RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
गुड्डू बोला “आहः मेरी जान। बोलो, मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत में भरकर तुम्हारे ऊपर बैठी हूँ.” पूनम मुस्कुराती हुई बोली “मैं नहीं बैठी हूँ.” गुड्डू हँसता हुआ बोला “हमें तो वो तुम ही दिखती हो और वो दोनों लड़के मैं और विक्की.”
गुड्डू बोला “फिर से बोलो न.”
पूनम भी उसी तरह बेलन को बेड पे सीधा खड़ा कर दी थी और उसी तरह बेलन को अपनी चुत में घुसा कर उसी तरह बैठ गयी थी। उसे भी लग रहा था कि ये मैं ही हूँ। बोली “लड़की अपनी चूत में लड़के का लंड भरकर उसके ऊपर बैठी है और दुसरे का लण्ड चूस रही है.” गुड्डू बोला “वाह! मस्त.... ऐसे ही तुम्हे अपने लंड पे बैठाकर चोद रहा हूँ और तुम ऊपर नीचे होकर मज़े से चुदवा रही हो और विक्की का लंड मुँह में पूरा भरकर चूस रही हो. जब इस तरह लंड के ऊपर बैठ कर उसे अपनी चूत में लोगी न, तब लंड तुम्हारे हिसाब से चूत में अन्दर उतरता है, और इसमें बहुत मज़ा आता है लड़कियों को.” पूनम को बहुत मज़ा आ रहा था. वो बेलन को एक हाथ से पकड़े हुए ऊपर नीचे हो रही थी और बेलन चुत में अंदर बाहर हो रहा था। गुड्डू जो बोला वो सच था कि बेलन उसके हिसाब से अंदर बाहर हो रहा था। पूनम को लग रहा था कि वो गुड्डू के लण्ड पे बैठ कर चुद रही है। वो इसी तरह हर पोज में अमित के साथ चुदवाना चाहती थी, लेकिन उस हरामी फट्टू में इतना दम ही नहीं था.
गुड्डू बोला अगली पिक कौन सी है. पूनम पेज पलटी. अगली पिक में लड़की दोनों टांगे पूरा फैलाये हुए लेटी हुई थी और एक लंड उसकी चूत में था और दूसरा लंड उसके चेहरे के पास था. लड़की के ओठ पे और मुंह के पास सफ़ेद सा कोई द्रव लगा हुआ था. लड़की के मुंह में वीर्य देखते ही पूनम बेड पे सीधी लेट गयी और फुल स्पीड में चुत में बेलन अंदर बाहर करने लगी. गुड्डू बोला “बोल न, क्या है इसमें?”
पूनम बोली “आह.... लड़की सीधी होकर लेटी हुई है और अपनी चूत चुदवा रही है और दूसरा लड़का का लंड उसके मुँह के पास है और उसके मुँह में वीर्य गिरा रहा है.” गुड्डू बोला “लड़की कितनी खुश है न वीर्य पी कर.” पूनम बोली “हाँ...” पूनम की चूत ने काम रस उगल दिया. वो हांफने लगी.
गुड्डू बोला “इसी तरह तुम्हे भी विक्की अपना वीर्य पिला रहा है और मैं तुम्हे चोद रहा हूँ.” पूनम कुछ नहीं बोली. वो अपनी साँसों को सम्हाल रही थी. आज उसे बहुत मज़ा आया था. वो पहले भी पिक और कहानी पढ़कर अपनी चूत से पानी निकाली थी, लेकिन आज जिस तरह से गुड्डू पिक्स को डिस्क्राइब कर रहा था, पूनम का मज़ा आज सातवें आसमान पे था.
