RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
उसकी सारी मेहनत बेकार गयी थी। इतने दिन वो उनलोगों से इसलिये दूर थी, क्यों की वो लोग कहीं बिजी थी। पूनम को खुद पे गुस्सा भी आ रहा था। वो बहुत कुछ सोचती रही। इतने दिन उसने बहुत जलाया था खुद को और अब जब गुड्डू ने नया कलेक्शन के बारे में बताया तो पूनम का मन ललच गया। वो हाँ ना के भंवर में डूबने उतरने लगी।
ऑफिस से लौटते वक़्त दूर से ही उसे गुड्डू दिख गया। उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गयी। वो क्या रिएक्शन देगी, ये उसकी समझ से बाहर हो गया। वो नज़दीक आयी तो गुड्डू उसी जगह पर गली के कार्नर पर एन्वेलोप लिए खड़ा था और पूनम का इंतज़ार करते हुए मुस्कुरा रहा था। पूनम के दिल की धड़कन और तेज़ हो गयी। उसकी चुत गीली हो गयी। डर से या पता नहीं किस चीज़ की वजह से, लेकिन पूनम का बदन हिल गया। पूनम के नज़दीक आते ही गुड्डू उसकी ओर बढ़ा, लेकिन पूनम अचानक से उसे इशारे में मना कर दी, तो गुड्डू फिर अपनी जगह पे ही रुक गया।
पूनम अपने घर की तरफ आने लगी। उसके दिल की धड़कन अभी भी काफी तेज़ थी। वो लेग्गिंग्स और लॉन्ग कुर्ती पहनी हुई थी, और उसे ऐसा लग रहा था जैसे गुड्डू उसे पीछे से नंगी देख रहा है। वो हाथ पीछे लाकर हिप के पास अपनी कुर्ती ठीक की, लेकिन इससे उसे कोई आराम नहीं मिला। उसे ऐसा लग रहा था जैसे गुड्डू उसकी हर चाल पर उसकी गांड की हलचल को देख रहा होगा और सोच रहा होगा की कैसे इसमें अपना लण्ड डालेगा। ऐसा सोंचते ही पूनम की चुत गीली हो गयी और वो जल्दी जल्दी चलती हुई अपने घर तक पहुँच गयी।
घर का गेट खोलते वक़्त वो गुड्डू की तरफ देखी तो गुड्डू वहीँ पे खड़ा था। पूनम के देखते ही उसने इशारे में पूछा की "क्या हुआ? एन्वेलोप क्यों नहीं ली?" पूनम कोई इशारा नहीं की और घर के अंदर आ गयी और अपने कमरे में चली गयी।
कपड़े बदल कर और फ्रेश होकर जब वो बाहर हॉल में आयी तो उसकी माँ और पापा अपने एक रिश्तेदार के यहाँ जाने के लिए तैयार हो रहे थे. पूनम को उनके यहाँ जाने का मन भी नहीं था और उसके माँ पापा ने कहा भी नहीं तो वो घर पे ही रह गयी. आज फिर से वो अकेली थी.
