RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
वो लड़का जिसका नाम गुड्डू था वो पूनम के बात पे बिना कोई रिएक्शन दिए बोल रहा था. उसे पता था की पूनम के अन्दर क्या चल रहा है. बोला “अमित का क्या हालचाल है? समझौता हो गया तुमलोगों में. मना लिया तुमने उसे?” पूनम के दिमाग में फिर से अमित के बात गूंजने लगी. वो चुप हो गयी.
गुड्डू आगे बोला “मैंने तो पहले ही कहा था जान की उस टाइप के लड़के हरामी होते हैं. बस लड़की की चूत से मतलब होता है. तुम्हारा मज़ा लूट लिया, बस काम ख़तम. तुम उसके लिए च्विंगगम की तरह थी. जब तक रस मिलता रहा, मज़ा करता रहा, जब लगा की अब बेकार हो गयी है तो थूक कर चलता बना.”
पूनम समझ रही थी गुड्डू की बात को. लेकिन वो हार मानने के लिए तैयार नहीं थी. बोली “सब तुम्हारी वजह से हुआ है. अगर तुम उसे धमकाते मारते नहीं तो वो अब भी मेरा ही रहता.” गुड्डू तुरंत ही बोला “ जो लड़का एक बार धमकाने और मारने से तुम्हे छोड़ दे, तुम्हे लगता है कि ऐसे हिजड़े के साथ तुम्हे संबंध आगे बढ़ाना चाहिए। उसे अब तुम में कोई इंटरेस्ट नहीं है मैडम। और सोचो की अगर मैं तुम्हे उससे नहीं बचाता, तब कितनी बार तुम उससे चुदवाती, कितनी बार वो तुम्हे बहला फुसला कर प्यार के नाम पर तुम्हारे इस मादक जिस्म का मज़ा लेता, लेकिन अंत में होता वही जो अभी हुआ. वो तुम्हे छोड़ कर जाता ही. और मेरा स्वार्थ बस इतना है की जब इतनी बार उससे ख़ुशी ख़ुशी चुदवाने के लिए तैयार थी, तो बस एक बार मुझे भी अपनी जवानी का मज़ा ले लेने दो. उससे तो ज्यादा ही मज़ा मेरे साथ आएगा.”
पूनम बोली “तुम तो उस से भी बड़े हरामी हो. तुम उसे इस लिए नहीं धमकाये की वो बाद में मुझे छोड़ कर जाता। तुम्हारा तो अपना स्वार्थ है।” गुड्डू बोला “हाँ, तो मैं तो बोल ही यही रहा हूँ की तुम्हे चोदना चाहता हूँ. मैंने कभी नहीं कहा की मैं प्यार करता हूँ और शादी करूँगा. बस मस्ती करूँगा. तुम्हारा मज़ा लूँगा और तुम्हे मज़ा दूँगा. बस. एक बार मेरे लण्ड को अपनी चुत की गहराई की सैर करने दो। एक बार अपने निप्पल्स को दाँत से काटने दो। बस एक बार अपनी रसीली चुत पे जीभ फिराने दो। बस। फिर तुम अपने रस्ते और मैं अपने.”
रात में अकेली में पूनम को चूत, चुदाई ये सब शब्द सुनकर अच्छा लग रहा था. वो अपने ट्राउजर और पैंटी को थोड़ा नीचे कर चुकी थी और अपनी चूत सहलाना स्टार्ट कर दी थी. बोली “मैं कभी भी तुमसे नहीं करवाने वाली. किसी और को फंसाओ. मेरे पास कोई फायदा नहीं. मैं वैसी लड़की ही नहीं हूँ। अमित के साथ जो भी हुआ, गलती हो या कुछ भी हो, लेकिन अब कभी किसी के साथ कुछ नहीं होगा.”
गुड्डू बोला “क्या नहीं होगा?” पूनम चुप रह गयी. गुड्डू फिर से बोला “बोलो न क्या नहीं करवाओगी मेरे से?”
पूनम मुस्कुराने लगी थी. वो समझ रही थी लेकिन अपनी आवाज़ को नियंत्रित करती हुई बोली “वही, जिसके चक्कर में तुम मेरी जिन्दगी बर्बाद करने पे तुले हो.”
गुड्डू तुरंत बोला “बर्बाद नहीं डार्लिग, आबाद. तुम्हे उस गांडू अमित से बचा लिया मैंने. नहीं तो पता नहीं कितनी बार मेरी जान उछल उछल कर उससे चुदवाती और पता भी नहीं चलता की अपनी जवानी बर्बाद कर रही है." पूनम चुप रही. गुड्डू सही कह रहा था. गुड्डू फिर से बोला “बोल न क्या नहीं करवाएगी मेरे से?”
पूनम चुप रही. गुड्डू फिर से वही सवाल पूछा. पूनम उसे चिढाने के अंदाज में बोली “बोली न, वही जिसके चक्कर में हो तुम.” पूनम को मज़ा आ रहा था गुड्डू से इस तरह बात करने में। इतनी ही देर में गुड्डू जितनी बार लण्ड, चुत, चुदाई जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुका था, इतनी बार तो पूनम अपने अब तक के पूरे लाइफ में अपने दिमाग में भी सोची भी नहीं होगी। वो और सुनना चाहती थी। उसकी उँगलियाँ चुत पे रेंग रही थी और चुत के रस से भिंग रही थी।
“मैं तो तुम्हे चोदने के चक्कर में हूँ.” गुड्डू मुस्कुराता हुआ बोला. पूनम बोली “तुम्हे शर्म नहीं लगता कि इस तरह किसी लड़की से बात करने में." गुड्डू बोला "किसी लड़की से बात नहीं कर रहा. एक चुदी चुदाई माल से बात कर रहा हूँ की मुझे भी अपनी चुत में लौड़ा पेल लेने दो. मुझे भी एक बार चोद लेने दो खुद को." पूनम बोली "तो मैं नहीं करवाने वाली. किसी और को फंसाओ.”
गुड्डू बोला “तुम फिर से नहीं बोली, क्या नहीं करवाने वाली.” पूनम को मज़ा आ रहा था. अमित से चुदवाने के बाद भी और साथ में नंगी रहने के बाद भी कभी उसके मुँह से ये सब नहीं निकला था। पूनम मुस्कुराती हुई बोली “कुछ नहीं. रखो फ़ोन, और मुझे परेशान मत किया करो.”
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