RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम सोच में पड़ गयी। ये बात तो वो सोची ही नहीं थी की वो अभी घर में अकेली है। पूनम समझ रही थी की गुड्डू क्या कहना चाह रहा है, लेकिन कन्फर्म होने के लिए वो पूछी "मतलब?" गुड्डू मुस्कुराता हुआ बोला "तुम बोलो तो तुम्हारे घर आकर तुम्हे एन्वेलोप पहुँचा देता हूँ।"
पूनम का बदन हिल गया। गुड्डू को भी पता है कि वो अभी घर में अकेली है, और उसके घर में आने का मतलब भी उसे समझ में आ गया। वो अपनी हालत देखी। उसे लगा की मौका अच्छा है, लेकिन उसे डर भी लगने लगा।
बोली "बाहर गेट के नीचे से सरका दो, मैं ले लूँगी।" गुड्डू बोला "नाह...' इतनी मेहनत करूँगा और तुम्हे देखूँगा भी नहीं, तो फिर क्या फायदा। घर के अंदर आकर दूँगा" पूनम की चुत पूरी गरम थी ही, ये सोच कर और गर्म हो रही थी।
पूनम बोली "नहीं, अंदर आने की कोई जरूरत नहीं है।" गुड्डू बोला "उस वक़्त नहीं ली, तो अब इतनी दूर तुम्हारे घर तक आऊँगा तो बिना तुम्हे देखे तो नहीं जाऊँगा। फ्री में मेहनत क्यों करूँ। मज़ा करोगी तुम और मेहनत करूँ मैं।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे बहुत अफ़सोस हो रहा था एन्वेलोप नहीं लेने का।
गुड्डू फिर से बोला "अरे..., इतना क्या सोचने लगी। तुम्हे चोदुंगा थोड़े ही। बस तुम्हे देखूँगा। कितने दिन से अच्छे से देखा भी नहीं हूँ तुम्हे। क्या मस्त लग रही थी अभी।" गुड्डू फिर आगे शरारत के साथ मुस्कुराता हुआ बोला "हाँ..... अगर तुम बोलोगी तो एक किस कर लूँगा बस।"
पूनम शरारती मुस्कान हँसते हुए बोली "कोई जरूरत नहीं है, मुझे नहीं चाहिए ये एन्वेलोप।" गुड्डू भी उसी तरह बोला "तो मत लो, मुझे क्या। मैं तो देख रहा हूँ न की कितनी मस्त मस्त पिक है। कितना मस्त चुदवा रही है वो माल अपने टीचर से अपने ही क्लास रूम में।
गुड्डू की बातों से पूनम की चुत और तेज़ी से पिघल रही थी। उसे गुस्सा भी आ रहा था कि गुड्डू उसे एन्वेलोप नहीं दे रहा था। उसका मन हुआ की बुला ले गुड्डू को अपने घर। लेकिन उसे डर लग रहा था। बोली "तुम्हारा मन नहीं भरता, हमेशा यही बात करते रहने पर।" गुड्डू बोला "कौन सी बात?" पूनम समझ गयी की गुड्डू उसे क्या बोलने बोल रहा है। लेकिन उसे बोलने में फिर से आज शर्म आ रही थी। पूनम शरमाते हुए बोली "कुछ नहीं।"
गुड्डू हँसता हुआ बोला "आये हाय, मेरी जान की यही अदा तो मेरे लण्ड को और टाइट कर देती है। बोल न कौन सी बात?" पूनम उसी तरह अदा के साथ बोली "मुझे नहीं बोलना। तुम मेरी बात कहाँ माने जो मैं तुम्हारी बात मानूँ।" गुड्डू बोला "बोल न जान, बोल न। कितने दिन हो गए तेरे मुँह से कुछ सुना नहीं। कितना अच्छा लगता है तेरे मुँह से चुदाई की बात सुनकर।"
