RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम को ज्योति की हर बात पर गुस्सा आ रहा था। वो गुस्से में घुरी ज्योति को। ज्योति मुस्कराते हुए "सॉरी सॉरी" बोलते हुए पोछने लगी और फिर बोली "नीचे चलकर बोरोप्लस लगा लेना। कोई काटा था तुम्हे इस तरह आज तक?" पूनम गुस्से में ही बोली "किसी की इतनी औकात ही नहीं थी। ये तो मैं बस तुम्हारी वजह से चुप रही और उसी का नाजायज़ फायदा उठाया वो कमीना।" ज्योति बोली "बाँकी लोग डर जाते होंगे, मेरा बंटी डरता नहीं। इसलिए वो ऐसे कर लिया, बाँकी लोग मन में करते होंगे तुम्हारे साथ।"
पुनम बोली "मन में जो सोचना हो सोचे, जो करना हो करे, मुझे क्या। लेकिन ऐसे तो नहीं करने दे सकती न उसे।" ज्योति बोली "एक बात बोलूं, गुस्सा मत होना और शांति से ठन्डे दिमाग से सोचना।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे पता था कि ज्योति उसे क्या बोलने वाली है। वो बोली "चल नीचे। तुम्हे बोलने से कोई फायदा नहीं। तुम भी उसी की तरह हो।" ज्योति पूनम के साथ नीचे आने लगी और बोली "एक बार करवा ले उससे। मेरा प्रॉमिस रह जायेगा।"
पूनम कुछ नहीं बोली और नीचे आकर बोरोप्लस ली और वापस छत पर चली गयी। यहाँ सबके सामने बोरोप्लस लगाने से सब पूछते की क्या हुआ है, जो वो बता नहीं पाती। जब से पूनम यहाँ शादी में आयी थी तब से वो गुड्डू से बात नहीं की थी। 2-3 बार उसका कॉल आया था, लेकिन हर वक़्त कोई न कोई उसके पास रहता था तो वो बात नहीं की थी। अभी वो छत पे अकेली थी और थोड़ी देर वहीँ रहने वाली थी ताकि गर्दन का लालीपन कुछ कम हो जाये।
पूनम गुड्डू को कॉल लगा दी। अभी कुछ ही देर पहले उसकी चुच्ची और चुत मसली गयी थी और उसे गर्दन पे किस किया गया था। पूनम को बंटी के छूने पे मज़ा आ सकता था, लेकिन समस्या ये थी की बंटी उसके साथ जबरदस्ती कर रहा था। बिना उसकी मर्ज़ी के उसके बदन को छू रहा था और अभी तो उसने हद ही पार कर दिया था। गुड्डू उसकी मर्ज़ी से उसके बदन से खेला तो वो उसके लिए नंगी हो गयी, जब वो इज़ाज़त दी तभी अमित उसे छुआ तो वो अमित से भी चुदवाई, लेकिन बंटी को तो लगता है इस बात से कोई मतलब ही नहीं है कि उसकी मर्ज़ी क्या है, वो क्या चाहती है। उसे इस तरह का इंसान पसंद ही नहीं था।
गुड्डू को कॉल लगाते ही पूनम की चुत गीली हो गयी और उसे वो छुअन अच्छी लगने लगी थी जो बंटी ने अपने हाथों से दिया था। वो सोचने लगी की 'अगर उस बंद करने में बंटी की जगह गुड्डू होता तो कितना मज़ा आता। फिर तो मैं खुद अपनी लेगिंग्स को नीचे करके अपनी चुत मसलवाती, कुर्ती का चेन खोलकर उसे अपने निप्पल्स को चूसने देती, उसका लण्ड चूसती और फिर खुद टाँगे फैलाकर चुदवाती। कितना अच्छा होता की गुड्डू यहाँ रहता तो जैसे ज्योति रात में छत पर चुदवा रही थी, मैं भी गुड्डू से चुदवाती। लेकिन..... फिर गुड्डू भी वही करता जो बंटी कर रहा है, वो भी ज्योति को चोदने को कहता। '
पूरा रिंग होकर फोन कट गया था। गुड्डू ने फ़ोन रिसीव नहीं किया। पूनम अपनी सोच में फिर से डूब गयी। पूनम सोचने लगी की 'वो और ज्योति एक साथ अगर छत पर अगल बगल में बंटी और गुड्डू से चुदवाते तो गुड्डू भी ज्योति को चोदने के लिए बोलता और बंटी तो बोल ही रहा है मुझे चोदने। बंटी बोल देता तो ज्योति तो गुड्डू से भी चुदवाने के लिए तैयार हो ही जाती और फिर वो लोग बोलते की आपस में अदला बदली कर लेते हैं। गुड्डू और बंटी दोनों को और किसी चीज़ से कोई मतलब नहीं है, बस हमारी चुत से मतलब है, हमें चोदने से मतलब है। फिर मैं क्या करती ये तो पता नहीं, लेकिन ज्योति जरूर गुड्डू से चुदवाती और मुझे तो वो अभी भी बंटी से चुदवाने कह ही रही है, फिर तो शायद मैं भी चुदवा ही लेती। जब मैं विक्की से चुदवाने के लिए तैयार ही हूँ तो बंटी से भी चुदवा ही लेती।'
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