RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
अब बंटी खड़ा हो गया और ज्योति के सर को पकड़ कर उसका मुँह चोद रहा था। उसने ज्योति के सर को अपने लण्ड पे दबा लिया और उधर बंटी ने ज्योति को अपना वीर्य पिलाया और इधर पूनम की चुत ने भी रस की धारा को छोड़ दिया। पूरा बीर्य ज्योति के मुँह में भरने के बाद जब बंटी ने ज्योति को छोड़ा तो वो गद्दे पे निढाल होकर गिर पड़ी। बंटी भी वहीँ पे लेट रहा। पूनम भी हाँफ रही थी।
थोड़ी देर बाद ज्योति अपने कपड़े ठीक कर ली और शरमाते लजाते मुस्काते पूनम के पास आई और बोली "चल।" पूनम भी अपने कपड़े ठीक कर चुकी थी और ऐसे बैठे थी जैसे बैठे बैठे सो रही हो और उधर क्या हो रहा है, उससे उसे कोई मतलब नहीं हो। दोनों वापस अपने कमरे के अंदर आ गयी।
थोड़ी देर बाद ज्योति बोली "सॉरी यार, तुझे परेशान की। लेकिन क्या करती। तू नहीं होती तो नहीं ही कर पाती। बंटी बोला की इतनी बार किया, लेकिन अगर दुल्हन की मेहँदी लग जाने के बाद नहीं किया तो सब बेकार हो गया। मुझे भी लगा की उसकी दुल्हन तो नहीं बन पाई, लेकिन दुल्हन वाला सुख तो उसे दे ही सकती हूँ।" पूनम बोली "इसमें परेशान करने वाली कोई बात नहीं है। मुझे बस ये डर लग रहा था कि कहीं किसी को पता न चल जाये।" ज्योति कुछ नहीं बोली।
पूनम फिर आगे बोली "क्या क्या की?" ज्योति उसे मुस्कुराते हुए नज़र टेढ़ी करके देखी तो पूनम हँसते हुए बोली "मेरा मतलब है कि अच्छे से की न, कोई हड़बड़ी तो नहीं रही न।" ज्योति उसे गले से लगाती हुई बोली "नहीं, सब चीज़ अच्छे से किया। तभी तो तुझे बोली की तू नहीं होती तो ये नहीं हो पाता।"
पूनम बोली "तू बहुत प्यार करती है न बंटी से। तुझे बिलकुल भी डर नहीं लगता?" तो ज्योति पूनम को समझाने के अंदाज़ में बोली "जवानी 4 दिन की है पुन्नु डार्लिंग। अगर इन 4 दिनों में मज़े नहीं की तो बस फिर तो ज़िन्दगी बेकार ही होना है। अब कल शादी होगी तो पति, सास, ससुर, देवर, ननद में बिजी हो जाऊँगी। कुछ दिन थोड़ी बहुत मस्ती जो होगी वो होगी, उसके बाद बच्चे फिर उनका लालन पालन पढाई लिखाई सब में ज़िन्दगी खत्म। इसलिए जो मस्ती अभी करनी है कर लो, फिर ये बस पेशाब करने के काम ही आएगा।" ज्योति हँसती हुई पूनम के चुत की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली, पूनम भी हँसती हुई तुरंत ज्योति का हाथ पकड़ी और खुद भी थोड़ी पीछे हुई।
पूनम बस हँस कर ही रह गयी। कुछ बोली नहीं। ज्योति आगे बोली "ज्योति बोली "इसलिए तो बोली तुझे भी की तू भी चुदवा ले, ओके टेस्टेड सामान है, मज़ा आएगा। फिर तो तुझे चले ही जाना है। वहाँ कोई मिला तो मिला, नहीं तो तेरा भी वही, शादी फिर बच्चा और बस.... वैसे भी जहाँ दो बार की है, वहाँ एक बार और सही। बंटी बहुत मज़ा देता है, तू याद रखेगी इसके मशीन को।" पूनम की नज़रों में बंटी का लण्ड घूम गया और गुड्डू का भी। वो मुस्कुरा दी और बोली "तुम्हारा बंटी तुम्हे ही मुबारक हो। मुझे नहीं करवाना ऐसे किसी से भी। एक नंबर का छिछोरा है।" ज्योति हँसते हुए बोली "वो तो जब अंदर जाता है तब पता चलता है कि क्या है।" दोनों बहनें हँस दी और सो गयी।
आज ज्योति की शादी थी। दिन भर सब इधर उधर के कामों में व्यस्त रहे। सारे रस्मो रिवाज होते रहे, हँसी मज़ाक होता रहा। पूनम बंटी से दूर दूर ही रह रही थी। उसे हर वक़्त ये डर लगा हुआ था कि पता नहीं कब बंटी फिर से उसके जिस्म को सहलाने लगा। ये सच भी था। बंटी पूनम के आसपास ही मँडरा रहा था और इस ताक में था कि किसी तरह अकेले में वो पूनम से बात कर सके, और उसे अपने शीशे में उतार सके। बंटी के दिमाग में ये बात चल रही थी की आज ज्योति की शादी हो जाने वाली थी और कल पूनम को वापस अपने घर चले जाना है। उसके पास बस आज ही की दिन और आज ही की रात थी पूनम के साथ कुछ करने के लिए। बंटी पूनम जैसी लड़की को बिना कुछ किये नहीं जाने देना चाहता था।
पूनम जैसी मस्त माल को तो हर कोई खाना चाहता था, लेकिन बंटी उनलोगों में से था जो सिर्फ चाहता नहीं था, जो चाहता था उसे पाने की भरपूर कोशिश करता था। दोपहर होने वाला था, लेकिन बंटी की कोशिश अभी तक कामयाब नहीं हुई थी। आज भीड़ काफी थी तो वो ज्योति से भी बात नहीं कर पा रहा था ज्योति के पास हमेशा भीड़ लगी हुई ही थी। रात तो उसने ज्योति के साथ गुजार लिया था, लेकिन तब उसकी सिर्फ मेहँदी लगी थी, वो शादी से पहले एक और बार ज्योति के साथ चुदाई करना चाहता था जब वो पूरी तरह दुल्हन बन चुकी हो।
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