पूनम बोली "बोल दूँगी तो एन्वेलोप दे जाओगे अभी?" गुड्डू तुरंत बोला "बिल्कुल। अरे मेरी जान, तेरे लिए ही तो है।" पूनम अपनी बात को सुधारी। बोली "बाहर गेट से नीचे सरका कर दे जाओगे न?" गुड्डू बोला "ठीक है, दे दूँगा। तू बोल न।"
पूनम एक गहरी साँस ली और बोली "चुदाई की बात।" पूनम को चुत के पास कुछ नीचे बहता हुआ महसूस हुआ। उसकी गीली चुत और गीली हो गयी। वो टॉप भी ऊपर कर ली और चुचियों को बाहर निकाल ली। गुड्डू का लण्ड भी टाइट हो गया। बोला "पूरा बोल न, अच्छे से।"
पूनम बोली "नहीं, अब तुम पहले एन्वेलोप दो।" गुड्डू बोला "ठीक है, आ रहा हूँ तेरे घर की तरफ। आने में टाइम तो लगेगा न। तब तक बोल तो अच्छे से।" पूनम को लगा की गुड्डू सच बोल रहा है। बोली "तुम हमेशा चुदाई की बात ही क्यों करते रहते हो।"
गुड्डू बोला "तेरे बारे में सोंचते ही लण्ड टाइट हो जाता है। तेरे साथ चुदाई की बात करने में मज़ा आता है।" पूनम कुछ नहीं बोली। मज़ा तो उसे आ रहा था बहुत। गुड्डू बोला "मेरा क्या टाइट हो जाता है?" पूनम को लगा की गुड्डू उसके मन की बात कर रहा है। कई बार बोल चुके होने के बाद भी उसे शर्म आ रही थी और वो शरमाते हुए बोली "लण्ड"
"आह मेरी जान...कितना अच्छा लगा। फिर से बोल न" गुड्डू बोला तो पूनम पे और खुमार चढ़ने लगा। वो अपनी चुत पे ऊँगली फेरने लगी और चुत के अंदर डालते हुए बोली "तुम्हारा लण्ड टाइट हो जाता है।" गुड्डू बोला "इसे कहाँ डाला जाता है?" पूनम मदहोश होने लगी थी। आह भरते हुए बोली "अम्म.... चुत में...."
गुड्डू भी उसी तरह वासना के नशे में डूबता हुआ बोला "फिर क्या होता है?" पूनम अब पूरी गर्म थी। बोली "चुदाई होती है।" गुड्डू एक टीचर की तरह सवाल कर रहा था और पूनम अच्छे शिष्य की तरह जवाब दे रही थी। गुड्डू बोला "कैसे चुदवाओगी तुम मेरे से?" पूनम सवाल को ठीक से सुनी नहीं और समझी नहीं, या फिर वासना के नशे में उसपे बिना ध्यान दिए बोली "तुम लण्ड को चुत में डालकर धक्का मारकर चुदाई करोगे।"
गुड्डू बोला "अच्छे से चुदवाएगी न?" पूनम बोली का मन न बोलने का था, लेकिन अभी वो ना बोलने की हालत में नहीं थी। उसी तरह वासना के नशे में बोली "ह्म्म्म" गुड्डू बोला "बोल न, चोदो मुझे, बोल न मेरी गांड मारो।" पूनम को अब कोई होश नहीं था। बोली "चोदो न मुझे, मेरी गांड मार लो।"
गुड्डू बोला "गेट खोल न, आता हूँ।" अब पूनम का नशा टुटा। अब उसे होश आया की वो ये क्या बोल रही थी। लेकिन गीले चुत का नशा इतनी जल्दी कहाँ टूटने वाला था। वो उसी तरह नशे में बोली "नहीं... अभी नहीं।"
गुड्डू बोला "कुछ नहीं करूँगा, बस एन्वेलोप दूँगा और देखूँगा तुझे। खोल न।" पूनम का दिल कह रहा था कि गुड्डू को अंदर आने दे, लेकिन उसका दिमाग उसे रोक रहा था। पूनम बोली "नहीं... कोई देख लेगा।" गुड्डू इतना अच्छा मौका जाने नहीं देना चाहता था। बोला "कोई नहीं देखेगा जान, बस मैं अपनी जान को देखूँगा।"
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