वो घर में पहनने वाला ट्रौजर और टॉप पहनी हुई थी. अकेले होते ही उसका मन बैचैन होने लगा। उसकी चुत पे चींटियाँ रेंगने लगी। वो खुद से किया अपना वादा याद की और गुड्डू और उसकी बातों को अपने दिमाग से हटाने लगी, लेकिन ये इतना भी आसान नहीं था। थोड़ी देर तो वो खुद को इधर उधर में बिजी रखी, लेकिन उसे मन नहीं लग रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। 'अगर पहले पता होता की अभी अकेली रहूँगी तो गुड्डू से एन्वेलोप ले लेती।'
पूनम अपनी सोंच में मगन थी, जब उसका फ़ोन बजा। फ़ोन गुड्डू का था। शीतल सोचने लगी की 'क्या करूँ। फ़ोन रिसीव करूँ की नहीं। उसने मम्मी पापा को जाता हुआ देख लिया होगा, इसलिए कॉल किया होगा। फ़ोन रिसीव करुँगी तो फिर से वही सब होगा। उफ़्फ़... नहीं... क्या करूँ।' शीतल सोच ही रही थी की कॉल कट हो गया।
पूनम राहत की साँस ली। वो सोच रही थी की फिर से कॉल आएगा तो वो क्या करेगी। तभी उसके मोबाइल पे मैसेज आने की आवाज़ हुई. वो मैसेज देखी तो गुड्डू का मैसेज था. वो तुरंत मैसेज पढ़ी “ मेरी जान पूनम की मस्त चुचियाँ.” नीचे स्माइलीज को ऐसे बनाया हुआ था की दो नंगे बूब्स जैसे बन गए थे. बड़े बूब्स उभरे निप्पल्स के साथ।
पूनम कन्फर्म हो गयी की उसने उसने मम्मी पापा को जाते हुए देख लिया है. पूनम अच्छे से मैसेज को देखने लगी। उसकी चुत गीली होने लगी और अब उसके लिए खुद को रोकना और मुश्किल हो गया। वो ट्रोउजर और पैंटी को थोड़ा नीचे कर दी और बेड वे सीधी होकर लेट गयी।
तुरंत ही दूसरा मैसेज आया. इसमें भी उसी तरह से एक नंगी खड़ी लड़की का इमेज जैसा बना हुआ था. नीचे लिखा हुआ था “गुड्डू के इंतज़ार में नंगी उसकी जान पूनम.” पूनम पे मस्ती चढ़ने लगी. वो चुत को सहलाते हुए अगले मैसेज का इंतज़ार करने लगी। उसपे खुमार चढ़ने लगा। वो सोचने लगी की अब अगर गुड्डू का कॉल आएगा तो वो रिसीव कर लेगी। 'फ़ोन पे कुछ बोल दूँगी या वो सुन लूँगी तो इसमें तो कोई बुराई नहीं है। मैं उससे चुदवा तो नहीं रही। उससे मिल तो नहीं रही।'
फिर से एक मैसेज आया “लौलिपोप चुसो तो छोटा होता है, लंड चुसो तो बड़ा होता है.” पूनम को मज़ा आने लगा था. लेकिन मैसेज में वो बात नहीं थी और गुड्डू कॉल कर ही नहीं रहा था. उसका मन हुआ की 'काश गुड्डू उसे जल्दी से कॉल करे और उस दिन ही की तरह उसे सब कुछ बोलने को कहे. उसे बोले की बोलो जान चोदो न, बोलो चुदवाऊँगी, बोलो लण्ड चुसूँगी, बोलो गांड मार लो मेरी, बोलो वीर्य पिलाओ मुझे। मैं सब कुछ बोलूँगी।'
वो अपनी तरफ से फ़ोन नहीं करना चाहती थी. लेकिन पूनम अब आपे से बाहर थी. उसकी चूत गीली हो चुकी थी. वो ट्रोउजर और पैंटी को उतार दी और नीचे से नंगी होकर बेड पर सीधी लेट रही और चुत सहलाने लगी। अब उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वो गुड्डू को कॉल लगायी और तुरंत एक रिंग होते ही कट कर दी। उसे तुरंत लगा की 'मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। ये मैं गलत कर दी।' लेकिन अब क्या फायदा था कुछ भी सोचने से, मिस्ड कॉल तो गुड्डू के पास जा चूका था।
गुड्डू तो जैसे उसके कॉल के इंतज़ार में ही बैठा था। बहुत दिन बाद वो शहर में वापस लौटा था और फ्री था। और आते ही उसने पूनम के मम्मी पापा को कहीं जाते हुए देख लिया था। इसका मतलब उसकी माल पूनम घर में अकेली होगी। गुड्डू ने तुरंत कॉल बैक किया।