गुड्डू बोला “अगली पिक देखो.” पूनम पेज पलट ली. इसमें लड़की ज़मीन पे मुँह खोले बैठे हुए थी और दोनों लंड उसके चेहरे के सामने थे और उसका चेहरा वीर्य से भरा हुआ था. गुड्डू बोला “क्या है इसमें?” पूनम अब तक अपनी साँस सम्हाल चुकी थी. वो बेलन को बाहर निकाल ली और उसकी चूत से कामरस बहकर बाहर आ रहा था. बोली “बहुत बोल ली मैं. रखो फ़ोन अब.” गुड्डू मुस्करा दिया. हँसता हुआ बोला “चूत से पानी निकाल ली?” पूनम कुछ नहीं बोली. मुस्कुरा वो भी दी थी.” गुड्डू बोला “मज़ा आया न.” पूनम अब भला उसे क्या बोलती. गुड्डू बोला “बोल न, पानी निकल गया?” पूनम शर्माती लजाती हुई सी बोली “हाँ.” गुड्डू बोला “बस इस पिक का बता दे, फिर फ़ोन रख देता हूँ.” पूनम अपनी पैंटी पहन ली थी. बोली “अब कुछ नहीं बोलूंगी. बस, बहुत हो गया.” गुड्डू जोर से हँसता हुआ बोला “कोई बात नहीं, मत बोल. बस मज़ा आना चाहिए तुझे.”
पूनम अपनी ब्रा का हुक लगा रही थी. गुड्डू बोला “इसमें मैं और विक्की दोनों अपने लंड का वीर्य तेरे मुँह और चेहरे पे गिरा रहे हैं.” पूनम बोली “अब अभी रखो फ़ोन. रात में बताउंगी.” गुड्डू खुश हो गया. पूनम खुद रात में उससे फ़ोन पे चुदवाने के लिए तैयार थी. कुछ दिन में वो सच में भी उस से चुदेगी. गुड्डू ने “बाय” बोलकर कॉल कट कर दिया. पूनम अपने सारे कपडे पहन ली और पिक और कहानी को आलमीरा में छुपा कर रख दी. वो पहले वाले पिक और कहानी को बाथरूम में फ़्लैश में बहा दी.
अभी पूनम की मम्मी आने वाली थी. उसके पापा अभी मम्मी को लाने गए हुए थे. पूनम एन्वेलोप को आलमीरा में छुपा दी थी और अपने सारे कपडे पहन ली थी। पूनम सब के लिए खाना बना रही थी और सोच रही थी की वो क्या कर रही है. उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। एक तरफ तो वो खुद को समझा रही थी कि जो वो कर रही है वो गलत है और दूसरी तरफ उसे लग रहा था कि कुछ गलत नहीं है। पूनम अपने ख्यालों के भँवर में ऊपर नीचे हो रही थी। और ये जंग उसके दिल और दिमाग के बीच नहीं, उसके चुत और दिमाग के बीच में चल रही थी।
'इस तरह की बात करने की क्या जरूरत है उस लड़के के साथ. इस तरह फ़ोन पे लंड, चूत, चोदना, चुदवाना बोलने की क्या जरूरत है. और आज तो मैं क्या क्या नहीं बोल दी। गांड मारने और मरवाने की बात कर दी।' पूनम शर्मा गयी की वो गुड्डू के साथ ये बात की जो अकेले में भी सोंचने पे उसे शर्म आता है। चुत और लण्ड की बात अलग है। चूदी चुदाई लड़की थी अब वो। 'लेकिन गांड.... उसमे लण्ड डालना.... छी।' पूनम को मुस्कुराने लगी की वो गांड मारना क्या समझती थी और वो होता क्या है।
पूनम सोच रही थी की आज वो और क्या क्या बोली है गुड्डू को और 'इस तरह तो मैं उसे बता रही हूँ की मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ. तुम मुझे चोद लो. बोल भी तो दी उसे की चुदवाऊँगी। गांड भी मारवाऊंगी बोल दी। गुड्डू तो प्लानिंग भी कर लिया होगा की कैसे कैसे मुझे चोदेगा। और गुड्डू चोदेगा तो विक्की भी चोदेगा ही। गुड्डू तो बोला न कोई ऐसी चुत नहीं है जिसमे किसी एक का ही लण्ड गया हो। तो अगर मैं गुड्डू को बोल दी की चुदवाऊँगी तो मतलब ये की विक्की को भी बोल दी।'
