
मंजू : "जहाँ शादी थी, उनके घर पर नयी बहू के लिए कुछ रस्में होती है, रात भर उन लोगो से वहां रुका नही जाता, इसलिए रात को आराम किया और सुबह -2 फिर से उनके घर की तरफ निकल गये....तुम्हे बताने का मौका नही मिला, दिन में नेहा और मुझे लेने आते तब शायद बता पाती, पर अच्छा हुआ की तुम सुबह ही मिल गये....अब शाम तक का टाइम हमारा है...''
इतना कहते हुए वो उस से बुरी तरह से लिपट गयी..
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