3-4 रिंग बजने के बाद कॉल रिसीव हुआ और पूनम धीरे से मदहोश हो चुकी आवाज़ में बोली "हेलो।" गुड्डू खुश हो गया। बोला
“आहः जान, कैसी हो, कितने दिनों बाद तुम्हारी इस मदहोश कर देने वाली आवाज़ को सुना हूँ। लण्ड टाइट हो गया।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे अच्छा लगा की गुड्डू तुरंत ही पॉइंट पे आ गया था। गुड्डू आगे बोला "एन्वेलोप क्यू नहीं ली जान? कितना अच्छा कलेक्शन रखा है मैंने तुम्हारे लिए।"
पूनम बोली "बस, ऐसे ही।" दरअसल वो कहना चाहती थी जो फैसला वो ली थी। लेकिन जो अभी उसकी हालत थी, उसमे वो ये बात बोल नहीं पाई।
गुड्डू आगे बोला “ले लेती तो अभी अकेले में अच्छे से पढ़ भी लेती और देख भी लेती, उसी दिन की तरह।, पूनम फिर से कुछ नहीं बोली। सही तो बोल रहा था गुड्डू। इस चीज़ का अफ़सोस तो उसे भी हो रहा था और बहुत हो रहा था। पूनम मुस्कुरा दी की गुड्डू के 'उस दिन की तरह' कहने का क्या मतलब है। उस दिन वो कैसे पिक्स देखी थी, उसे याद आ गया।
गुड्डू आगे बोला "इसमें एक लड़की कॉलेज में साड़ी पहन कर अपने टीचर से चुदवाती है.” पूनम फिर कुछ नहीं बोली. गुड्डू आगे बोला “एक गेम है, उसमे वो एक एक करके अपने सारे कपड़े उतारती है और फिर 2 टीचर से एक साथ चुदवाती है. पिक भी उसी के साथ के हैं. बहुत मज़ा आता.”
पूनम अभी भी कुछ नहीं बोली. वो बस उस कहानी को अपने दिमाग में इमेजिन कर रही थी और चूत पे ऊँगली फेर रही थी. उसका मन हो रहा था की वो एन्वेलोप उसे ले लेना चहिये था. उसे अपने आज के फैसले पे बहुत अफ़सोस हो रहा था। वो अकेली थी घर में और अगर उसे ये नयी कहानी और नए पिक्स मिल जाती तो मज़ा आ जाता। उसकी चुत पूरी तरह गीली थी, और पूनम बहुत ही गर्म थी। बहुत दिन बाद आज फिर से वो ये सब चुत चुदाई की बातें सुन रही थी।
गुड्डू बोला "पहले वाला है ही अभी या फेंक दी.” पूनम उदास होते हुए बोली “है.” गुड्डू बोला “लेकिन वो तो अब पुराना हो गया है। वो अब मज़ा नहीं देगा. इस बार जो पिक्स है, उसमे लड़की उससे भी ज्यादा अच्छे से चुदवा रही है.” पूनम कुछ नहीं बोली. क्या बोलती। सच तो कह रहा था गुड्डू।
गुड्डू आगे बोला “इसमें लड़की जैसे मॉडल रैंप वॉक करती है, वैसे क्लास में चलती है और एक एक करके अपने सारे कपड़े उतारती है। फिर नंगी भी चलती है।" पूनम गुड्डू की बात सुन रही थी और इमेजिन कर रही थी की सीन कैसा होगा। वो इमैजिन कर रही थी की कैसे लड़की पुरे क्लास के सामने नंगी हो रही होगी और सब उसे देख रहे होंगे। पूनम चुप थी की गुड्डू आगे बोलेगा और गुड्डू आगे नहीं बोला की वो पूनम की मनोस्थिति को समझना चाह रहा था।
पूनम चुत में ऊँगली अंदर करती हुई बोली "फिर? सबके सामने नंगी चल रही थी!" गुड्डू बोला "नहीं, सब नहीं थे, बस कुछ लोग थे।" पूनम फिर से बोली "फिर?" गुड्डू समझ गया कि पूनम की हालत अभी कैसी है।
बोला “मैं क्यों बताऊँ। जब लेना तो पढ़ लेना।" पूनम अभी ना सुनने की हालत में नहीं थी। बोली "बोलो न प्लीज़।" गुड्डू को मज़ा आ रहा था। गुड्डू बोला "तो उस वक़्त क्यों नहीं ली थी। अभी दे दूँ क्या?"
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