पूनम को मज़ा आ रहा था। 'तो क्या हुआ यार चुदवा ही लूँगी तो। कोई कुँवारी कली तो रही नहीं मैं अब। वो साला हरामी अमित प्यार के नाम पर बेवकूफ बनाकर सील तो तोड़ ही दिया है मेरा। ठीक ही तो बोलता है गुड्डू की जब उससे दो बार चुदवा ली तो एक बार मेरे से भी चुदवा लो। एक ही बार चोदने को तो बोल ही रहा है वो। अच्छा ठीक है, दोनों चोद लेंगे एक एक बार। क्या फर्क पड़ जाएगा मेरे पे। चुत घिस थोड़े ही जायेगी। मज़ा तो आ जायेगा। हर तरह से चोदने की प्लानिंग किये बैठा है वो तो। और उसका लण्ड भी तो दमदार है।'
पूनम की चुत गीली होने लगी। वो इमेजिन करने लगी की उसी लड़की की तरह पूनम भी गुड्डू और विक्की दोनों से एक साथ चुदवा रही है और गुड्डू जिस तरह से बोला था, दोनों उसी तरह से उसी पोज़ में एक साथ पूनम को चोद रहे हैं, और गांड भी मार रहे हैं। पूनम सोचने लगी की गांड मरवाने में कैसा लगेगा।
लेकिन फिर थोड़ी देर बाद पूनम सोचने लगी 'नहीं.... अब मुझे ये सब कुछ नहीं करना। दो बार अमित से चुदवा ली, गलती की। पहले मैं कितनी अच्छी और शरीफ थी, ये गुड्डू ने गन्दी कहानियाँ पढ़ा कर और चुदाई वाली पिक्स दिखाकर मुझे बिगाड़ दिया। सही बोला था अमित की मैं मना कर दी थी तो वो मुझे छूता भी नहीं था, मैं उसे करने दी तब वो रेस्टुरेंट में वो सब किया। सब इसी फोटो और कहानी का किया धरा है कि मेरा मन चुदवाने का करने लगा था। और सिर्फ चुदवाने का क्या, मैं तो हर तरह से और हर पोज़ में चुदवाना चाहती थी। गुड्डू ने अमित को डराया नहीं होता तो मैं तो उसके साथ सबके कुछ करवाने के लिए रेडी ही थी और सब कुछ करवा भी चुकी होती।'
पूनम अपनी सोच में मगन थी। 'लेकिन अमित के साथ तो ठीक से कुछ कर ही नहीं पाई थी मैं। जिस दिन पहली बार किया, उस दिन तो दर्द और डर से ही कुछ समझ नहीं आया था।' पूनम को याद आ गया कि कैसे जब पहली बार अमित का लण्ड उसकी चुत में सटा था तो उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया था और वो शर्मा गयी। 'और उस रात आया था तो उससे तो हो ही नहीं रहा था। वो तो मेरे ऊपर चुदाई का बुखार चढ़ा हुआ था कि मैं जबर्दस्ती चुदवा ली, नहीं तो अमित तो ऐसे ही शांत था।' पूनम अपनी उस रात की हरकत को याद कर शर्मा भी गयी और मुस्कुरा भी दी। 'बेकार में उस दिन वैसे पागल की तरह होकर चुदवाई। उस रात अमित कुछ नहीं कर पाता, तब मज़ा आता उस फट्टू को। बहुत बड़ा मर्द बना फिरता है सबके सामने। 15-20 रात गुजारा है मेरे साथ, हुँह। एक रात में तो कुछ हुआ ही नहीं उससे। उससे तो सही में अच्छा है गुड्डू।'
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