non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
06-11-2020, 05:02 PM,
#75
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
गुड्डू को अपनी उँगली पर चारो तरफ से पानी की बौछार महसूस हुआ। उसने पूनम के हाथ को हटाया और चुत चूसने लगा। पूनम के पैर अभी भी फैले हुए थे और गुड्डू अंदर से बहकर आती हुई हर बूँद को चुस रहा था। पूनम तो दूसरी दुनिया में था। पूनम चुत से पानी निकलने तक का तो मज़ा ली थी, लेकिन उसके बाद भी चुत चुसवाने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था और उसकी चुत से ढेर सारा पानी निकलता जा रहा था।

आखिरी बून्द तक चुस लेने के बाद गुड्डू खड़ा हो गया। पूनम ऑंखें बंद किये हुए टेबल पर ही लेटे हुई थी। जब उसे लगा की गुड्डू उससे अलग हो गया है तो आँख खोली। गुड्डू उसे देखकर मुस्कुरा रहा था तो पूनम शर्मा गयी। उसका उठने का मन नहीं हो रहा था, लेकिन वो घर में नहीं रेस्टुरेंट में थी और नीचे से नंगी थी। गुड्डू ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया जिसका सहारा लेकर वो उठ कर खड़ी हो गयी। गुड्डू ने उसे बाँहों में दबा लिया और धीरे से पूछा "कैसा लगा।"

पूनम शर्माती मुस्कुराती हुई नीचे देखने लगी और बोली "बहुत ख़राब।" गुड्डू उसकी नंगी गांड को दबाता हुआ खुद में चिपकाये रहा और होठ चूमते हुए बोला "अभी और भी बहुत ख़राब लगने वाला है।" पूनम भी किस में उसमे साथ दे रही थी। थोड़ी देर होठों का रस चूसने के बाद गुड्डू ने पूनम को छोड़ दिया और वो अपनी स्कर्ट पहनने लगी।

गुड्डू मुस्कुराता हुआ बोला "चुत चूसने के बाद होठ चूसने में ज्यादा मज़ा आता है।" पूनम शर्मा गयी। वो स्कर्ट पहन चुकी थी। बोली "हो गया? सब देख लिए? सब कुछ कर लिए। अब मैं जाऊँ?" गुड्डू ने अपने जीन्स के बटन को ढीला किया और अपने लण्ड को बाहर निकालता हुआ बोला "अभी तो बहुत कुछ बाँकी है मेरी जान" और उसने पूनम के हाथ को पकड़ कर उसे अपना लण्ड पकड़ा दिया।

लण्ड देखते ही पूनम की ऑंखें फटी रह गयी। लण्ड अभी ढीला ही था और ऐसा लग रहा था जैसे कोई काला साँप लटक रहा हो वहाँ। पूनम की चुत फिर से गीली होने लगी। असली लण्ड ऐसा होता है, उसे आज समझ आ रहा था। अमित का लण्ड तो इसके सामने कुछ नहीं था। हाथ लगाते ही पूनम को बहुत अच्छा सा लगा और लण्ड अपना आकार बदलने लगा।

पूनम अभी थोड़ा सा सहलाई ही थी की लण्ड तन कर उसके सामने खड़ा हो गया था। अब पूनम लण्ड को गौर से देख रही थी। पूरा काला, बहुत लंबा, बहुत मोटा। सामने कोई चमड़ा नहीं था और उसका टोपा पूरा चमक रहा था। गुड्डू पूनम को इस तरह देखता देखा तो मुस्कुराता हुआ गर्व से पूछा "कैसा लगा?" पूनम अभी तक आश्चर्यचकित सी थी। बोली "ये तो बहुत बड़ा है।"

गुड्डू पूनम के सर को पकड़ कर अपने लण्ड के नज़दीक लाता हुआ बोला "तभी तो तेरी टाइट चुत में पूरा अंदर तक घुस कर उसे फाड़ेगा।" गुड्डू ने एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से पूनम के सर को लण्ड के सामने ले आया और पूनम के मुँह के सामने कर दिया। पूनम अपना मुँह खोल दी और लण्ड को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। लेकिन ये अमित का छोटा लण्ड नहीं था। उसे पूरा मुँह खोलना पड़ा और लण्ड का बस सामने वाला थोड़ा सा हिस्सा ही उसके मुँह में जा पाया।

पूनम और अपना मुँह बड़ा की और जितना लण्ड हो सकता था उतना मुँह में भरकर चूसने लगी। वो सोचने लगी की जब ये लण्ड मुँह में नहीं जा रहा तो पता नहीं फिर चुत में कैसे जाता होगा। लण्ड के ऊपर कुछ बूँदें आने लगी थी जिसका टेस्ट पूनम के मुँह में जा रहा था और उसे अच्छा लग रहा था। वो आइसक्रीम की तरह गुड्डू का लण्ड चूस रही थी। गुड्डू का लण्ड और टाइट हो गया था। उसने शीतल को खड़ा किया और फिर से टेबल पे लिटा दिया।

पूनम को समझ नहीं आया लेकिन वो लेटी रही। गुड्डू उसके स्कर्ट को ऊपर उठा दिया और फिर से उसकी नंगी चुत चमक उठी। पूनम पूछी "क्या कर रहे हो" गुड्डू बिना कोई जवाब दिए पूनम की चुत को सहलाने लगा और ऊँगली अंदर करके चुत फ़ैलाने लगा। पूनम की चुत गीली ही थी तो ऊँगली तुरंत अंदर बाहर होने लगा। पूनम गर्म तो थी ही, गुड्डू के इस हरकत से और गरमा गई।

अब गुड्डू पूनम के सामने खड़ा हो गया और अपना टाइट लण्ड पूनम की चुत से रगड़ने लगा। पूनम समझ गयी की वो अभी चुदने वाली है। पूनम के पैर अपने आप फ़ैल गए। लण्ड सटते ही उसकी चुत और गीली हो गयी थी और उसे लगा की गुड्डू जल्दी से लण्ड अंदर डाल दे और उसे मसल दे। उसके मन ये डर भी था कि वो लोग अभी घर में नहीं रेस्टुरेंट में हैं और यहाँ कभी भी कोई भी आ सकता है और यहाँ की सारी आवाज़ बाहर जायेगी। गुड्डू ने तो कहा ही था कि यहाँ चोदेगा तो पूरा रेस्टुरेंट समझ जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।

दूसरा डर ये भी था कि ये मूसल लण्ड उसकी चुत में जायेगा भी की नहीं और अगर ये अंदर घुस गया तो पता नहीं उसकी क्या हालत होगी। अमित का लण्ड जो इसका आधा भी नहीं था, वो अंदर जाता था तब तो उतना दर्द हुआ था, ये तो सच में मेरी चुत को फाड़ ही डालेगा और कहीं फिर से खून वुन न निकलने लगे। लेकिन न तो वो खुद रुकना चाहती थी और न ही गुड्डू को रोकना चाहती थी।
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RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार - by hotaks - 06-11-2020, 05:02 PM

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